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Misc. Erotica अनोखी ताक़तों का मालिक।
#4
Update 3 रमा का अतीत


टीवी प्रोग्राम खत्म होने के बाद रमा को याद आया की रात के बर्तन तो अभी गंदे ही पड़े हैं और राहुल कहीं नज़र नहीं आ रहा ।
"देखो जी यह राहुल दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा है , आज ट्यूशन से पूरा आधा घंटा लेट आया और अब बर्तन न धोने पड़े इसलिए सो गया,क्या ज़रुरत है इस पर इतना खर्चा करने की मैं तो कहती हूँ ट्यूशन और कॉलेज से हटवा के दूकान ले जाया करो" रमा अपने पति से बोली ।
"रमा सभी को पता है हमने उसे गोद लिया अब तोडा भी पैसा न खर्च किया तो लोग ताने मारेगें और अक्षर पढ़ जायेगा तो हमारे ही काम आएगा " राकेश ने रमा को समझाते हुए कहा ।
"बड़ी दूर की सोचते हो "
"सोचना पड़ता है ...बनिया हूँ कभी घाटे का सौदा नहीं करूँगा...जाके उठा लो"
"हाँ यही करुँगी और क्या"
रमा जब राहुल को उठाने गयी तो उसकी पहली ही नजर राहुल के तने हुए लण्ड पर पड़ी ,उसे लगा की राहुल ने पक्का कोई बोतल निक्कर में छुपा ली होगी उसे गुस्सा आ गया और उसने निक्कर को नीचे खींचा उसके मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी । एक सातवीं क्लास के लड़के का इतना बड़ा लण्ड । ऐसे मतवाले लण्ड को देख वो भी खुद को रोक न सकी और हाथ आगे बड़ा उसने लण्ड को पकड़ लिया । गरम-२ और सुडोल लण्ड को छूते ही उसके पुरे बदन में आग लगा दी ,वैसे भी उसे रोज राकेश की लुल्ली लेनी पड़ती थी ,राकेश तो 4-5 मिनट में झड़ जाता और संतुष्ट होके सो जाता पर रमा की जवानी तड़पती रहती उसका एक मन तो हुआ की कपडे खोले और चढ़ जाए इस 10 इंच के लौड़े पर और भुजा ले अपनी आग । पर घर में सभी थे तो उसने खुद को रोक लिया उसके मन में एक तरकीब आई उसने इस राज़ को राज़ ही रखने की सोची ताकि मौका मिलते ही वो अपनी आग भुझा सके । उसे लग रहा जैसे आज तक वो इस खजाने को जानभूझ कर लुटा रही थी । पर इस खजाने को पाने के लिए राहुल को वश में करना जरूरी था .उसने राहुल को नहीं जगाया और रसोई में जाकर सारा काम खुद कर लिया ।पर उसके पूरे बदन में आग लगी हुई थी उसकी चूत एक दम दार लण्ड के तड़प रही थी ।काम करके रमा बेडरूम में पहुंची तो मोटे थुलथुले राकेश को देख के उसका मन बैठ गया पर वो बेचारी करती क्या उसकी फ़ुद्दी इस टाइम जल रही थी उसे एक लण्ड चाहिए था ,रमा को पता था राकेश तो चुदाई करेगा नहीं बोलेगा थका हुआ हूँ , इसलिए उसने दिमाग से काम लिया उसने जल्दी से नाइटी अलमारी के पीछे फ़ेंक दी और कपडे उतार के नगी घूमने लगी कमरे में वैसे रमा थी पूरी चुदकड़ 36डी के ये बड़े बड़े मोमे और 37इंच की गाँड किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी थे ऊपर आज की टीवी एक्ट्रेस स्वेता तिवारी जैसी शकल परन्तु राकेश पर तो जैसे इनका कोई असर ही नहीं हो रहा था ।
"क्या हुआ नंगी क्यों घूम रही हो"
"अजी नाइटी नहीं मिल रही...आप मदद कर दो न" रमा ने अपने होंठो को काटते हुए कहा
"भाई नहीं मिल रही तो नंगी ही सो जाओ वैसे भी यंहां कौन आने वाला है ? मुझे तो ज़ोरों की नींद आ रही है मुझे मत तंग करो"
'कैसा चक्का है ये' रमा ने मन में सोचा । और नंगी ही राकेश के पास लेट गयी उसने पीठ राकेश की तरफ मोड़ ली और जान बूझकर अपनी गांड उसके लण्ड पर रगड़ने लगी इस आस में की शायद पत्थर पिघल जाये पर पत्थर तो पत्थर होता है राकेश ने उसे एक तरफ झटक दिया और बेड के कोने में होके सो गया । रमा बेचारी आग में तड़पती रही , रमा को "गुरूजी" की याद आ गयी एक गुरु जी थे जो दिन में दसियों औरतों को संतान प्राप्ति करवाते थे और एक राकेश था जिससे अपनी बीवी की भी चुदाई नहीं होती थी । गुरु जी पर राकेश की माँ की असीम आस्था थी ,मरते मरते भी बोल गयी थी की चाहे कुछ भी हो जाये गुरु जी की बात मत टालना जैसा वो कहें वैसा ही करना और रमा को गुरु जी के पास जरूर ले जाना दर्शनों के लिए तब राहुल कोई एक साल का था ,माँ के मरने के कोई 3 महीने बाद गुरु जी चंडीगड़ आये और पास की पहाड़ियों पर अपने आश्रम में टहरे तो संतान प्राप्ति के लिए राकेश रमा को गुरूजी के आश्रम में ले गया था ।रमा को अच्छे से वो दिन याद था उसने नीले रंग की शिफॉन की साडी पहन रखी थी ।किसी परी जैसी लग रही थी । पर गुरु जी के आश्रम पर जब उसने उनकी सेविकाएं देखी थी तो उसे लगा की जैसे वो अप्सराएं हो एक से एक सुन्दर । राकेश उसे सुबह के 5 बजे ही आश्रम ले आया था ताकि भीड़ न हो पर इतनी सुबह भी उनका नंबर बीसवां था । रमा डर रही थी की कहीं गुरु जी ये न कह दें कि वो कभी माँ नहीं बन सकती । कोई 7 बजे उनका नंबर लगा ,सेविका उन्हें गुरु जी के कमरे तक ले गयी और दरवाजे से अंदर जाने का इशारा किया तथा उनके अंदर जाते ही उसने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया । गुरु जी 50 वर्ष के रहे होंगे पर चेहरे पर ऐसा तेज था की 40 से अधिक नहीं लगते थे , गोरा अंग्रेजों जैसा रंग बेहद कसरती बंदन ,पहलवानों सी मजबूत बाहें रमा ने अंदाजा लगाया की कम से कम गुरु जी का कद साढ़े 6 फुट तो होगा । न जाने क्यों उसके मन में एक विचार कौंध गया 6.5 फुट और मैं 5 फुट और वी सिहर उठी ।।। गुरु जी एक ऊँचे आसन पर विराजमान थे रमा को देखते ही बोले बेटी रमा अहिल्या से भी सुन्दर हो , रमा का तो जैसे शर्म से गढ़ ही गयी । फिर बिना कुछ पूछे राकेश से तुम्हारी माता जी गुज़र गयीं "अहह बड़ी भक्त थीं वो मेरी " गुरूजी ने एक आह भरते हुए कहा ।
"गुरु जी आपको कैसे पता चला की माँ गुज़र गयी" राकेश ने हैरानी से पूछा
"बेटा हमारी दिव्य आँख से कुछ छिपा नहीं रहता जैसे हमें ये भी पता है की ये नन्हा बालक जो तुम्हारी पत्नी की गोद में हैं इसे तुमने गोद लिया है" गुरु जी ने मुस्कुराते हुए कहा
"गुरु जी आप तो बगवान है सब जानते हैं , बताइये न क्या संतान सुख हमारे दापंत्य जीवन में है या नहीं?" राकेश कहते कहते रो पड़ा था ।
"भगवान केवल एक है ,हम तो बस उपासक हैं उनके ,बच्चा दोष तुम्हारी बीवी में है इसने पिछले जन्म में अपनी खूबसूरती के घमंड में एक ब्राह्मण का न्योता ठुकरा दिया था ,तो उसे ब्राह्मण पुत्र ने इसे श्राप दे दिया था"
"गुरूजी ये दोष दूर तो हो जायेगा न" राकेश ने पूछा
"बच्चा ऐसा कोई कार्य नहीं जो हम न कर सकें ...बस दो दिन की कामदेव की पूजा करनी होगी" बाबा जी रमा को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोले ।
"गुरु जी पूजा कब शुरू करनी होगी" राकेश ने पूछा ।
"बेटा इस पूजा का योग 1 साल में एक ही बार आता है अगर 1 घंटे में न शुरू की तो 1 साल इंतज़ार करना पड़ेगा"
"तो गुरु जी हम आश्रम में ही ठहर जाते हैं" राकेश ने कहा।
"नहीं बच्चा इस पूजा में तुम शामिल नहीं हो सकते,हमें पता है तुम अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हो और इतनी सुदंर पत्नी से कौन प्यार नहीं करेगा...परंतु यदि तुम साथ रहे तो श्राप नहीं टूटेगा..तुम घर चले जाओ हम रमा को पूजा के बाद भिजवा देंगे " गुरु जी ने राकेश के सर पर हाथ फेरा और उसे जाने के लिए कहा और राकेश किसी बुद्धू की तरह बाहर चला गया । रमा अकेली रह गयी । राकेश के चले जाने के बाद गुरूजी सेविका को फ़ोन करने के उठे तो उनका 7 फुट का विशाल काय शरीर देखके रमा सिहर उठी । गुरु जी ने सेविका को फ़ोन किया और कहा की रमा को कामदेव की पूजा के लिए तयार करो । एक सेविका आई आई और रमा को बाहर ले गयी उसने रमा को चन्दन और दूध से ने नहलाया और एक पिले रंग की साड़ी बिना बालुज़ और पेटीकोट के उसके तन पर लपेट दी । फिर वो उसे आश्रम के दूसरे कोने में ले गयी जंहाँ केवल एक ही कमरा था और काफी बड़ा लग रहा रहा था ।सेविका ने उसे अंदर जाने को कहा रमा उलझन से उसे देखने लगी तो वह बोली "डरो मत बेटी गुरु जी पर पूर्ण विशवास रखो और इस पवित्र कमरे में तुम्हें अकेले ही जाना होगा"
रमा ने उतेजना और डर से भरे मन को लेकर कमरे में प्रवेश किया गुरु जी इस समय शिव की उपासना कर रहे थे और रमा को पास ही पड़े एक बड़े से टेबल पर बैठने का इशारा किया ,रमा जो इस समय बेहद डर रही रही थी चुपचाप टेबल पर बैठ गयी टेबल के पास ही एक स्टूल रखा था जिसपर एक कमंडल में जैतून का तेल रखा हुआ रमा ने तेल को खूशबू से पहचान लिया ,कोई 15 मिनट और उपासना करने के बाद गुरूजी रमा के पास आ गए और बोले
"बेटी इस आसान पर उल्टा लेट जाओ हम पूजा शुरू करने से पहले तुम्हें सब बुरी आत्माओं से शुद्ध करेंगें "
"रमा टेबल पर अपनी मोटी मोटी छातियों के बल पर लेट गयी" उसका दिल इस समय इतनी ज़ोर से धड़क रहा था की वो सांस भी ढंग से नहीं ले पा रही थी ।
"बेटी हम तुम्हारी शुद्धि करने जा रहे हैं इस पवित्र जैतून के तेल को तुम्हारे बदन पर लगा कर तोड़ी ऊपर उठो ताकि इस अपवित्र वस्त्र को हम हटा सकें" गुरु जी ने नरम आवाज़ में कहा
रमा का एक दिल कह रहा था कुछ अन्होनी होने वाली है भाग जा पर संतान प्राप्ति की लालच ने उसे गुरु जी की बात मानने को मजबूर कर दिया । वो ऊपर उठी और गुरु जी ने एक झटके में ही साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया । रमा तो जैसे शर्म के समुन्द्र में डूब गयी ।
"अति सुन्दर, बेटी तुम्हें तो कामदेव ने रचा है डरो मत शुद्धि में ज्यादा समय नहीं लगेगा ,तुछ दुनिया के सब विचारों को मन बाहर निकाल दो बस उसका उत्तर दो जो हम पूछते हैं" गुरूजी ने थोड़े से तेल को रमा के कन्धों पर उड़ेलते हुए कहा ।
"जी गुरु जी" रमा बस यह ही कह पाई
गुरु जी ने उसके कन्धों पर अपने बड़े और गर्म हाथ रखे तो वो बुरी तरह से कांप गयी ।
" बेटी क्या तुम्हारे इन गोरे और सुन्दर कन्धों को शादी से पहले किसी ने छुआ था" गुरु जी ने कन्धों की हलके हाथों से मालिश करते हुए पूछा
रमा अपनी तारीफ से खुश भी हुई और डरी भी एक संशय उसके मन में आया की ये कोई पूजा है भी के नहीं , पर वो एक बच्चा चाहती थी ताकि कोई उसे बाँझ न कह सके तो उसने अच्छा बुरा सोचना बंद कर दिया "नहीं गुरु जी" उसने जवाब दिया ।
"तुम्हारा पति तुम्हारे कन्धों की मालिश करता है या नहीं"
"नहीं गुरु जी" रमा ने झट से जवाब दिया
"हम्म गधा है वो जो ऐसी रूप वती स्त्री की सेवा नहीं करता"
गुरु जी के हाथ अब रमा की पीठ की मालिश कर रहे थे ,गुरु जी मालिश में बेहद निपुण थे रमा को लग रहा था जैसे उसकी जन्मों की थकान मिट रही हो ।
"तुम्हारा वो पति तुम्हारी इस गोरी और मुलायम पीठ को तो चूमता होगा"
"नहीं गुरु जी" बेचारी रमा और क्या कहती
"बड़ा नाकारा मर्द है...तुम्हारी माँ ने तो तुम्हारी सारी जवानी बेकार कर दी" गुरु जी अब रमा की पीठ के कोनों की तरफ मालिश कर रहे थे उनके हाथ रमा के अगल बगल से उभरे हुए स्तनों से बस कुछ ही इंच दूर रह गए थे । गुरु जी ने अपनी हथेली में तेल उड़ेला और रमा की पीठ के दाहिनी तरफ मालिश करते हुए बोले "रमा सच कहता हूँ अगर मैं तुम्हारी माँ होता तो किसी जानदार मर्द से तुम्हारी शादी करवाता ...औरत जितनी खूबसूरत हो उसे उतना जानदार मर्द चाहिए होता है...तुझे अपने माँ बाप पर गुस्सा नहीं आता ?" गुरूजी ने रमा की बगल से बाहर उभरे हुए स्तन को हल्के से छूते हुए पूछा ।
गुरु जी के हाथ के हलके से स्पर्श से रमा उतेजित हो उठी थी ।कुछ बोल नहीं पाई ।रमा को लग रहा था की गुरु जी ने अब मोम्मे दबाये की अब दबाये पर वो तो उसके ऊपरी हिस्से को छोड़ पावँ की तरफ चले गए और टांगों की मालिश करने लगे ।
रमा कुछ शांत हुई तो बोली"गुरु जी मेरे माँ बाप को लगा लड़का अमीर है ठीक होगा बाकी सब कौन सोचता है"
गुरूजी के हाथ अब रमा के घुटनों के ऊपर आ चुके थे और रमा के सुडोल पटों की मालिश कर रहे थे , रमा फिर उतेजित होने लगी और उसकी साँस फिर तेज़ होने लगी पर गुरूजी पूरी तल्लीनता से मालिश करने में लगे थे ...रमा उतेजित थी पर उसका पूरा बदन एक नई ताकत का एहसास कर रहा था ।
"रमा तू देखने में तो अप्सराओं से भी सुन्दर और कामुक है शादी से पहले तेरा कोई प्रेमी तो ज़रूर रहा होगा" गुरूजी ने रमा के मांसल मोटे पुट्ठों को सहलाते हुए पूछा ।
"था गुरु जी..अः अः"
गुरु जी का हाथ कुछ गहराई में उतरा पर तभी तभी बाहर आ गया ,रमा का सारा बदन गर्म हो रहा था वो समझ नहीं पा रही थी की वो इतनी कामोतेजना क्यों महसूस कर रही है ,अब बस वो यही चाहती थी की गुरूजी मालिश करते रहें और उसके हर एक अंग की करें ।
"उसके साथ तुमने कभी सम्भोग नहीं किया ??" गुरु जी ने उसकी गांड को ज़ोर से दबाते हुए पूछा
"उउउ माँ....नहीं गुरु जी"
"तुम्हें तो सब मर्द ही नपुंसक मिले हैं" गुरु जी ने अपना पूरा हाथ रमा की गांड की दरार में डालते हुए कहा । फिर आगे बोले "रमा अब सीधी हो जाओ और पीठ के बल लेट जाओ ।
पर रमा शर्म के मारे कुछ न कर सकी वो वैसे ही पड़ी रही ,गुरु जी उसकी दुविधा समझ रहे थे उन्होंने बड़ी नाजुकता से रमा को पकड़ा और पलट दिया अब रमा की गोल गोल और बड़ी बड़ी छातियाँ गुरु जी के सामने एक दम नंगी थीं और रमा शर्म से मरी जा रही थी ।
"अति सुंदर ...अति सुन्दर मैंने तुम्हें सही ही अहिल्या कहा था"
रमा को अहिल्या की कहानी नहीं पता थी इसलिए उत्सुकता वश उसने पूछा "गुरूजी ये अहिल्या कौन थीं"
गुरु जी ने रमा के कंधों की मालिश करना शुरू की बोले "अहिल्या कई हज़ार साल पहले हुई और उस युग की सबसे सुन्दर स्त्री थी ,गोरा रंग ,सुडोल और बेल के फल जैसे बड़े स्तन पतली एक ही हाथ में समा जाय ऐसी कमर बड़े उभरे हुए कुहले उसका रूप देख माह ऋषि वशिस्ठ उस आक्सत्त हो गए हालांकि वो उस समय काफी बूढे हो चुके थे पर उन्होंने अहिल्या के पिता से उसका हाथ मांग लिया और क्योंकि वशिष्ठ काफी गुस्से वाले थे अहिल्या के पिता ने उसकी शादी बूढे ऋषि से करवा दी , बूढे ऋषि सुबह ही तपस्या के लिए निकल जाते और रात को लौटते बेचारी अहिल्या काम वासना में तड़पती रहती इंद्र जो यह सब सवर्ग से देख रहा था वो सुंदरी अहिल्या का दर्द न बर्दाश्त कर सका एक दिन जब सुबह सुबह ऋषि चले गए तो उसने ऋषि का वेश धारण किया और उनकी कुटिया में घुस गया और शिश्न दिखा के अहिल्या को सम्भोग के लिए कहने लगा पहले तो अहिल्या को लगा की उसके पति ने तपस्या से अपना शिश्न इतना बड़ा कर लिया है "
रमा जिसे लग रहा था की ये कहानी तो उसकी है और कहानी में पूरी तरह से डूब चुकी थी बोली" गुरु जी ये शिश्न क्या होता है?"
गुरु जो इस समय रमा के सत्तनो के बीच मालिश कर रहे थे रुक गए और मुस्कुरा कर बोले " रमा शिश्न लण्ड को कहते हैं"
गुरूजी के मुंह से लण्ड शब्द सुन रमा के पुरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी , ऊपर से गुरु जी ने अपने दोनों हाथ उसके दोनों स्तनों पर रख दिए और उसके स्तनों की मालिश करने लगे
"तो कंहाँ था मैं रमा" गुरु जी मुस्कुरा के रमा को देखा और पूछा
"जी जी....अहिल्या को लगा की...उसके पति ने........शिश्न बड़ा" रमा रुक रुक के बोली
"हाँ याद आया तो पहले तो अहिल्या को लगा की उसके पति ने तपस्या से अपने लिंग का आकार बड़ा लिया पर क्योंकि वो एक दिव्य स्त्री थी इसलिये वो जान गयी की ये कोई और नहीं बल्कि देवों का राजा इंद्र है ...पर इंद्र का बड़े और दैवी लिंग ने उसको समोहित कर लिया था वो ज्यादा खुद पर काबू नहीं रख पाई और खुद को इंद्र के हवाले कर दिया ..इंद्र ने सुबह से दोपहर और फिर दोपहर से शाम तक अहिल्या का चोदन किया पर तभी इंद्र को ऋषि के आने का आभास हुआ वो वैसे ही नंगा भागा पर ऋषि ने उसे दरवाजे पर ही पकड़ लिया और बिस्तर पर नंगी पड़ी अहिल्या को भी देख लिया गुस्से में ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया की उसके तेजस्वी लिंग की जगह बकरे का लिंग लग जाए और अपने श्राप से अहिल्या को पत्थर का बना दिया" गुरु जी ने कहानी ख़त्म की
कहानी ख़त्म तो उसका ध्यान गुरूजी के हाथों पर गया जो इस समय उसकी कड़ी हो चुकी चूचियों पर गया । गुरु जी ने उसकी चूचियाँ छोड़ दी और कहा की शुद्धि कार्य पूरा हो चुका अब रमा का प्रसाद ग्रहण करने का समय है । पर ये प्रसाद केवल आँखें बंद करके ही लिया जा सकता है । गुरु जी रमा की आँखों पर पट्टी बांध दी और उसे घुटनों के बल बैठने को कहा |किसी लकड़ी की चीज़ के सरकाने की आवाज़ हुई और कुछ देर बाद गुरूजी ने रमा को अपने हाथ आगे करने को कहा, रमा को लगा गुरूजी उसके बिलकुल पास बैठे हैं आँखों में पट्टी बंधी होने के कारण रमा इधर उधर हाथ मारने लगी
"रमा प्रसाद खोज कर तुम्हें खुद ही प्राप्त करना होगा तभी ये पूजा सफल हो पायेगी" रमा को लगा जैसे गुरूजी की आवाज़ में दबी हुई हँसी मिली हुई है कुछ देर इधर उधर हाथ मारने के बाद उसका हाथ एक गर्म और नरम चीज़ से टकराया रमा ने उस चीज़ को टटोलने की कोशिश की ताकि उसका कोई सिरा उसके हाथ लग सके आखिर काफी मशक्कत के बाद रमा उस लंबी मोटी और गर्म चीज़ को पकड़ने में कामयाब हुई और दर के मारे लगभग चीख ही पड़ी
" सांप ...सांप " और झटक कर उसने हाथ पीछे कर लिया
"डर गयी रमा ...हमें तो लगा था तुम बहादुर हो ...इस सांप को अपने वश में कर लोगी"
"गुरूजी सांप है काट लेगा तो?" रमा ने कांपती आवाज़ में कहा ।
"अरे रमा तुम बेहद भोली हो ये हमारा पाला हुआ सांप है ,नहीं काटेगा ...पूजा के लिए सांप का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है इसके लिए तुम्हें इससे खुश करना बेहद ज़रूरी है तभी संतान प्राप्ति हो सकेगी .....कर सकोगी इसे खुश"
"जी गुरूजी" रमा ने डरते डरते कहा और आगे बढ़के दोबारा सांप को पकड़ लिया
"अब इसे चूमो ,हम इसका मुंड तुम तक लेके आते हैं तुम चूम लेना..अपने होंठ आगे करो और चुमों" गुरूजी ने आदेश देते हुए कहा ।
रमा जिसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ,आगे झुकी और सांप के मुख को चूम लिया उसके चूमते ही सांप में हलकी सी हरकत हुई
"उई माँ काटता है" रमा चिल्ला उठी
"हाहा...रमा तुम बेवजह डरती हो ये तो हमारे साँप का आशीर्वाद था...तुमने आशीर्वाद पा लिया है अब तुम अपनी ज़ुबान निकालो और इसे चाटो "
रमा के तो होश उड़ गए और वो जैसे पत्थर की बन गयी बिल्कुल हिल डुल नहीं पा रही थी , गुरूजी ने उसके हाथों को पकड़ा और सांप को रमा के हाथों में दे दिया
"रमा तुम संतान चाहती हो या नहीं?"
"चाहती हूँ गुरूजी"
"फिर वैसा ही करो जैसा हम कहते हैं महूरत का समय निकला जा रहा है ...चलो चाटो इसे"
रमा जिसे अब शक होने लगा था की जो चीज़ उसके हाथों में है वो सांप है भी है या नहीं चीज़ को अपने हाथ ऊपर नीचे कर टटोलने लगी निचले हिस्से पर पहुंची तो उसे सांप के मुंह जैसा कुछ नहीं महसूस हुआ बल्कि उसे लगा की वो एक संतरे जितने बड़े लण्ड मुंड को सहला रहा रही है अचानक उसके मन में पिछली सारी बातें घूम गयी "हाय राम इतना बड़ा लौड़ा" उसने मन में सोचा और उसका दिल फिर रेलगाड़ी की तरह धड़कने लगा । उसकी चूत में जैसे एक टीस सी उठी ,आज पहली बार वो एक असली मर्द का लौड़ा छू रही थी । रमा एक अजीब सी उत्सुकता में बह गयी उसके मन में अजीब सी बातें आने लगी 'हाय कैसे लूँगी इस लण्ड को चूत में, जब 7 फुट के बाबा जी मेरे ऊपर चढ़ेंगे तो क्या होगा' वो लण्ड को पकडे पकडे ही विचारों में खो गयी ,
"रमा ....रमा क्या हुआ किन विचारों में खो गयी" बाबा जी अपने शिथिल लेकिन भारी और बड़े लण्ड से रमा के चेहरे पर एक चपत मारते हुए पूछा"
"गुरु जी जिस चीज़ का मैंने अभी चुमभन लिया है वो सांप नहीं है न?"
"ह्म्म्म आखिर तुम जान ही गयी तो तुम ही बताओ ये क्या है?"
"गुरूजी ये आपका लिंग है"
"तुम्हें अच्छा लगा ? तुम्हारे पति से अच्छा है या बुरा?"
"गुरूजी उनका तो किसी छोटे बच्चे की लुल्ली जैसा है"
"अच्छा और हमारा लिंग कैसा है"
"आपका का तो बहुत बड़ा है"
"तुम देखना चाहोगी"
"हाँ गुरु जी"
"हम तुम्हे अपने लिंग के दर्शन करवाएंगे पर उससे पहले तुम्हें इससे प्यार करना होगा ....करोगी न रमा?"
रमा जो घुटनों के बल बैठी थी कुछ आगे खिसकी ,गुरु जी न उसके चेहरे को पकड़ अपने लिंग के बिलकुल पास सेट कर दिया ताकि रमा उसे चाट सके ,रमा ने अपनी जीभ निलकाली और लिंग को आइसक्रीम की तरह चाटने लगी ,नीचे से से ऊपर और ऊपर से नीचे ,एक गर्म ,डंडे जितने बड़े लण्ड को वो चाटती जा रही थी ।
"ओह....रमा तुम तो कमाल चाटती हो आह"गुरु जी सिसकियाँ लेने लगे
गुरु जी का शिथिल लण्ड अब अकड़ने लगा था क्योंकि रमा ने लिंग को दोनों हाथों से पकड़ रखा था उसे लगा की लिंग के उठान से वो भी कहीं ऊपर न उठ जाए कुछ सेकण्ड में गुरु जी लण्ड पूरा तन चूका था ।
"रमा लिंग दर्शनों के लिए तयार है खोलो अपनी आँखों की पट्टी " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा
रमा ने लिंग को छोड़ दिया और उसने अपनी आँखों की पट्टी खोली ,120 डिग्री पर तने हुए 4किलो की लौकी जितने मोटे लण्ड को देख रमा का मुंह खुला का खुला रह गया ।
"रमा तुम हमारे लिंग का माप नहीं लोगी ?.....ये लो इंचीटेप और मापो इसे आखिर तुम्हे पता होना चाहिए की जो लिंग तुम्हारी योनी में जाने वाला है उसका आकार क्या है " ये कहते हुए गुरु जी ने रमा को इंचीटेप थमा दिया ।
नापने का मन तो रमा का भी कर ही रहा था उसने झट से इंचीटेप उठाया और लिंग के सिरे पर रख इंचीटेप को लण्डमुण्ड के आखरी सिरे तक खोला ...उसे 12इंच पढ़कर विश्वास नहीं हुआ उसने दोबारा माप लिया इसबार भी 12इंच '12 इंच मतलब पूरा एक फुट' रमा ने मन में सोचा
"रमा तो कितनी लंबाई है हमारे लण्ड की?"
"गुरु जी 12 इंच"
"ठीक अब मोटाई का नाप लो"
"हाय यह भी 12इंच ....इनती तो मेरी बाजु भी मोटी नहीं है"
"हा हा हा रमा ये असली मर्द का लण्ड है ....पर आज तुम्हें देख ये कुछ अधिक ही तन गया है अब मुझसे और सब्र नहीं होता अब तुम्हारा चोदन करना ही होगा...तुम तयार हो न "
"जी गुरूजी आप जो करेंगे वही ईश्वर की कृपा होगी"
गुरूजी ने रमा को गोद में उ ठा लिया और उसे लेजाकर फिर से टेबल पर लिटा दिया ,और रमा की बाहें खोली और टेबल के कोनों से एक रस्सी की मदद से बांध दीं ।
"गुरूजी ये आप क्या कर रहे हैं ...मुझे डर लग रहा है" रमा बोली
"डरो नहीं रमा अभी तो आखिरी प्रसाद ग्रहण करना है " गुरु जी ने रमा की टांगे खोली और खुद उसकी टांगो के बीच आते हुए बोले "रमा मेरी तो बड़ी इच्छा थी तुम्हारी इस चूत का रसपान करूँ पर ये लिंग में लगी आग पहले शांत करनी होगी"
रमा कुछ नहीं बोली बस लेटी रही ...उसके हाथ बंधे थे और वो कुछ कर भी नहीं सकती थी गुरुजी के लौड़े को देख उसे डर लग रहा था लेकिन उसके अंदर की प्यास उसके डर से कहीं ज्यादा थी गुरु जी थे की अपने मूसल लिंग को उसकी चूत के होंठों पर रगड़े जा रहे थे ...रमा का पूरा बदन मस्ती से काँपने लगा
"रमा क्या हुआ तुम काँप क्यों रही हो" गुरूजी ने भोले बनते हुए कहा
"आह ...गुरूजी और सहन नहीं होता" रमा ने आहें भरते हुए कहा
गुरूजी इसीके तो इंतज़ार में थे की रमा कोई इशारा करे यंहां तो रमा ने न्योता ही दे दिया था उन्होंने आव देखा न ताव झट से रम की पतली कमर पकड़ी और ज़ोर का गस्सा मारा उनके लण्ड का मुंड सरसराता रमा की योनि में घुस गया ।रमा दर्द से बिलबिला उठी
"आई मर गयी ...गुरूजी क्या कर दिया इस दर्द से मर जाउंगी मैं"
"रमा तुम भी कमाल करती हो चोदन से कोई मरता है क्या ...फिर तुम जैसी अप्सरा तो इससे भी बड़ा लौड़ा संभाल सकती " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और फिर रमा की योनि पर सेट कर दिया ...रमा के लिए पहला वार ही जानलेवा था गुरूजी को आगे की तयारी करते देख वो ज़ोर से रोने लगी
"गुरूजी भगवान के लिए मुझे छोड़ दो मैं नहीं ले पाऊँगी इतना बड़ा....उई माँ मर गयी गुरूजी प्लीज निकालिये न बाहर" रमा ने छटपटाते हुए कहा
"रमा तुम तो बिलकुल बच्ची हो ...देखो तो तुम्हारी इस छुइमुई योनी तो बिलकुल भीगी पड़ी है ...और अपनी चूचियों को तो देख कैसी अकड़ गयी हैं " बाबाजी ने झुक के रमा की दायीं चूची को मुंह में ले लिया और चूसने लगे और दूसरे मम्में को हलके हलके दबाने लगे । रमा ने ऐसा आनंद का अनुभव कभी नहीं किया था , रमा ने आँखें बंद कर ली और खुद को पूरी तरह से बाबा जी के हवाले कर दिया । बाबा जी मोका देख के रमा के स्तनों को मजबूती से पकड़ा और ज़ोर से धक्का लगाया और उनका लिंग फचक की आवाज़ करता हुआ रमा की बच्चे दानी से जा टकराया ...रमा दर्द से निढाल सी ही हो गयी उसमें इतनी भी ताकत न रह गयी थी की चीख ही पाती ...और बाबा जी ने तो जैसे धक्कों की सुपरफास्ट ट्रेन ही चला दी । रमा उस दिन नाजाने कितनी ही बार झड़ी ....पर बाबा जी को तो जैसे न झड़ने का वरदान था वो तो उसे पेले जा रहे थे ...थकने का और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे आखिर रमा बेहोश ही हो गयी । उसे एक नरम बिस्तर पर होश आया तो रात हो रही थी , उसे कपडे पहना दिए गए थे और एक सेविका उसके पाँव दबा रही थी । कुछ देर बाद बाबा जी कमरे में आ गए और रमा के सिरहाने बैठ उसके सर को हलके हलके सहलाने लगे ।
"रमा तुमने प्रसाद ग्रहण कर लिया है ..तुम्हें संतान प्राप्ति अवश्य होगी " वो रमा के सर को सहलाते हुए बोले ।
रमा कुछ कह न सकी उसकी आँखों में ख़ुशी और संतुष्टि के आंसू थे । बाबा जी उसकी भावनाओं को समझ गए और उसके कान में धीरे से बोले "पगली हम तीन महीने बाद फिर आएंगे...पर तुम यंहां से जाते ही अपने पति के साथ एक बार ज़रूर सम्बन्ध बना लेना ..वरना उसे शक हो जायेगा"
रमा कुछ बोली नहीं बस उसने हाँ में सिर हिला दिया । बाबा जी तीन साल लगातार आते रहे रमा को तीन संतानो की प्राप्ति हुई पर फिर वो किसी बाहर देश चले गए और रमा बेचारी फिर अकेली रह गयी । और आगे के इन सालों में तो जैसे रमा ने खुद को औरत मानना ही छोड़ दिया था ,पर आज राहुल के मर्दाना लिंग को देख उसकी भावनाएं फिर जाग गयी थी रमा को सारी रात नींद नहीं आई ।रात भर बस करवटें बदलती रही ।
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RE: अनोखी ताक़तों का मालिक। - by Tanu - 28-11-2018, 09:54 AM



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