20-02-2019, 09:09 AM
ये उस वक्त की बात हैजब दीदी की डिलेवरी को १५ दिन होने वाले थे और जब मेरे भांजे /बेटे का नाम करण होने वाला था दीदी की सास की तबियत ठीक नहीं थी और दीदी की सास या ननद आ नहीं सकी थी इसलिए उनकी सास ने उनकी जेठानी को भेज दिया दीदी की सास ने उन्की जेठानी को भज दीया। दीदी की जेठानी को लिने मुख्य वीटी स्टेशन गया था। उनक नाम नेहा थ। जब मुख्य ट्रेन पोन्चा से ट्रेन आती है तो हो राई थी मुख्य बोगी नंबर एस 4 में पोंचा से लेकर आवाज वाही अपना सामन लेकर ट्रेन से बहार निकल नहीं है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
