08-05-2020, 12:00 AM
सोच रही थी कि इसने रिसोर्ट मैं क्या किया, वो मूवी वाला, इतना बड़ा कैसे लिया अन्दर ? साली मरी नहीं . और रात भर उफ़, कैसे पुछु .... सुमना भाभी के क्या हुआ आज,
फिर मेरी सहेली चाय पी कर चली गयी, और मेरे सवाल रह गए, अब माँ के सामने क्या और कैसे पूछती .....
ह्म्म्म, सुमन भाभी .....
.................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी सहेलिओं, उस वक़्त मेरी हालत मैं ही जान सकती थी, वो देखा जो कभी नहीं देखा था , बार बार मेरा हाथ "नीचे वाली" पर जाता था टटोलने के लिए उफ़ इतना बड़ा कैसे अन्दर गया होगा , उस लड़की तो दर्द तो हुआ होगा पर साली हंस -हंस के ले रही थी, उसे अपने पर चिपका के यह सोच के ही रोंगटे खड़े हो जाते थे।
अब परेशानी यह थी कि पुछु किस से , मेरी सहेली तो गयी, अब कौन ? सुमन भाभी उफ़ वो तो डाकिया हैं पुरे मोहल्ले कि, पर बैचनी ऐसी थी कि कल रिजल्ट आने वाला है बोर्ड का और रात को नींद नहीं आ रही है. कुछ जानकारी कि कमी और कुछ जवानी का जोर दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था , खैर चाय तो पी ही ली थी मैंने और वापस अपने रूम मैं आ गयी थी बिना किसी से बोले - बात किये।
पर चुप बैठना कोई हल नहीं था मेरी परेशानी का , जोबन बवागत पर आये हुए थे , आखिर मुझे ब्रा खोलनी ही पड़ी अब मैं पहेली बार बिना ब्रा के सिर्फ कुर्ती मैं थी आराम मिल रहा था आज और नीचे वाली तो वैसे ही खुली थी चाशनी टपकाती हुई।
फिर मैं थोडा लेट गयी , नींद तो आणि थी नहीं , सो जो चुकि थी, मेरा दिमाग प्लान बनाने लगा कि कैसे सुमन भाभी से जानकारी लू. पर कोई रास्ता नजर ही नहीं आ रहा था, माँ भी किचिन मैं बिजी थी और मैं परेशां, आँख बंद करू तो "वो" दिखे अन्दर जाता हुआ , फिर मोबाइल निकला और सोचा एक बार फिर से देखू अबकी जरा ध्यान से , चलाई मूवी मैंने और वहा रोक के देखा कि वास्तव मैं "वो" उस लड़की के "नीचे वाली" मैं जा रहा था. मेरी फिर टपक गयी और धड़कन तेज़. आखिर बंद करनी पड़ी मुझे मूवी , देख तो ली ही थी पहेले पर "वो" अन्दर जाता है तो एक लड़की को कैसा लगता है, वो अहसास , वो मजा, दर्द, उफ़ कुछ भी नहीं पता था.
तभी माँ कि आवाज,
माँ - निहारिका , आ तो जरा।
मैं - आई माँ, अब ब्रा तो निकाल दी थी अगर बिना ब्रा के माँ के सामने जाऊ तो फिर भजन और गयी एक घंटे कि फिर जल्दी से कुर्ती उतारी और देखा निप्पल एकदम कड़क, फूले हुए थे मैंने बोला सालो तुमने आज तो परेशां कर दिया है, आओ ब्रा मैं दोनों. फिर ब्रा पेहेन कर कुर्ती डाली और गयी माँ के पास.
माँ - लड़की इतनी देर लगती है क्या आने मैं?
मैं क्या बोलती, बस हम्म.
माँ - आछा यह ले , भरवा भिन्डी कि सब्जी सुमन के लिए , उसे पसंद है. जा दे आ उसे।
मुझे मेरे कानो पर भरोसा नहीं हो रहा था, मैं बस माँ को देख रही थी, फिर माँ बोली -
माँ - पागल लड़की, क्या हुआ, जा दे आ जल्दी नहीं तो सब ठंडी हो जाएगी.
मैं - हा, माँ अभी जाती हूँ, फिर मन मैं सोचा वाह निहारिका तेरे तो मजे हो गए , मिल गया बहाना सुमन भाभी के पास जाने का।
माँ - ऐसी जाएगी , या तो कुर्ती उतार या फिर स्कर्ट , यह घर मैं ठीक है, पर बाहर ठीक से जाया कर, सबकी नज़रे जवान लड़की पर ही होती हैं , जरा ठीक से निकला कर घर से.
फिर अपने रूम मैं जाकर स्कर्ट उतारी और लेग्गिंग्स पहन लिया , पिंक कलर का था, एकदम कसा हुआ, फिर लाइट ब्लू कलर कि प्लेन कुर्ती निकाली और पेहेन ली, उफ़, यह काली ब्रा साफ़ दिख रही है, कोइ नहीं सुमन भाभी के ही तो जा रही हूँ, फिर दुपत्त्ता भी तो है न चल जायेगा.
फिर मैंने बाल बनाये , आँखों मैं काजल हल्का सा , और पोनी बना कर , एक कला दुपत्त्ता ले लिया जोबन पर फिर आ गयी माँ के पास और बोली -
मैं - अब जाऊ मैं , सुमन भाभी के।
माँ ने मुझे देखा , हम्म, ठीक है, जा , और इधर आ, कला टिका लगा दू , नजर न लगे मेरी बेटी को.
मैं शर्मा गयी, और हंस दी.
फिर लिया टिफिन और चल पड़ी सुमन भाभी के , यु तो कम ही जाना पसंद करती थी उनके यहाँ एक तो वो मुझे बच्ची ही समझती थी और दूसरी औरतो जैसे बात भी नहीं करती थी, बस पढाई और घर कि बात और बात ख़तम. पर आज न जाने क्यों मेरी सहेली कि बात याद आ रही थी, अगर सुमन भाभी ने तेरी पेंटी देख ली होती तो तू नहीं बचती, और कुछ तो हैं नहीं तो वो साली मेरी पेंटी वापस नहीं देती , चाट तो गयी थी पूरी, रख लेती वो मुझे परेशान करने को , हो सकता है कि सुमन भाभी ही रख लेती मेरी पेंटी को.
उफ़, पागल है तू निहारिका क्या सोच रही है, सुमन भाभी क्यों रखेगी मेरी पेंटी , उनको क्या काम, अब गीली तो वो भी होती होंगी आखिर औरत हैं वो भी मुझे मैं ऐसा क्या है, तभी मुझे याद आया "एटम बम्ब " और मेरी हंसी निकल गयी।
ऐसी ही कुछ सोचते हुए और खुद से ही बात करते हुए मैं सुमन भाभी के पास आ गयी, घर कि दूर बेल बजाई और दुपट्टा को देखा वो तो कब से जोबन का साथ छोड़ चूका था उफ़, इतनी देर से मैं बिना जोबन ढके चलती आ रही हूँ, मेरा ध्यान ही नहीं गया खयालो मैं डूबी थी, पता नहीं कितनी नजरो ने जोबन के रस का मजा लिया होगा , पागल ही हूँ सच्ची.
तभी सुमन भाभी ने गेट खोला , तब तक मैंने अपने जोबन पर दुपट्टा डाल लिया था ठीक से, फिर सुमन भाभी बोली -
सुमन भाभी - अरे निहारिका , तू, सच्ची आज तो मैं भगवान से कुछ और मांग लेती तो वो भी मिल जाता। आ अन्दर आ।
मैं - जी भाभी , वो माँ ने कुछ भिजवाया हैं, भरवा भिन्डी आपके लिए।
सुमन भाभी - अरे वाह , यह तो मेरी मन पसंद है, मजा आ गया आज तो , आज मेरा मन भी नहीं था कुछ बनाने को। आछा हुआ कि तू ले आई , आजा।
तूने खाना खा लिया क्या , निहारिका ? सुमन भाभी बोली।
मैं - नहीं , भाभी अभी नहीं, घर जा कर खा लुंगी।
सुमन भाभी - रुक सब्जी तू ले ही आई हैं , रोटी मैं बना लेती हूँ दोनों साथ ही खा लेंगे।
मैं - पर भाभी , वो, मैं घर पर नहीं बोल कर आई, मैं तो बस यह सब्जी देने आई थी.
सुमन भाभी - हँसते हुए , बस इतनी सी बात , अभी तेरी माँ को फोन कर देती हूँ, कि निहारिका मेरे यहाँ से खाना खा कर आएगी।
फिर सुमन भाभी ने माँ को फ़ोन लगा कर बोल दिया, कि नहारिका खाना खा कर आएगी. और माँ ने बोला ठीक है, जल्दी भेज देना , और फ़ोन काट दिया।
सुमन भाभी - बस अब तो ठीक है, तू खड़ी क्यों हैं, बैठ न, फिर मैं पास ही पड़े सोफे पर बैठ गयी.
सुमन भाभी अन्दर पानी लेने गयी, मैं अब भी उस मूवी के बारे मैं सोच रही थी , कैसे पुछु , क्या बोलू, मेरा ध्यान दुपट्टे पर फिर नहीं था, एक साइड से ढलक कर मेरा एक जोबन साफ़ दिख रहा था और कंधे से काली ब्रा का स्टैप भी।
सुमन भाभी आ गयी थी पानी ले कर , मेरे सामने बैठ गयी और कुछ पुच रही थी या बोल रही थी, मुझे उनके होंठ हिलते हुए दिख रहे थे पर आवाज सुनयी नहीं दे रही थी, तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड कर बोला
सुमन भाभी - निहारिका , क्या हुआ , ठीक है सब.
अब मैं होंश मैं आई, क्या हुआ था पता नहीं , फिर बोली -
मैं - कुछ नहीं भाभी।
अब भाभी हंस दी, और बोली - होता हैं जवानी मैं, जब जोबन परेशां करते हैं, मेरे जोबन को देख कर।
मैंने अपने जोबन को देखा , उफ़, एक तो बाहर ही निकला हुआ है, दुपट्टे से और सुमन भाभी किए नजरो के पीछा करते हुए एकदम अहसास हुआ कि कुछ और भी गड़बड़ है, मेरा हाथ मेरे कंधे पर जा पहुंचा दुपट्टे के लेकर हम्म, ब्रा भी निकली पड़ी है, आज तो न जाने क्या हो रहा है,
सुमन भाभी - निहारिका, क्यों चिंता करती हैं, तू घर मैं ही है, और जो तेरे पास हैं वो सब ही मेरे पास ही है इसमें क्या , तू मस्त रह. ले पानी पी।
फिर मैंने पानी पिया , और कुछ देर वो ही इधर उधर कि बात कॉलेज , पढाई और फिर चुप्पी. फिर मैंने देखा कि सुमन भाभी का ब्लाउज काफी डीप था, एक लाइन सी थी बीच मैं पीली साडी शीफ़ोन कि और मैचिंग का ब्लाउज था उसमे लाल ब्रा के स्त्रपेस दिख रहे थे , पर उनको कोई चिंता नहीं थी , दिखे तो दिखे।
मुजसे रहा नहीं गया, और बोल पड़ी, भाभी आपका ब्लाउज तो बहुत आछा है.
सुमन भाभी, अपने जोबन को देखती हैं और बोली , बस ब्लाउज और मेरी ब्रा वो नहीं दिखी तुजे ? ही ही ही
मैं शर्म से लाल, चुप क्या बोलती, बस सर हिला दिया।
फिर सुमन भाभी बोली - आजा चल किचन मैं चलते हैं, वही बात करेंगे रोटी बनाते हुए।
मैं - हम्म, ठीक है.
फिर अपना दुपट्टा ठीक करते हुए सुमन भाभी के साथ चल दी, फिर सुमन भाभी बोली , अरे आज तेरी सहेली भी आई थी मजा आ गया , कितने दिनों के बाद मुलाकात हुई उस से।
मैं - हम्म , वो भी कितनी खुश थी आप से मिल कर, पुच रही थी कल के गोद भराई के प्रोग्राम के बारे मैं, आपने के बता दिया होगा उसे.
सुमन भाभी - हम्म, खूब बात करी , पिंकी के बारे मैं भी।
मैं - हम्म, तो पिंकी भाभी ने फिर तो बिना मूड्स के करवाया होगा , सुमन भाभी कि बात मान कर, क्या इतना बड़ा लिया होगा, उनके पति का भी क्या इतना बड़ा होगा , मूवी के जैसा,
तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा, बोली - कहाँ खो गयी , निहारिका ?
मैं - नहीं कुछ नहीं, वो भाभी। ......... कुछ नहीं। ... बस ऐसी ही। ...........
सुमन भाभी - हम्म, बोल न , रोटी बनाते हुए सब बात हो जाएँगी। ......
[b]मैं - हम्म. ...................[/b]
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका