03-05-2020, 01:56 PM
आदमी आया और उसकी पैंटी उतार दी और नीचे वाली , उफ़ एकदम गीली जैसे मेरी थी, तभी याद आया पैंटी भी नहीं पहनी हुई,मेरा गया नीचे।
उफ़ , ..... गीला। ....
,,,,,,,,,
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
हम्म मेरा सब गीला हो चूका था फिर से एकदम चिकना मैं पहेली बार इतनी चिकनी हुई थी उत्तेजना से , यह मेरा पहेली बार था जब मैं पानी दो तार कि चाशनी से खेल रही थी . मेरा एक हाथ मोबाइल पर और दूसरा हाथ नीचे मेरी "उस" पर था.
उफ़ क्या कहू मेरी प्यारी सहेलिओं क्या हुआ था मुजे कुछ पता ही नहीं था , बस सब हुए जा रहा था .
उस आदमी ने उस लड़की कि दोनों पैर फैला कर अपना मुह बीच मैं लगा दिया तो ऐसा लगा कि मेरे दोनों पैरो के बीच किसि ने मुह लगा दिया है .
मेरी सांस तेज़ी से चल रही थी मेने अपने जोबन को देखा उफ़ कुछ जायदा ही बढ़ गए थे कुर्ती मैं से निकल ही जायेंगे जैसे .
फिर उस आदमी ने अपना मुह हटाया तो उका मुह पूरा गीला हो गया था और लड़की हंस रही थी, जैसे उसे मजा आ गया हो इधर मैं कितनी बैचैन हो रही थी सोच रही थी कोई मेरे भी ऐसा ही करे , जवानी का उफान और गर्म मूवी क्या बताऊ जैसे जल बिन मछली तड़प रही थी.
मेरी उँगलियाँ पूरी भीग चुकी थी जवानी के रस मैं.
फिर उस आदमी ने अपने "उस" को जो एकदम खड़ा था हिलाया और पास मैं पड़े एक पैकेट को उठाया और उसमे से कुछ निकला जो कि गोल सा था उसे उसने अपने "उस" पर गोल गोल घुमा कर लगा लिया . वो एक कवर के जैसे उस पर चढ़ गया था. अब मुजे अहसास हुआ कि हो न हो यही मूड्स होगा .
पर इसका क्या करेगा, "उस" पर चढ़ा कर ? यही सवाल था जो मुझे परेशान कर रहा था.
तभी उसने लड़की के दोनों पैर फैला कर अपना "वो" "नीचे वाली" जगह जहाँ से आज तक मैं सिर्फ सु - सु और पैड्स लगाती आई थी , जो मुजे कभी पसंद नहीं थी, क्यूंकि जब से मैं जवान हुई थी सारी परेशानी कि जड़ यही थी, दर्द , पीरियड्स , पैड्स , बैचनी, और न जाने क्या क्या .
पर वो लड़की उतेजित लग रही थी, स्माइल दे रही थी , अब उसने अपने ब्रा खोल कर आदमी के मुह पर फेंक दी , आदमी ने उस ब्रा को सुंघा और "उस" पर रगड़ दिया जो खड़ा था एकदम.
मेरे जोबन मेरी ब्रा से बगावत पर उतर आये थे , मजबूरी मैं कुर्ती ऊपर कर के ब्रा का हुक खोलना पड़ा नहीं थो सांस लेने मैं तकलीफ हो रही थी. अब जाकर कुछ चैन आया जब जोबन ब्रा से आजाद हो गए और ब्रा मैं से बहार आ गए.
जब से मैंने ब्रा पेहेनना शुरू किया था कभी इतनी परेशानी नहीं हुई थी, रात को भी ब्रा पेहेन कर आराम से सो जाती थी, हाँ कभी कोई टाइट ब्रा होती तो नार्मल कॉटन वाली पेहेंन कर सोती थी, पर बिना ब्रा कभी नहीं.
पर आज तो क़यामत ही हो गयी जोबन ने बगावत ही कर दी, मैंने ब्रा ऊपर कर के देखा तो मेरे निप्पल एकदम कड़क फूले हुए थे उफ़ यह कैसे इतने बड़े तो नहीं देखे कभी, हाँ नहाते हुए कही यह कड़क जरूर होते थे पर इतने बड़े और फूले ही नहीं. उनको हाथ लगाया तो एक करंट सा दौड़ पड़ा "नीचे" तक.
दिल ने कहा और कर , ऐसे ही, अपनी भीगी उन्ग्लिओं से जोबन और निप्पल को मीसना चालू किया तो नीचे वाली ने और रस टपका दिया , ओह माँ अब क्या करू .
तभी ध्यान आया बाकि पिक्चर भी देखनी है, मोबाइल देखा तो वो मूवी रुकी हुई थी शायद हाथ लग गया होगा मेरा , फिर से शुरू करी,
उस आदमी ने दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिए थे उस लड़की के और अपना "वो" उसकी "नीचे वाली" पर रगड़ रहा था, फिर एकदम उसने उसे अन्दर डाल दिया और लड़की कि एक कामुक आवाज आई, फिर वो आगे -पीछे होने लगा, बीच -बीच मैं वो लड़की कामुक आवाजे निकल रही थी जैसे उसे मज़ा आ रहा हो.
मैं यह सोच कर हैरान थी, साली इतना बड़ा अन्दर कैसे ले रही है, मेरी तो ऊँगली डालने कि हिम्मत नहीं होती , मेरे तो जगह भी नहीं है, एक बार मैंने देखा था आईने मैं अपनी "नीचे वाली" को जब मेरे पीरियड्स आये हुए थे कि इतना खून कहाँ से आता है, जब देखा था कि एक नन्हा सा होल है, बीच मैं और नर्म होंठ जैसे पंखुड़िया ही थी, उस लड़की कि पंखुड़िया भी बड़ी थी और सब खुला था, उफ़ यह क्या है, क्या मेरी भी ऐसी ही हो जाएगी. इतनी बड़ी होने पर दर्द भी जायदा होगा , पर इसे तो मजा आ रहा है.
अगर मजा नहीं आता तो इतना सब कसे करवा लेती, और यह दुष्ट को देखो कैसे डाल रहा रहा है अन्दर, बिचारी दर्द से मर ही न जाये .
कुछ देर मैं अचानक सब रुक गया , आदमी जोर जोर से सांस लेने लगा और उस लड़की पर गिर गया फिर उठा और उनसे अपना "वो" उसकी "नीचे वाली" मैं से निकला, अब वो पहेले जितना बड़ा नहीं था, कुछ कम हो गया था , वो जो उसने लगाया था , अब भी उस पर था, पर थोडा ढीला सा, और उस मैं कुछ भरा भी था , सफ़ेद सा ? पता नहीं क्या था ?
वो बेशरम लड़की फिर बेड से नीचे उतरी और एक बार फिर उस आदमी का "वो" जो कुछ हद तक खड़ा ही था, फिर चूस रही थी , गिला, चिकना और कुछ चाट भी रही थी.
अब अजीब सा लग रहा था, पर अब उत्तेजना नहीं थी, पर सवाल का ढेर था, यह सब क्या था, हाँ अच्छा लगा था मुझे भी पर यह सब, फिर दोनों एक दुसरे से चिपक कर लेट गए और लिप किस करने लगे.
मेरे होंठ भी सुख चुके थे यह सब देख कर , मैंने अपनी जीभ निकली और होंठो पर फिरने लगी, कुछ अच्छा लगा , फिर पता नहीं कैसे मेरी उँगलियाँ भी होठो से जा लगी,
एक चिकना अहसास,
और एक्दम अलग स्वाद ,
जो अच्छा भी न लगे और छोड़ा भी न जाये,
उसकी खुशबू जानी पहचानी लगी,
फिर याद आया मेरी पेंटी मैं भी ऐसी ही खुशबू आ रही थी, तभी मेरी सहेली ने सब साफ़ कर दिया.
मुझे हंसी आ गयी, और मेरी सहेली पर प्यार , अब गुस्सा नहीं थी उस पर , सही कह रही थी "एटम बम" आज फट ही गया , गजब रस निकला था, सब देख कर.
चादर पर भी कुछ गीला हो गया था , हल्का दाग सा , स्कर्ट तो अच्छी गीली हो गयी थी , पर अब उसे बदलने कि इच्छा नहीं हुई, न जाने क्यों ? गीला अच्छा लग रहा था.
फिर मोबाइल बंद किया मैंने और अपना एक हाथ जोबन पर और एक हाथ नीचे वाली पर रखा तो एक अजीब - अलग अहसाह हुआ, कुछ देर तक मेरे हाथ अपने आप मेरे जोबन पर चलते रहे और निप्पल को दबाते रहे और दूसरा हाथ नीहे वाली पंखुड़ियों से खेलता रहा . जो एकदम भीगी हुई, एकदम चिकनी दो तार कि चासनी से सराबोर थी.
कुछ तो था , पर आच्छा लगा. फिर याद आया कि वो लोग आते होंगे सब साफ़ कर लू, बिस्तर से उठी, तो एकदम चक्कर सा आ गया , सब घूम सा गया था, फिर बैठ गयी बिस्तर पर, उफ़ यह क्या था ?
फिर मैंने अपने जोबन को देखा अभी भी दोनों शैतान बदमाशी पर तुले हुए थे निप्पल एकदम कड़क, जोबन फूले हुए . मैंने अपने दोनों हाथो से अपने दोनों जोबन को दबाया , उफ़ क्या होगया था मुझे इतने नर्म, मुलायम, प्यारे कि दोबारा छोड़ने का मन ही न करे , और साथ ही नीचे वाली फिर टपका चुकी थी. फिर जल्दी से मैंने अपनी ब्रा को टटोला उसका हुक ढूंढ कर अपने जोबन को उसमे कैद किया, तो हुक बंद ही न हो, लगे ही न, उफ़, यह क्या हुआ, अभी तक तो यह सही फिटिंग मैं आती थी, दुसरे हुक तक अब क्या हुआ. कही बड़े तो नहीं हो गए, ?
पागल, निहारिका, कुछ भी बोलती है तू, अपने आप से ही बात करने लगी थी उस समय.
फिर मैंने हार कर सबसे पहेले हुक मैं कस दिए जोबन को , हम्म, अब अन्दर गए सालो ने परेशान कर दिया था.
मेरी नीचे वाली भी तैयार थी मुझे परेशान करने को, एकदम गीली जैसे मैंने सु - सु कर दिया हो, हाँ हाथ लगते ही हंस दी मैं, और बोली, पागल हो गयी है तू, अब शादी कर ले.
फिर उठी मैं और चल दी बाथरूम मैं , बैठ गयी सीट पर और आ गयी सीटी कि आवाज सु -सु के साथ. आज मुझे वो सीटी कि आवाज भी अच्छी लग रही थी न जाने क्यों, और मैंने फ्लश भी नहीं चलाया ,
बस सुनती रही जब तक सब खतम नहीं हुआ,
जी हाँ "सु-सु", बस.
अब पेंटी तो थी नहीं सोचा ऐसे ही निकल जाउंगी. तभी बाथरूम का गेट खोलने कि कोशिश हुई,
मैं डर गयी.
[b]यह कौन ?[/b]
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका