02-05-2020, 02:16 PM
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(02-05-2020, 08:19 AM)Poonam_triwedi Wrote: बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.
मेरी सहेली और मेरी माँ दोनों एक दूसरे को देखने लगे, फिर हंस दिए। और मैं झल्ली कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था.
मैं - क्या हुआ , क्यों हंस रही हो दोनों।
माँ - कुछ नहीं, तू खाना खा.
निहारिका जी क्या मस्त उपडेट दिया है
ओर ये दो लाइन सुमन भाभी का नाम लेने पर आप की सहेली ओर आप की मम्मी की कामुख मुस्कान वाह दिल खुश कर दिया मुझ जैसी कन्या रस की प्रेमी महिलाओं का तो
ये थर्ड यकीनन इस फोरम का बेस्ट थर्ड बनेगा जिस अदित्य प्रतिभा और कौशल के साथ आप लिख रही है
बहुत से दृश्य आप ने सूचित कर दिए है
सहेली की मस्ती,सहेली ओर भाभी की मस्ती,सहेली ओर आप की मम्मी की मस्ती,इन तीनो की आपसी मस्ती जो शायद अगले अपडेट में होगी
फिर आप की एंट्री कैसे होती है जब आप की मम्मी इस खेल में शामिल है क्या सहेली पटायेगी मम्मी को आप को लाने के लिए
इस से कामुख कुछ हो नहीं सकता
कोमल जी की कहानियों की तरह ये थर्ड ये कहानी दिल को छू गया है
निहारिका जी आप की कोई क्या तारीफ करे
आप अदित्य हुनर की मालकिन हो
बस इसी तरह लिखती रहो
पाठक पाठिकाएँ अपने आप जुड़ते जाएंगे
हम सहेलियों का ये आंगन यूँही हमेशा आबाद रहेगा
पेंटी के सवाल में कुसुम ने बिल्कुल ठीक लिखा है
निहारिका जी सहेली ने अच्छे से चाटी है चासनी।
जैसे आज कल पति हमें दिखा दिखा के चाटते है
ओर फिर सारा थूक हमारे मुँह मे जब तक अंदर उतार नहीं लेती मझाल हमारी जो नखरे कर ले
सहेली कहीं आप की मम्मी से इस चटखारे का जिक्र ना कर ले
ऊफ़्फ़ क्या लिख बैठी
Love u निहारिका जी
पूनम जी,
"दिल खुश कर दिया मुझ जैसी कन्या रस की प्रेमी महिलाओं का तो
ये थर्ड यकीनन इस फोरम का बेस्ट थर्ड बनेगा जिस अदित्य प्रतिभा और कौशल के साथ आप लिख रही है"
" कोमल जी की कहानियों की तरह ये थर्ड ये कहानी दिल को छू गया है
निहारिका जी आप की कोई क्या तारीफ करे"
शुक्रिया, आभार, कुछ कहने के लिए अब बच ही नहीं मेरे पास.
कोमल जी तो आसमान का वो सितारा हैं, जहाँ तक मैं शायद कल्पना मैं ही पहुँच पाउ. आपके प्यार की ज़रूरत है, कहानी को जो मेरी अपनी ही हैं, हाँ कुछ गैर जरुरी चीज़े हटा ली गयी हैं, पर चटकारे वैसे ही हैं, खट्टे - मीठे व् चटपटे। कुछ भी अनुचित बड़लाव नहीं किया है जी.
"कन्या - रस" का कोई मुकाबला नहीं है, सारी दुनिया को पागल कर रखा हैं इसने।
पेंटी के सवाल में कुसुम ने बिल्कुल ठीक लिखा है
निहारिका जी सहेली ने अच्छे से चाटी है चासनी।
जी, सही. मैं तो बहुत हैरान थी, ुउस दिन की क्या किया था उसने। अब चढ़ती जवानी मैं इतनी अकाल नहीं थी. वो तो शादी के बाद आयी, हाँ मैं हूँ झल्ली, आज भी कई बातो मैं. पतिदेव की तो बहुत प्यारी है मेरी पैंटी , उन्ही की तरफ है, साली न जाने कैसी साथ - गाँठ है दोनों की, इधर चाशनी निकली उधर पता चला. नज़ारे मिलने की देर होती है और पैंटी उनके हाथ मैं, और सब मेरे ही सामने, दिखा - दिखा के और फिर एक राउंड तो बनता ही है. आखिर पतिदेव जो हैं.
माँ, सहेली, सुमन भाभी, पिंकी भाभी सब साथ होंगी आगे , साथ बनाये रखिये , बस आपके प्यार की चाहत मैं.
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका