20-02-2019, 11:21 PM
ब मैंने उसको कहा कि हाँ ठीक है। दोस्तों सूरज मेरे चाचा का लड़का है, उसकी उम्र 28 साल है और वो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है। फिर कुछ देर के बाद सूरज ने दरवाज़ा खोला और बोला कि लो दीदी अब आप भी नहा लो। अब मैंने देखा कि वो उस समय टावल पहने हुए था और वो अपने कपड़े हाथ में लेकर मेरे सामने खड़ा था। फिर उसी समय उसका कदम बाथरूम के बाहर पड़ते ही, वो फिसल गया और धड़ाम से नीचे गिर गया। अब उसके गिरते ही उसका टावल ऊपर हो गया और फिर उसका बड़ा आकार का बिल्कुल नंगा लंड मेरे सामने था। तभी वो जल्दी से उठ खड़ा हुआ और शरमाते हुए नीचे भाग गया। अब में उसका लंड देखकर बिल्कुल सन्न रह गई थी और मुझे पसीना आने लगा था। दोस्तों मेरी आठ साल से चुदाई के लिए तरस रही चूत उस लंड को देखकर एक बार फिर फड़क उठी थी। फिर में गुमसुम सी बाथरूम के अंदर गई और दरवाज़ा बंद करके अपने सारे कपड़े उतारकर फुवारे के नीचे खड़ी हो गई। दोस्तों में अभी भी सूरज के लंड के विचारों में खोई हुई थी, वो ठंडा पानी मेरे ऊपर से लगातार बह रहा था। तभी अचानक से मेरा एक हाथ मेरी चूत पर चला गया और अब में अपनी उँगलियों से अपनी चूत को मसलने लगी थी।<br>फिर करीब दस मिनट तक अपनी चूत को मसलने के बाद मेरी गति अपने आप ही बढ़ गई थी और अब में अपने मुँह से सिसकियाँ निकालने लगी थी। फिर में कुछ देर बाद नीचे बैठ गई और मैंने फुवारे से गिरते पानी की तरफ अपनी चूत को ऊपर उठा दिया। अब वो पानी सीधा मेरी चूत पर गिर रहा था और में लगातार सूरज के बारे में ही सोचते हुए अपनी उंगली को चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी। अब मुझे यह सब करने में बहुत मस्त मज़ा आ रहा था और अब मेरे मुँह से वो सिसकियाँ बढ़ने लगी थी और फिर आचनक से मैंने बहुत ज़ोर से चीखते हुए अपनी चूत का पानी छोड़ दिया और अब में एकदम निढाल होकर फर्श पर लेट चुकी थी। अब मेरी साँसे बहुत ज़ोर-ज़ोर से चल रही थी। दोस्तों सच में मुझे उस दिन इतने सालों के बाद उस काम को करके बहुत सुकून मिला था। फिर मैंने मन ही मन में सोचा कि सूरज के बारे में सोचकर ही जब मुझे इतना सुख मिला है, तो जब वो मेरी चुदाई करेगा तब तो मुझे कितना मस्त आंनद मिलेगा? फिर कुछ देर के बाद में उठी और नहाकर कपड़े बदलकर बाहर आ गई, मैंने नीचे आकर सबसे पहले सूरज को इधर-उधर देखा। अब वो तो मेरे साथ ऐसे व्यहवार कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो, लेकिन अब मेरी सोच सूरज के लिए बिल्कुल बदल चुकी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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