20-02-2019, 11:22 PM
फिर वो बोला कि हाँ में अभी आता हूँ दीदी और यह कहकर वो अपने कमरे में चला गया और कपड़े बदलकर वापस आकर मेरे बेटे के पास में लेटकर टी.वी देखने लगा था। अब मेरी धड़कने पहले से ज्यादा बढ़ चुकी थी और में जब भी सूरज के पास होती, तभी मेरी चूत उसके लंड के लिए फड़कने लगती। फिर उसी समय मैंने सोचा कि काश आज मुझे अपनी चुदाई का मौका मिल जाए, क्योंकि आज घर पर भी ज्यादा लोग नहीं है और मेरी चूत की आग भी ठंडी हो जाएगी और फिर में मन ही मन यह बड़बड़ाती रही। अब रात के करीब दस बज रहे थे, मेरा बेटा मुझसे कहने लगा कि मम्मी आप यह बल्ब बंद कर दो, मुझे अब नींद आ रही है, क्योंकि तुम्हारा यह सास बहु का नाटक बहुत देर तक ऐसे ही चलता रहेगा और में जानता हूँ कि आप इसको पूरा देखकर ही सोओगी। फिर उसके मुहं से यह बात सुनकर मुझे हँसी आ गई और अब सूरज भी हँसने लगा था और वो मुझसे बोला कि हाँ दीदी आप बल्ब को बंद कर दो और जब मेरी आंखे भी भारी होने लगेगी तो में भी जल्दी सोने चला जाऊँगा। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और उठकर मैंने उस बल्ब को बंद कर दिया और फिर उसी बिस्तर पर अपने बेटे के पास बैठकर में टी.वी देखने लगी थी। दोस्तों दीवार की तरफ सूरज लेटा हुआ था फिर मेरा बेटा और फिर में लेटी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
