07-05-2020, 02:17 PM
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बीते एक साल में मोहिनी का बदन पहले से भर गया था, उसके बूब्स भी अब ज़्यादा बड़े-2 दिखने लगे थे, कुल्हों का उठान अब साड़ी में साफ-2 दिखता था. कुल मिलकर अब वो एकदम कड़क माल होती जा रही थी.
सनडे के सनडे राम मोहन अपनी प्यारी पत्नी की अच्छे से सर्विस जो कर जाते थे.
फ्रेश होकर मुझे भाभी ने बादाम वाला दूध दिया और साथ में कुच्छ बिस्कट बगैरह दे दिए, मेने कहा भाभी इनसे क्या होगा, मुझे तो खाना खाना है,
तो उन्होने प्यार से झिड़कते हुए कहा – नही आज से इस टाइम तुम खाना नही खाओगे, खाना में कॉलेज के लिए रख दिया करूँगी, तो रिसेस में खा लिया करना, घर आकर बस हल्का फूलका और खाना सीधे रात को ही.
अब तुम्हें मे .मेन बना के छोड़ूँगी… मे चाहती हूँ मेरा देवर अपने पूरे परिवार में सबसे ज़्यादा ताक़तवर हो… जब सीना तान कर चले तो लगे मानो कोई शेर आ रहा हो..
मेने हँसते हुए कहा क्यों भाभी खाम्खा मुझे चढ़ा रही हो..
तो वो बोली – तुम इसे मज़ाक समझ रहे हो.. चलो अब छत पर ! तुमहरे बदन की मालिश करनी है फिर देखना कैसा तुम्हारी थकान कोसों दूर खड़ी दिखेगी.
हम दोनो छत पर आ गये, हमारे आधे पोर्षन पर दो-मंज़िला बना हुआ था, वाकई हमारे अलावा आस-पास किसी का इतना उँचा मकान नही था.
गाओं के दूसरे छोर पर सिर्फ़ प्रधान का ही घर हमारे से उँचा था, लेकिन बहुत दूर था वो हमसे.
उपर दो बड़े-2 कमरे और उनके आगे एक वरांडे, इस सबकी एक कंबाइंड छत काफ़ी लंबी चौड़ी थी, जो चारों तरफ 2.5 फीट उँची बाउंड्री से कवर की हुई थी.
भाभी ने एक बिछावन नीचे डाला और मुझे अपनी बनियान उतारकर उसपर लेटने को कहा, नीचे में बस एक टाइट हाफपेंट ही पहने हुए था.
भाभी ने अपनी साड़ी के पल्लू को दुपट्टा की तरह अपने सीने पर कसकर लपेटा और उसे पीठ पर से लाते हुए अपनी कमर में खोंस लिया, कसे हुए ब्लाउस और साड़ी के बाहर से ही उनके सुडौल बूब्स एकदम उभर कर बाहर को निकल आए.
वो मेरे बाजू में उकड़ू बैठ गयी, अपने साथ लाई एक कटोरी जिसमें गुनगुना सरसों का तेल था उसे मेरे सर पास रख दिया, फिर अपने हाथों में ढेर सारा तेल ले कर मेरे सीने और कंधों की मालिश करने लगी.
भाभी के गोरे-2 मुलायम हाथ मेरे शरीर पर उपर-नीचे हो रहे थे, उनकी एक साइड की मांसल जाँघ मेरी कमर से रगड़ रही थी, जब वो उपर को आती तो जाँघ के साथ-2 उनके पेट का हिस्सा भी मेरे शरीर से रगड़ जाता.
मे अपनी आँखें बंद किए हुए ये सब फील कर रहा था, और धीरे-2 एक अजीब सी उत्तेजना मेरे शरीर में भरती जा रही थी.
सीने और कंधों की मालिश के बाद वो थोड़ा नीचे की तरफ हुई और अब उनकी जांघों का एहसास मुझे अपनी जाँघ के निचले भाग पर हुआ, अब वो मेरे पेट और उसके साइड की मालिश करने लगी.
जब उनके हाथ मेरे दूसरी साइड की मालिश करते तो उन्हें ज़्यादा झुकना पड़ता जिससे उनका पेट मेरे कमर से टच होता. ना चाहते हुए भी मेरे हाफपेंट में उभार सा बनाने लगा.
फिर उन्होने मेरे पैरों की तरफ रुख़ किया और पैर के पंजों से शुरू करते हुए वो उपर की तरफ आने लगी, घुटनो के उपर उनके हाथों को फील करते ही मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी और मेरी लुल्ली कड़क हो गयी.
भाभी के हाथ जांघों की मालिश करते हुए उपर और उपर की तरफ आते जा रहे मेने हल्के से अपनी आखें खोलकर देखा तो मालिश करते हुए उनकी नज़र मेरे उभार पर ही टिकी हुई थी और मंद-मंद मुस्करा रही थी.
अब भाभी ने मुझे पलटने के लिए कहा- तो में अपने पेट के बल लेट गया. उन्होने अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाया और मेरे उपर दोनो तरफ को पैर करके अपने घुटनो पर बैठ गयी..
लाख कोशिशों के बबजूद भी जब वो मालिश करते हुए हाथ अपनी तरफ करती तो उनके गद्दे जैसे मुलायम नितंब मेरी कमर से टच हो जाते, फिर वो जैसे-2 नीचे को खिसकती गयी अब उनके मोटे-2 चूतड़ मेरी गांद के उपर थे.
जब वो अपना दबाब मेरे उपर डालती तो मेरी नीचे कड़ी हुई नुन्नि जो छाती से दबी हुई थी और ज़्यादा फूलने लगी, मारे उत्तेजना के मेरे मुँह से सिसकी निकलने लगी..
भाभी मन ही मन हसते हुए बोली – क्या हुआ लल्ला जी.. कोई प्राब्लम है..?
अब मे उनको क्या बताऊ कि मुझे क्या प्राब्लम है.. ? फिर भी मेने उनको कहा – आह.. भाभी ज़ोर्से अपना वजन मत रखो, मुझे छत के फर्श से दुख रहा है..
वो – कहाँ दुख रहा है… ?
मे – अरे समझा करो भाभी आप भी ना ! मेरी कमर में और कहाँ ..
वो – ओह्ह्ह.. तो मालिश बंद कर्दु.. ?
मे – नही ! लेकिन थोड़ा वजन कम रखो ना प्लीज़ … फिर वो थोड़ा नीचे को मेरी जांघों के उपर बैठ गयी तो मुझे कुच्छ राहत मिली,
लेकिन अब उन्हें मेरे कंधों तक पहुँचने में ज़्यादा झुकना पड़ रहा था तो उनकी मुनिया मेरी गांद से रगड़ खाने लगी.
उन्हें अब और ज़्यादा मज़ा आने लगा और मालिश के बहाने और तेज-2 हाथ चलाने लगी, कुच्छ देर बाद ही वो अपनी रामदुलारी को मेरी गांद के उपर चेंप कर हाथों को मेरी पीठ पर टिकाए अकड़ कर बैठ गयी और कुच्छ देर ऐसे ही शांत बैठी रही.
मेने सर घूमाकर पीछे देखने की कोशिश की तो उन्होने अपने हाथों का दबाब मेरी पीठ पर और बढ़ा दिया जिसके कारण में देख नही पाया कि वो ऐसे क्यों शांत बैठी हैं..
मालिश करने के बाद जब वो मेरे उपर से उठ गई, तो मे कुच्छ देर यूँही उल्टा पड़ा रहा, क्योंकि मे अपने उभार को दिखाना नही चाहता था.
वाकाई में मेरे शरीर की अकड़न एक दम चली गयी थी, वो बिना कुच्छ कहे अपने कपड़े ठीक करके नीचे चली गयी और मे वहीं पड़े-2 नींद में डूबता चला गया…
अब भाभी रोज़ सुबह 5 बजे मुझे जगा देती, और फ्रेश होके कसरत करवाती, वोही देशी डंड बैठक.. और कुच्छ देशी एक्सर्साइज़.. उसके बाद नहाना-धोना, कॉलेज के रेडी होकर एक लीटर बादाम का दूध पिलाती.
कॉलेज में भी रोज़ गेम्स की प्रॅक्टीस होती, फिर शाम को मालिश, भाभी की मस्तियाँ बढ़ती जा रही थी, लेकिन एक अनदेखी दीवार थी जो हम दोनो को रोके हुए थी अपनी हदें पार करने से.
दूसरी ओर रामा दीदी भी मौका निकाल ही लेती मौज मस्ती का. अब उन दोनो के साथ क्या होता था, मुझे नही पता, लेकिन ऐसे मौकों पर मेरा हाल बहाल हो जाता था, और कुच्छ कर भी नही सकता था, क्योंकि यही पता नही था कि करूँ तो क्या..?
स्पोर्ट्स डे तक मेरा शरीर भाभी की मालिश, खेलों की प्रॅक्टीस और कसरतों की वजह से एक दम पत्थर जैसा हो चुका था,
लोंग जंप में, मे अपने कॉलेज में सबसे आगे था, और कबड्डी में भी मेरी वजह से हमारी क्लास के आगे 12थ की भी टीम हार जाती थी.
बीते एक साल में मोहिनी का बदन पहले से भर गया था, उसके बूब्स भी अब ज़्यादा बड़े-2 दिखने लगे थे, कुल्हों का उठान अब साड़ी में साफ-2 दिखता था. कुल मिलकर अब वो एकदम कड़क माल होती जा रही थी.
सनडे के सनडे राम मोहन अपनी प्यारी पत्नी की अच्छे से सर्विस जो कर जाते थे.
फ्रेश होकर मुझे भाभी ने बादाम वाला दूध दिया और साथ में कुच्छ बिस्कट बगैरह दे दिए, मेने कहा भाभी इनसे क्या होगा, मुझे तो खाना खाना है,
तो उन्होने प्यार से झिड़कते हुए कहा – नही आज से इस टाइम तुम खाना नही खाओगे, खाना में कॉलेज के लिए रख दिया करूँगी, तो रिसेस में खा लिया करना, घर आकर बस हल्का फूलका और खाना सीधे रात को ही.
अब तुम्हें मे .मेन बना के छोड़ूँगी… मे चाहती हूँ मेरा देवर अपने पूरे परिवार में सबसे ज़्यादा ताक़तवर हो… जब सीना तान कर चले तो लगे मानो कोई शेर आ रहा हो..
मेने हँसते हुए कहा क्यों भाभी खाम्खा मुझे चढ़ा रही हो..
तो वो बोली – तुम इसे मज़ाक समझ रहे हो.. चलो अब छत पर ! तुमहरे बदन की मालिश करनी है फिर देखना कैसा तुम्हारी थकान कोसों दूर खड़ी दिखेगी.
हम दोनो छत पर आ गये, हमारे आधे पोर्षन पर दो-मंज़िला बना हुआ था, वाकई हमारे अलावा आस-पास किसी का इतना उँचा मकान नही था.
गाओं के दूसरे छोर पर सिर्फ़ प्रधान का ही घर हमारे से उँचा था, लेकिन बहुत दूर था वो हमसे.
उपर दो बड़े-2 कमरे और उनके आगे एक वरांडे, इस सबकी एक कंबाइंड छत काफ़ी लंबी चौड़ी थी, जो चारों तरफ 2.5 फीट उँची बाउंड्री से कवर की हुई थी.
भाभी ने एक बिछावन नीचे डाला और मुझे अपनी बनियान उतारकर उसपर लेटने को कहा, नीचे में बस एक टाइट हाफपेंट ही पहने हुए था.
भाभी ने अपनी साड़ी के पल्लू को दुपट्टा की तरह अपने सीने पर कसकर लपेटा और उसे पीठ पर से लाते हुए अपनी कमर में खोंस लिया, कसे हुए ब्लाउस और साड़ी के बाहर से ही उनके सुडौल बूब्स एकदम उभर कर बाहर को निकल आए.
वो मेरे बाजू में उकड़ू बैठ गयी, अपने साथ लाई एक कटोरी जिसमें गुनगुना सरसों का तेल था उसे मेरे सर पास रख दिया, फिर अपने हाथों में ढेर सारा तेल ले कर मेरे सीने और कंधों की मालिश करने लगी.
भाभी के गोरे-2 मुलायम हाथ मेरे शरीर पर उपर-नीचे हो रहे थे, उनकी एक साइड की मांसल जाँघ मेरी कमर से रगड़ रही थी, जब वो उपर को आती तो जाँघ के साथ-2 उनके पेट का हिस्सा भी मेरे शरीर से रगड़ जाता.
मे अपनी आँखें बंद किए हुए ये सब फील कर रहा था, और धीरे-2 एक अजीब सी उत्तेजना मेरे शरीर में भरती जा रही थी.
सीने और कंधों की मालिश के बाद वो थोड़ा नीचे की तरफ हुई और अब उनकी जांघों का एहसास मुझे अपनी जाँघ के निचले भाग पर हुआ, अब वो मेरे पेट और उसके साइड की मालिश करने लगी.
जब उनके हाथ मेरे दूसरी साइड की मालिश करते तो उन्हें ज़्यादा झुकना पड़ता जिससे उनका पेट मेरे कमर से टच होता. ना चाहते हुए भी मेरे हाफपेंट में उभार सा बनाने लगा.
फिर उन्होने मेरे पैरों की तरफ रुख़ किया और पैर के पंजों से शुरू करते हुए वो उपर की तरफ आने लगी, घुटनो के उपर उनके हाथों को फील करते ही मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी और मेरी लुल्ली कड़क हो गयी.
भाभी के हाथ जांघों की मालिश करते हुए उपर और उपर की तरफ आते जा रहे मेने हल्के से अपनी आखें खोलकर देखा तो मालिश करते हुए उनकी नज़र मेरे उभार पर ही टिकी हुई थी और मंद-मंद मुस्करा रही थी.
अब भाभी ने मुझे पलटने के लिए कहा- तो में अपने पेट के बल लेट गया. उन्होने अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाया और मेरे उपर दोनो तरफ को पैर करके अपने घुटनो पर बैठ गयी..
लाख कोशिशों के बबजूद भी जब वो मालिश करते हुए हाथ अपनी तरफ करती तो उनके गद्दे जैसे मुलायम नितंब मेरी कमर से टच हो जाते, फिर वो जैसे-2 नीचे को खिसकती गयी अब उनके मोटे-2 चूतड़ मेरी गांद के उपर थे.
जब वो अपना दबाब मेरे उपर डालती तो मेरी नीचे कड़ी हुई नुन्नि जो छाती से दबी हुई थी और ज़्यादा फूलने लगी, मारे उत्तेजना के मेरे मुँह से सिसकी निकलने लगी..
भाभी मन ही मन हसते हुए बोली – क्या हुआ लल्ला जी.. कोई प्राब्लम है..?
अब मे उनको क्या बताऊ कि मुझे क्या प्राब्लम है.. ? फिर भी मेने उनको कहा – आह.. भाभी ज़ोर्से अपना वजन मत रखो, मुझे छत के फर्श से दुख रहा है..
वो – कहाँ दुख रहा है… ?
मे – अरे समझा करो भाभी आप भी ना ! मेरी कमर में और कहाँ ..
वो – ओह्ह्ह.. तो मालिश बंद कर्दु.. ?
मे – नही ! लेकिन थोड़ा वजन कम रखो ना प्लीज़ … फिर वो थोड़ा नीचे को मेरी जांघों के उपर बैठ गयी तो मुझे कुच्छ राहत मिली,
लेकिन अब उन्हें मेरे कंधों तक पहुँचने में ज़्यादा झुकना पड़ रहा था तो उनकी मुनिया मेरी गांद से रगड़ खाने लगी.
उन्हें अब और ज़्यादा मज़ा आने लगा और मालिश के बहाने और तेज-2 हाथ चलाने लगी, कुच्छ देर बाद ही वो अपनी रामदुलारी को मेरी गांद के उपर चेंप कर हाथों को मेरी पीठ पर टिकाए अकड़ कर बैठ गयी और कुच्छ देर ऐसे ही शांत बैठी रही.
मेने सर घूमाकर पीछे देखने की कोशिश की तो उन्होने अपने हाथों का दबाब मेरी पीठ पर और बढ़ा दिया जिसके कारण में देख नही पाया कि वो ऐसे क्यों शांत बैठी हैं..
मालिश करने के बाद जब वो मेरे उपर से उठ गई, तो मे कुच्छ देर यूँही उल्टा पड़ा रहा, क्योंकि मे अपने उभार को दिखाना नही चाहता था.
वाकाई में मेरे शरीर की अकड़न एक दम चली गयी थी, वो बिना कुच्छ कहे अपने कपड़े ठीक करके नीचे चली गयी और मे वहीं पड़े-2 नींद में डूबता चला गया…
अब भाभी रोज़ सुबह 5 बजे मुझे जगा देती, और फ्रेश होके कसरत करवाती, वोही देशी डंड बैठक.. और कुच्छ देशी एक्सर्साइज़.. उसके बाद नहाना-धोना, कॉलेज के रेडी होकर एक लीटर बादाम का दूध पिलाती.
कॉलेज में भी रोज़ गेम्स की प्रॅक्टीस होती, फिर शाम को मालिश, भाभी की मस्तियाँ बढ़ती जा रही थी, लेकिन एक अनदेखी दीवार थी जो हम दोनो को रोके हुए थी अपनी हदें पार करने से.
दूसरी ओर रामा दीदी भी मौका निकाल ही लेती मौज मस्ती का. अब उन दोनो के साथ क्या होता था, मुझे नही पता, लेकिन ऐसे मौकों पर मेरा हाल बहाल हो जाता था, और कुच्छ कर भी नही सकता था, क्योंकि यही पता नही था कि करूँ तो क्या..?
स्पोर्ट्स डे तक मेरा शरीर भाभी की मालिश, खेलों की प्रॅक्टीस और कसरतों की वजह से एक दम पत्थर जैसा हो चुका था,
लोंग जंप में, मे अपने कॉलेज में सबसे आगे था, और कबड्डी में भी मेरी वजह से हमारी क्लास के आगे 12थ की भी टीम हार जाती थी.