06-05-2020, 04:39 PM
बस सुनती रही जब तक सब खतम नहीं हुआ,
जी हाँ "सु-सु", बस.
अब पेंटी तो थी नहीं सोचा ऐसे ही निकल जाउंगी. तभी बाथरूम का गेट खोलने कि कोशिश हुई,
मैं डर गयी.
यह कौन ?
.................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मैं डर गयी. यह कौन ? इस वक़्त माँ और मेरी सहेली तो सुमन भाभी के यहाँ हैं तो यह ...? कही कोई आ तो नहीं गया , अब मेरा क्या होगा , कही कोई कुछ कर तो नहीं देगा, अभी तो शादी भी नहीं हुई , मेरे ही घर मैं मेरा बलात्कार ..... उफ़ न जाने कितने डरावने विचार आ - जा रहे थे, मैं चुप अपनी नीचे वाली को पकड़ कर बैठी थी, तभी मेरी सहली कि आवाज आई
सहेली - निहारिका क्या तू हैं अन्दर ?
अब मेरी जान मैं जान आई , और मैं बोली -
मैं - साली आज क्या तूने मुझे डराने का ठेका लिया हैं, जान ही निकल दी तूने , आ रही हूँ , मर मत.
सहेली - उफ़, आ न बहार , नहीं तो खोल दे गेट , दोनो साथ ही कर लेंगे ऐसा क्या है तेरे पास जो मेरे नहीं हैं.
मैं - धीरे बोल साली माँ सुन लेंगी तो क्या सोचेंगी ?
सहेली - तब तो मैं और जोर से बोलती हूँ, ही ही ,
मैं - तू तो कमीनी ही रहेगी , रुक.
अन्दर, मैं बिना पेंटी के थी, इसलिए थोडा अजीब लग रहा था . फिर मैं उठी और गेट खोल दिया , वो शिधा आदर आई और सलवार उतारी पेंटी के साथ और सु -सु करने बैठ गयी , वो ही मधुर सिटी कि आवाज , आज अच्छी लग रही थी, उस आवाज मैं मैं खो सी गयी, वो मुझे देख रही थी और मैं उसे सु - सु करते हुए , वो हंसी और बोली, देख लिया या और दिखाऊ ?
मेरा महू शर्म से लाल था, उसे यह अच्छे से पता था कि , जब मैं शर्मा जाती हूँ तो मैं लाल हो जाती हूँ. और मन भाग कर अपने रूम मैं आ गयी. कुछ देर बाद वो भी आ गयी. और बोली -
सहेली - निहारिका क्या देख रही थी तू, मेरी च **** , साली सीधा ही बोलती थी , और मैं आज तक नहीं बोल पाती, और वो भी मेरे मजे लेते हैं, जब तक मैं नहीं बोलती कि मेरी च *** मैं डालो जब तक तडपाते हैं, मेरे निप्पल उमेठ देते हैं , पीछे से ऊँगली उफ़ न जाने क्या क्या फिर जब मैं बोल देती हूँ तब , लिप किस वो भी लम्बी वाली फिर उनका चोकोबार फिर आगे का कार्क्रम ......
उफ़ , फिर वही चलते हैं उन यादो मैं ......
हम्म,
मैं - नहीं , कुछ नहीं देखा . मेरी आँखे नीचे , साँसे तेज़ , जोबन पूरी रफ़्तार से ऊपर नीचे , उफ़ मैंने अपने दोनों हाथ अपने जोबन पर रख लिए .
सहेली - अरे डर मत, तेरे जोबन खा थोड़ी जाउंगी . हाँ और कुछ तो कर ही सकती हूँ इनके साथ खाने के आलावा , ही ही ...
मैं - चुप कर , बेशरम हो गयी हैं तू, अच्छा ये बता आज तू लेट कैसे आई थी और मेरे घर रुकने कि क्या बात थी .
अब मैंने बात बदलने कि कोशिश करी,
सहेली - हम्म, तो यह पूछना है मेरी रानी को, पर पहेले ये बता तूने "वो" देख ली क्या ?
मैं - क्या "वो" , अपनी आँखे नाचते हुए बोली , हम लड़कियां अक्सर ऐसा ही करती हैं जब इतरा के बोलना होता हैं
सहेली - आछा जी , कौन सी मूवी, चुद*** वाली और कोन सी ? मालूम पड़ा न "मूड्स" क्या होता है ?
मैं - मुझे काटो तो खून नहीं , उफ़ सब याद आया गया एकसाथ , वो लड़की, उसकी गीली "नीचे वाली" , जोबन , उस आदमी का इतना बड़ा ? मेरी हालत फिर ख़राब, जोबन बगावत पर , और नीचे वाली एकदम रसभरी .
सहेली - उफ़, कितनी नशीली है तू , तेरी आँखे उफ़ क्या बताऊ मेरे पास अगर "ल ***" होता तो अभी कर देती , लुट लेती सब . फिर एकदम उसने लिप किस कर ली, दो सेकंड्स कि ही होगी, मेरे नीचे वाली से पानी निकल गया , मेरा हाथ मेरी नीचे वाली के पानी से भीग गया था , उसने देखा तो वो लपक पड़ी और सब चाट लिया मेरे सामने .
मैं एक जिन्दा लाश के जैसे सब देख रही थी , मैं अपने जिस्म मैं नहीं थी ऐसा लग रहा था कि, यह सब मैं अपने साथ होते हुए देख रही हूँ, फील कर रही हूँ, न जाने क्या हो गया था मुझे.
.....
फिर मन होन्स मैं आई, और बोली -
मैं - साली, पागल हो गयी है क्या , पर न जाने बोलने मैं गुस्सा नहीं था, मुझे भी अच्छा लगा था शायद.
सहेली - उफ़, निहारिका , तू चीज ही इतनी नशिली है मैं तो क्या कोई भी बहेक जाए, क्या तुजे आछा नहीं लगा ?
मैं - अब चुप , क्या बोलू ? हाँ बोला तो मरे , फिर कुछ नहीं बोला ..... बात बदल दी , सुमन भाभी के क्या हुआ . बता न .
सब बतौंगी मेरी जान रुक तो , हम्म,
वो मेरे सामने बैठ गई , दुपट्टा निकल के अलग रख दिया बेड पर, और मुझे देखने लगी, फिर बोली -
सहेली - वाह , मेरी जान क्या ड्रेस कॉम्बिनेशन पहेना है , अब देखा मैंने तो ध्यान से , कुर्ती और स्कर्ट मस्त लगी रही है.
मैं - हाँ जी , अब ड्रेस पर कौन ध्यान देता हैं गरीबो कि , आँख नचा के बोली .
सहेली - आछा बाबा , सुन ध्यान से , मैं कल से अपने घर नहीं गयी हूँ, और अगर घर से फ़ोन आया तो बोल देना कि मैं यही पर थी. तेरे साथ .
मैं - क्यों , तू कहाँ थी ?
सहेली - रुक तो, बताती हूँ , मैं शहर से बाहर एक रिसोर्ट मैं थी, एक पार्टी मैं फिर वहां शराब - शबाब और फिर वाही एक रूम मैं रुक गयी था कोई पर साले ने तोड़ दिया रात भर .
मैं - कुछ समझी नहीं , पार्टी तक तो ठीक है, बाद मैं क्या तोड़ दिया ?
सहेली - अरी भुद्धू जान , वो ही हुआ जो तूने देखा आज मूवी मैं ,
मैं - वो सब ,सच्ची
अब फंस गयी, बोल तो दिया कि सब, मतलब मैंने मूवी देखि थी, और भोली बन रही थी . पकड़ी गयी.
सहेली - ओह हो , तो तभी इतनी नशीली हो रही है, यह बोलते हुए उसने अपने पैर लम्बे किये तो मेरी स्कर्ट थोड़ी सी उठ गयी .
सहेली - उफ़, तूने पेंटी नहीं पेनेही , अन्दर से नंगी है दिखा तो.
मैं - पागल , कुछ भी, नहीं .
फिर सहेली उठी, और उसका हाथ मेरी स्कर्ट पर था जो गीली थी मेरे काम रस के कारन. फिर उसने अपना मुह सीधा मेरे गोद मैं रख दिया और सूंघने लगी, जैसे कुत्ता सुन्घ्ता है, मैं बोली -
मैं - क्या कर रही है, पागल हट .
सहेली - अरे यार , क्या खुशबू आ रही है , एकदम मादक. नशीली . तू तो पूरी एटम बम है. कमाल है .
फिर मैंने उसे धक्का दिया , और बोला , तू अपनी बता गीली तो तू भी लग रही है.
सहेली - मैं तो रात से ही गीली और भरी हूँ , और थक भी गयी हूँ, अब मुझे सोने दे.
थक तो मैं भी गयी थी , फिर हम दोनों लेट गए और पता नहीं कब , आँख लग गयी, सपने मैं फिर वो ही मूवी , मूड्स और "वो" काम. यह सब नया था मेरे लिए और एक लड़की दूसरी लड़की को देख कर इतनी उत्तेजित कैसे हो सकती हैं, जैसे मेरी सहेली हुई थी आज, और लिप किस उफ़, यही सब चलता रहा नींद मैं .......
तभी माँ कि आवाज आई,
माँ - अरे लड़कियों उठ जाओ , आओ चाय पि लो, उठो......
हम दोनों एक दुसरे पर हाथ डाल कर सो रहे थे , मेरी स्कर्ट घुटनों से थोडा उप्पर हो रखी थी, माँ ने देख लिया , और बोली उफ़, इस को थो कुछ भी समझ नहीं है , पागल देखो तो फिर मेरी स्कर्ट नीचे करी तो देख लिया कि नीचे वाली नंगी है, तब तक मैं उठ गयी थी पर आँख नहीं खोली थी, जानकार.
माँ, कुछ देर देखती रही,, फिर धीरे से बोली, अब शादी करवानी ही पड़ेगी. पूरी जवान हो गई है.
फिर कुछ देर मैं, आँख मलते हुए उठ गई , और सहेली को उठाया , उठ न साली, कैसे गधे बेच के सो रही है.
सहेली - उठ रही हूँ न, रुक तो.
माँ सामने ही खड़ी थी , उठो पागलो.
अं सोच रही थी कि इसने रिसोर्ट मैं क्या किया, वो मूवी वाला, इतना बड़ा कैसे लिया अन्दर ? साली मरी नहीं . और रात भर उफ़, कैसे पुछु .... सुमना भाभी के क्या हुआ आज,
फिर मेरी सहेली चाय पी कर चली गयी, और मेरे सवाल रह गए, अब माँ के सामने क्या और कैसे पूछती .....
ह्म्म्म, सुमन भाभी .....
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका