02-05-2020, 06:44 PM
फिर वो हँसते हुए निकल जाती है, दरवाजा बंद करने की आवाज से कुछ शांति मिली, और अब मैंने पैंटी को खोल कर देखा तो सारी चाशनी गायब थी. बस हल्का निशान ही बाकी रह गया था.
अरे , "वो" सब कहाँ गया ? इतनी जल्दी तो नहीं सूखता , ...........
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. एक पहेली -
कोई महिला पाठक बता सकती हैं की क्या हुआ होगा मेरी पैंटी के साथ?
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वैसे सवाल तो बचकाना है, आज के हिसाब से। पर उस समय। ..... एक सवाल था मेरे लिए।
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प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी प्यारी सहेलिओं ने बिलकुल सही जबाब दिया है ,चाशनी के गायब होने का. साली कमीनी पूरा चाट गयी थी. और मैं यह सोच मैं थी कि क्या मज़ा आया होगा उसे इसमें , अब क्या धोऊ पैंटी को, सब साफ़ कर दी थी उसने , सुमन भाभी का क्या चक्कर है उनको मेरी पैंटी से क्या मतलब, आखिर वो यही पहनती होंगी। शायद उनका भी रस निकलता होगा. मुझे क्या।
फिर ध्यान आया कि "वो" मूवी देख लेती हूँ, कही ये लोग वापस आ गए तो, फिर जल्दी से धो कर सूखा दी, और वापस अपने रूम मैं आ गयी , दरवाजा बंद किया और देखा कि मेरी सलवार भीग गयी थी पैंटी धोते हुए , उफ़ इसे होना था ?
मैंने सलवार उतारी और टांग दी, सूखने के लिए , फिर अलमारी खोली तो जो सबसे पहले दिखी वो ही निकाल ली, आखिर जल्दी जो थी। एक स्कर्ट थी जो हाथ लगी थी , सोचा यही सही फिर कुर्ती के नीचे स्कर्ट डाली और लेट गयी अच्छा कॉम्बिनेशन बन पड़ा था कुर्ती - स्कर्ट का जोबन टाइट और नीचे खुला - खुला। फिर उठाया मैंने फ़ोन को देखा की कहाँ डाली है उस कमीनी ने मूवी.
एक फोल्डर मिला "निहारिका" नाम का , उसे खोला तो एक ही फाइल थी , मूवी की.
एक तो पुरे घर मैं अकेली , रूम मैं भी सिर्फ मैं , मेरी धड़कन मुझे सुनाई दे रही थी , जोबन ऊपर - नीचे हो रहे थे , पसीना आ रहा था, उंगलियां काँप रही थी, उस मूवी को शुरू करने के लिए. पांच मिनिट्स तक हिम्मत ही नहीं हुई , क्या करू, थोड़ी सी देख लेती हूँ, आगे बढ़ा के जहाँ तक कॉलेज मैं देख ली थी उससे आगे. हम्म,
चल गयी मेरी उंगलियां , आवाज फुल थी मेरे फोन की, जल्दी से कम करि, कोई सुन न ले. फिर मूवी आगे बढ़ा दी, जहाँ पर वो लड़की ब्रा - पैंटी मैं बेड के कार्नर पर बैठी थी , आदमी अपनी पैंट खोल रहा था , फिर लड़की बैड से उतर कर नीचे बैठ गयी , क्यों इसको क्या हुआ? ऊपर आराम से थी, पागल।
आदमी ने सब खोल दिया था, वो पूरा नंगा था पीठ की तरफ से , फिर लड़की के दोनों हाथ उसकी पीठ पर सरके और एकदम कसे हुए कड़क "खरबूजे" के बीच की दरार मैं उँगलियाँ फिरने लगी, एक हाथ आगे आ गया था और वो हिल रही थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आया , की वो क्या कर रही थी, मैं आँखे गड़ाए हुए देखे जा रही थी की मेरे हाथ से फ़ोन गिर गया , वापस उठा कर देखा तो यकीं नहीं हुआ।
"लड़की " आदमी का "वो" चूस रही थी , जो की एकदम तना हुआ था और बड़ा भी, इस तरह और इतना बड़ा मैंने नहीं देखा था, और यह चूस क्यों रही है? फिर मैंने आदमी को देखा उसे बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा फिर वो लड़की उठी और बेड पर लेट गयी।
आदमी आया और उसकी पैंटी उतार दी और नीचे वाली , उफ़ एकदम गीली जैसे मेरी थी, तभी याद आया पैंटी भी नहीं पहनी हुई,मेरा गया नीचे।
उफ़ , ..... गीला। .........
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका