19-02-2019, 09:58 PM
भाभी की माँ
![[Image: sixteenHOTVill2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/17/sixteenHOTVill2.md.jpg)
" अरे ये भी बहुत अच्छा लगेगा तुझे, हाँ थोड़ा कसैला खारा होगा ,लेकिन चार पांच बार में आदत लग जायेगी ,तुझे कुछ नहीं करना बस अपनी चंपा भाभी के पीछे पड़ी रह, उनके पास तो फैक्ट्री है उनकी। "
![[Image: sixteen-DubeyBhabhi.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/17/sixteen-DubeyBhabhi.md.jpg)
भाभी की माँ जी बोलीं , लेकिन तबतक चम्पा भाभी भी अपने कमरे में , और पीछे पीछे मैं।
वहां भाभी मेरे लिए काम लिए तैयार बैठी थीं।
मुन्ना सो चुका था , उसे मेरी गोद में डालते हुए बोलीं , सम्हाल के माँ के पास लिटा दो जागने न पाये। और हाँ , उसे माँ को दे के तुरंत अपने कमरे में जाना ,तेज बारिश आने वाली है .
दरवाजे पर रुक कर एक पल के लिए छेड़ती मैं बोली ,
" भाभी कल कितने बजे चाय ले के आऊँ ,"
चंपा भाभी ने जोर से हड़काया ," अगर सुबह ९ बजे से पहले दरवाजे के आस पास भी आई न तो सीधे से पूरी कुहनी तक पेल दूंगी अंदर। "
मैं हंसती ,मुन्ने को लिए भाभी की माँ के कमरे की ओर भाग गयी।
भाभी जैसे इन्तजार कर रही थीं ,उन्होंने तुरंत दरवाजा न सिर्फ अंदर से बंद किया ,बल्कि सिटकनी भी लगा दी।
भाभी की माँ कमरा बस उढ़काया सा था। मेरे हाथ में मुन्ना था इसलिए हलके से कुहनी से मैंने धक्का दिया , और दरवाजा खुल गया।
मैं धक् से रह गयी।
वो साडी उतार रही थीं , बल्कि उतार चुकी थी , सिर्फ ब्लाउज साये में।
मैं चौक कर खड़ी हो गयी , लेकिन बेलौस साडी समेटते उन्होंने बोला , अरे रुक क्यों गयी , अरे उस कोने में मुन्ने को आहिस्ते से लिटा दो , हाँ उस की नींद न टूटे ,और ये कह के वो भी बिस्तर में धंस गयी और मुझे भी खींच लिया।
और मैं सीधे उन.के ऊपर।
कमरे में रेशमी अँधेरा छाया था। एक कोने में लालटेन हलकी रौशनी में जल रही थी ,फर्श पर।
मेरे उठते उरोज सीधे उनकी भारी भारी छातियों पे जो ब्लाउज से बाहर छलक रही थीं।
उन के दोनों हाथ मेरी पीठ पे ,और कुछ ही देर में दोनों टॉप के अंदर मेरी गोरी चिकनी पीठ को कस के दबोचे ,सहलाते ,अपने होंठों को मेरे कान के पास सटा के बोलीं ,
" तुझे डर तो नहीं लगेगा ,वहां ,तू अकेली होगी और हम सब इस तरफ ,.... "
और मैं सच में डर गयी।
जोर से डर गयी।
कहीं वो ये तो नहीं बोलेंगी की मैं रात में यहीं रुक जाऊं।
और आधे घंटे में अजय वहां मेरा इन्तजार कर रहा होगा।
मैंने तुरंत रास्ता सोचा , मक्खन और मिश्री दोनों घोली ,और उन्हें पुचकारकर ,खुद अपने हाथों से उन्हें भींचती,मीठे स्वर में बोली ,
" अरे आपकी बेटी हूँ क्यों डरूँगी और किससे ,अभी तो आपने खुद ही कहा था ,… "
![[Image: skirt-2.jpg]](https://i.ibb.co/prRcjnc/skirt-2.jpg)
" एकदम सही कह रही हो ,हाँ रात में अक्सर तेज हवा में ढबरी ,लालटेन सब बुझ जाती है इसलिए ,…"
वो बोलीं ,पर उनकी बात बीच में काट के ,मैंने अपनी टार्च दिखाई , और उनकी आशंका दूर करते हुए बोली,
ये है न अँधेरे का दुश्मन मेरे पास। "
" सही है ,फिर तो तुमअपने कमरे में खुद ताखे में रखी ढिबरी को या तो हलकी कर देना या बुझा देना। आज तूफान बहुत जोर से आने वाला है ,रात भर पानी बरसेगा। सब दरवाजे खिड़कियां ठीक से बंद रखना ,डरने की कोई बात नहीं है। " वो बोलीं और जैसे उनके बात की ताकीद करते हुए जोर से बिजली चमकी।
और फिर तेजी से हवा चलने लगी ,बँसवाड़ी के बांस आपस में रगड़ रहे थे रहे थे ,एक अजीब आवाज आ रही थी।
![[Image: LANTERN-BATT-jpg-22.jpg]](https://i.ibb.co/VWrgRP1/LANTERN-BATT-jpg-22.jpg)
और लालटेन की लौ भी एकदम हलकी हो गयी।
मैं डर कर उनसे चिपक गयी।
भाभी की माँ की उंगलिया जो मेरी चिकनी पीठ पर रेंग रही थीं ,फिसल रही थीं ,सरक के जैसे अपने आप मेरे एक उभार के साइड पे आ गयीं और उनकी गदोरियों का दबाव मैं वहां महसूस कर रही थी।
मेरी पूरी देह गिनगिना रही थी।
लेकिन एक बात साफ थी की वो मुझे रात में रोकने वाली नही थी ,हाँ देर तक मुझे समझाती रही ,
" बेटी ,कैसा लग रहा है गाँव में ? मैं कहती हूँ तुम्हे तो निधड़क ,गाँव में खूब ,खुल के ,.... अरे कुछ दिन बाद चली जाओगी तो ये लोग कहाँ मिलेंगे ,और ये सब बात कल की बात हो जायेगी। इतना खुलापन , खुला आसमान ,खुले खेत ,और यहाँ न कोई पूछने वाला न टोकने वाला ,तुम आई हो इतने दिन बाद इस घर चहल पहल ,उछल कूद ,हंसी मजाक , …फिर तुम्हारी छुटीयाँ कब होंगी ? और अब तो हमारे गाँव से सीधे बस चलती है , दो घंटे से भी कम टाइम लगता है , कोई दिक्कत नहीं और तुम्हारे साथ तेरी भाभी भी आ जाएंगी। "
" दिवाली में होंगी लेकिन सिर्फ ४-५ दिन की ," मैंने बोला ,और फिर जोड़ा लेकिन जाड़े की छूट्टी १० -१२ दिन की होगी।
"अरे तो अबकी दिवाली गाँव में मनाना न , और जाड़े छुट्टी के लिए तो मैं अभी से दामाद जी को बोल दूंगी ,उनके लिए तो छुटटी मिलनी मुश्किल है तो तेरे साथ बिन्नो को भेज देंगे अजय को बोल दूंगी जाके तुम दोनों को ले आएगा , अच्छा चलो तुम निकलो ,मैं दो दिन से रतजगे में जगी हूँ आज दिन में भी , बहुत जोर से नींद आ रही है वो बोलीं,मुझे भी नींद आ रही है। "
लेकिन मेरे उठने के पहले उन्होंने एक बार खुल के मेरी चूंची दबा दी।
मैं दबे पाँव कमरे से निकली और हलके से जब बाहर निकल कर दरवाजा उठंगा रही थी , तो मेरी निगाह बिस्तर पर भाभी की माँ जी सो चुकी थीं ,अच्छी गाढ़ी नींद में।
![[Image: sixteenHOTVill2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/17/sixteenHOTVill2.md.jpg)
" अरे ये भी बहुत अच्छा लगेगा तुझे, हाँ थोड़ा कसैला खारा होगा ,लेकिन चार पांच बार में आदत लग जायेगी ,तुझे कुछ नहीं करना बस अपनी चंपा भाभी के पीछे पड़ी रह, उनके पास तो फैक्ट्री है उनकी। "
![[Image: sixteen-DubeyBhabhi.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/17/sixteen-DubeyBhabhi.md.jpg)
भाभी की माँ जी बोलीं , लेकिन तबतक चम्पा भाभी भी अपने कमरे में , और पीछे पीछे मैं।
वहां भाभी मेरे लिए काम लिए तैयार बैठी थीं।
मुन्ना सो चुका था , उसे मेरी गोद में डालते हुए बोलीं , सम्हाल के माँ के पास लिटा दो जागने न पाये। और हाँ , उसे माँ को दे के तुरंत अपने कमरे में जाना ,तेज बारिश आने वाली है .
दरवाजे पर रुक कर एक पल के लिए छेड़ती मैं बोली ,
" भाभी कल कितने बजे चाय ले के आऊँ ,"
चंपा भाभी ने जोर से हड़काया ," अगर सुबह ९ बजे से पहले दरवाजे के आस पास भी आई न तो सीधे से पूरी कुहनी तक पेल दूंगी अंदर। "
मैं हंसती ,मुन्ने को लिए भाभी की माँ के कमरे की ओर भाग गयी।
भाभी जैसे इन्तजार कर रही थीं ,उन्होंने तुरंत दरवाजा न सिर्फ अंदर से बंद किया ,बल्कि सिटकनी भी लगा दी।
भाभी की माँ कमरा बस उढ़काया सा था। मेरे हाथ में मुन्ना था इसलिए हलके से कुहनी से मैंने धक्का दिया , और दरवाजा खुल गया।
मैं धक् से रह गयी।
वो साडी उतार रही थीं , बल्कि उतार चुकी थी , सिर्फ ब्लाउज साये में।
मैं चौक कर खड़ी हो गयी , लेकिन बेलौस साडी समेटते उन्होंने बोला , अरे रुक क्यों गयी , अरे उस कोने में मुन्ने को आहिस्ते से लिटा दो , हाँ उस की नींद न टूटे ,और ये कह के वो भी बिस्तर में धंस गयी और मुझे भी खींच लिया।
और मैं सीधे उन.के ऊपर।
कमरे में रेशमी अँधेरा छाया था। एक कोने में लालटेन हलकी रौशनी में जल रही थी ,फर्श पर।
मेरे उठते उरोज सीधे उनकी भारी भारी छातियों पे जो ब्लाउज से बाहर छलक रही थीं।
उन के दोनों हाथ मेरी पीठ पे ,और कुछ ही देर में दोनों टॉप के अंदर मेरी गोरी चिकनी पीठ को कस के दबोचे ,सहलाते ,अपने होंठों को मेरे कान के पास सटा के बोलीं ,
" तुझे डर तो नहीं लगेगा ,वहां ,तू अकेली होगी और हम सब इस तरफ ,.... "
और मैं सच में डर गयी।
जोर से डर गयी।
कहीं वो ये तो नहीं बोलेंगी की मैं रात में यहीं रुक जाऊं।
और आधे घंटे में अजय वहां मेरा इन्तजार कर रहा होगा।
मैंने तुरंत रास्ता सोचा , मक्खन और मिश्री दोनों घोली ,और उन्हें पुचकारकर ,खुद अपने हाथों से उन्हें भींचती,मीठे स्वर में बोली ,
" अरे आपकी बेटी हूँ क्यों डरूँगी और किससे ,अभी तो आपने खुद ही कहा था ,… "
![[Image: skirt-2.jpg]](https://i.ibb.co/prRcjnc/skirt-2.jpg)
" एकदम सही कह रही हो ,हाँ रात में अक्सर तेज हवा में ढबरी ,लालटेन सब बुझ जाती है इसलिए ,…"
वो बोलीं ,पर उनकी बात बीच में काट के ,मैंने अपनी टार्च दिखाई , और उनकी आशंका दूर करते हुए बोली,
ये है न अँधेरे का दुश्मन मेरे पास। "
" सही है ,फिर तो तुमअपने कमरे में खुद ताखे में रखी ढिबरी को या तो हलकी कर देना या बुझा देना। आज तूफान बहुत जोर से आने वाला है ,रात भर पानी बरसेगा। सब दरवाजे खिड़कियां ठीक से बंद रखना ,डरने की कोई बात नहीं है। " वो बोलीं और जैसे उनके बात की ताकीद करते हुए जोर से बिजली चमकी।
और फिर तेजी से हवा चलने लगी ,बँसवाड़ी के बांस आपस में रगड़ रहे थे रहे थे ,एक अजीब आवाज आ रही थी।
![[Image: LANTERN-BATT-jpg-22.jpg]](https://i.ibb.co/VWrgRP1/LANTERN-BATT-jpg-22.jpg)
और लालटेन की लौ भी एकदम हलकी हो गयी।
मैं डर कर उनसे चिपक गयी।
भाभी की माँ की उंगलिया जो मेरी चिकनी पीठ पर रेंग रही थीं ,फिसल रही थीं ,सरक के जैसे अपने आप मेरे एक उभार के साइड पे आ गयीं और उनकी गदोरियों का दबाव मैं वहां महसूस कर रही थी।
मेरी पूरी देह गिनगिना रही थी।
लेकिन एक बात साफ थी की वो मुझे रात में रोकने वाली नही थी ,हाँ देर तक मुझे समझाती रही ,
" बेटी ,कैसा लग रहा है गाँव में ? मैं कहती हूँ तुम्हे तो निधड़क ,गाँव में खूब ,खुल के ,.... अरे कुछ दिन बाद चली जाओगी तो ये लोग कहाँ मिलेंगे ,और ये सब बात कल की बात हो जायेगी। इतना खुलापन , खुला आसमान ,खुले खेत ,और यहाँ न कोई पूछने वाला न टोकने वाला ,तुम आई हो इतने दिन बाद इस घर चहल पहल ,उछल कूद ,हंसी मजाक , …फिर तुम्हारी छुटीयाँ कब होंगी ? और अब तो हमारे गाँव से सीधे बस चलती है , दो घंटे से भी कम टाइम लगता है , कोई दिक्कत नहीं और तुम्हारे साथ तेरी भाभी भी आ जाएंगी। "
" दिवाली में होंगी लेकिन सिर्फ ४-५ दिन की ," मैंने बोला ,और फिर जोड़ा लेकिन जाड़े की छूट्टी १० -१२ दिन की होगी।
"अरे तो अबकी दिवाली गाँव में मनाना न , और जाड़े छुट्टी के लिए तो मैं अभी से दामाद जी को बोल दूंगी ,उनके लिए तो छुटटी मिलनी मुश्किल है तो तेरे साथ बिन्नो को भेज देंगे अजय को बोल दूंगी जाके तुम दोनों को ले आएगा , अच्छा चलो तुम निकलो ,मैं दो दिन से रतजगे में जगी हूँ आज दिन में भी , बहुत जोर से नींद आ रही है वो बोलीं,मुझे भी नींद आ रही है। "
लेकिन मेरे उठने के पहले उन्होंने एक बार खुल के मेरी चूंची दबा दी।
मैं दबे पाँव कमरे से निकली और हलके से जब बाहर निकल कर दरवाजा उठंगा रही थी , तो मेरी निगाह बिस्तर पर भाभी की माँ जी सो चुकी थीं ,अच्छी गाढ़ी नींद में।