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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
अब तुजे सब बताना होगा शुरू से लड़की कि चाशनी कब , कहाँ और कैसे बनती है?
आजा ... हम सोफे पर बैठ कर बात करते हैं,
हम्म, ठीक हैं भाभी .
सुमन भाभी – एक काम करते हैं , बेडरूम मैं चलते हैं .......
.........
प्रिय सहेलिओं ,
 
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
 
अब आगे ,

हम्म , तो हिम्मत कर के बोल तो दिया था मैंने , अब क्या था ओखली मैं सर दिया है तो मूसलो से क्या डरना , होगा जो देखा जायेगा. चल दी मैं सुमन भाभी के पीछे बेड रूम मैं. 

गर्मी शुरू हो ही गयी थी , पंखा चलाना पड़ ही जाता था , आज तो गर्मी बहार कि नहीं अन्दर से थी, अजीब सी बैचनी ... बेड रूम मैं जाने के बाद मेरे जोबन बदमाशी पर उतर आये, लगे तंग करने , खोलो हमे .

अब यह क्या नयी परेशानी , पहेले नहीं होता था ऐसा, बाकि जायदा धयान ही नहीं जाता था जोबन पर बाहर तो बस दुपट्टा ठीक करते हुए हाथ लगता था और घर मैं ऐसा कुछ नहीं था कि जोबन बगावत पर आये.

हाँ ,मूवी देखने के बाद से ही कुछ होने लगा है, अब मैं खुद को कोस रही थी, क्यों देखि वो मूवी, अब फंसी तू, निहारिका एक तो जोबन, और सुमन भाभी भी ले आई मुझे अपने बेड रूम मैं जाने क्या करेगी, आखिर वो भी एक औरत थी तो कोई डर नहीं था पर बैचनी थी, पसीना आया हुआ था माथे पर .

सुमन भाभी - निहारिका , तू तो पूरी भीग गयी है, पसीने मैं, मेरी बगल से पसीना साफ़ दिख रहा था और साथ ही ब्रा कि लाइन भी जो कुछ कुछ भीग सी गयी थी, 

मैं - हम्म, भाभी , पता नहीं आज कुछ जायदा गर्मी है, या मुझे कुछ हो रहा है.

सुमन भाभी - आजा , बैठ मैं एयर कंडीशनर चला देती हूँ, आराम आएगा तुजे .

फिर मैं बेड पर बैठ गयी , दुपट्टा संभाले , और एक हाथ से उन्ग्लिओं मैं दुपट्टे के सिरे को लपेटना और खोलना चालू था . एयर कंडीशनर के चलने कि वजह से अब कुछ आराम मिल रहा था ऊपर कि गर्मी को, पर अन्दर तो गर्मी वैसी ही थी , जोबन पर एयर कंडीशनर कि ठंडी हवा और अन्दर पसीने से भीगी ब्रा दोनो चीजे मिलकर मेरी नीचे वाली को बगावत के लिए उकसा रहे थे , अब यह भी नहीं कह सकती कि एयर कंडीशनर बंद करो और यह भी नहीं कि मुझे नीचे कुछ हो रहा है, बस बैठी थी एकदम चुप.

सुमन भाभी - निहारिका , फिर चुप, अरे कुछ बोल. अब तो एयर कंडीशनर भी चला दिया तेरे लिए , अब तो ठीक हैं न तू. 

मैं - जी, भाभी .

सुमन भाभी - आछा एक काम कर , अपना दुपट्टा निकल दे और आराम से तकिया लगा कर बैठ दोनों पैर ऊपर कर के . 

और सुमन भाभी भी मेरे पास दोनों पैर ऊपर कर के बेड पर बैठ गयी, उनका पल्लू जोबन से हट गया था , और उन्हें कोई चिंता भी नहीं थी , जैसे एक औरत घर मैं अकेली हो एकदम फ्री, मेरे होने का कोई फरक ही नहीं था.

मेरे जोबन से दुपट्टा हट चूका था , और  भीगी ब्रा कि लाइन साफ़ दिख रही थी, हाँ अब पसीना नहीं आ रहा था एयर कंडीशनर कि वजह से पर जो भीग चूका था उसे सुखंने मैं टाइम तो लगना ही था, अब सुमन भाभी का ब्लाउज और उनकी रेड ब्रा कि स्ट्रप साफ़ दिख रही थी. 

मैं - भाभी , आपकी ब्रा .... 

सुमन भाभी - अरी देख ले , कोई नहीं, जोबन तेरे पास भी तो हैं, हाँ मेरे साइज़ थोडा जयादा बढ़ गया है , तेरे भी हो जायेंगे, चिंता न कर.

मैं - शर्मा कर , जी भाभी . आप कुछ कह रही थी ....

घर भी जाना था, और अब तक कुछ ठीक से पता न चल पाया था , सोच मैं ही पूछ लू  कही भाभी का मूड न बदल जाये .

सुमन भाभी - हम्म, बड़ी जल्दी हैं तुजे चाशनी कि . फिर वो उठ कर मेरे सामने लेट सी गयी, एक हाथ को अपने सर के नीचे लगा कर , और बोली - 

निहारिका तुजे देख नहीं पा रही थी, हम्म, अब ठीक है, हम्म तो तुजे चाशनी का राज पता करना है. 

मैं - जी , भाभी . 

सुमन भाभी - निहारिका , मैं गोल -मोल नहीं बात  करती , सीधा पॉइंट पर आती हूँ, चाशनी हम औरतो कि च *** मैं बनती है. और कच्ची उम्र कि लड़की मैं तो अलग नशा होता है शीतल तो दीवानी है इस चासनी कि और मैं भी

और जब, शादी के बाद जब औरत खुल जाती हैं सब तरफ से इसका स्वाद भी बदल जाता है , औरत कि कामुकता का भी फरक पड़ता है, चाशनी के स्वाद पर.

मेरी सांस उपर - नीचे , जोबन और धड़कन मैं जैसे कोई प्रतियोगिता चल रही हो कि कौन आगे निकलेगा . अब नीचे वाली भी बगावत पर आई, आखिर अब उसकी बारी थी. 
 
हो गयी एक बार फिर गीली मेरी नीचे वाली , अब कुछ न था जिससे उसे छुपा सकू, दुपट्टा तो पहेले ही अलग हो गया था , और कुर्ती को ठीक करते हुए पैर मोड़ के बैठी ..... बस हो गयी यही मेरी गलती, 

सुमन भाभी थी मेरे सामने और मेरी नीचे वाली "गीली" एकदम उनके नजरो के सामने थी, उनकी आँखों कि चमक देख कर अपनी गलती का अहसास हुआ, और मैंने अपने पैर सीधे किये , उफ़, गीलापन ... जैसे कि मैंने सु सु कर दिया हो, चिकनापन था , मेरा हाथ चला ही गया "वहां" "नीचे वाली" पर .... मेरी दूसरी गलती. 

अब भाभी समझ चुकी थी कि आ गयी चाशनी ....... निहारिका कि च*** मैं. 

मैं - भाभी ....

कुछ बोल पाती , कि वो बोली 

सुमन भाभी - निहारिका , तू आराम से बैठ, अगर पसीना आ रहा हो तो पोंछ ले, वैसे एयर कंडीशनर तो चल रहा है, हम्म, पसीने से खुजली हो जाती है, मैं तो कर  लेती हूँ खुजली अब कोई देखे तो देखे .

मैं - जी भाभी, मेरी नीचे खुजली हो रही थी, पर शरम कि वहज से ...

सुमन भाभी - पागल, मुझसे क्या शर्मना , तेरे पास भी तो वो ही है, च *** इसमें क्या शर्मना, मैं खुजा दू , ही ही ही 

मैं - नहीं, मैं कर लुंगी, 

सुमन भाभी - आछा अब शर्मा मत, कर ले . 

फिर मैंने हलके से कुर्ती उठा कर सिर्फ दो ऊँगली से खुजा ली , शरम से मुह एकदम लाल, पर क्या करू खुजाना तो था ही, साली बगावत पर आई हुई थी, मेरी नीचे वाली.

[b]सुमन भाभी उठी और बोली, रुक तुजे कुछ दिखाती हूँ ....[/b]

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 10-05-2020, 08:58 PM



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