29-04-2020, 09:50 AM
माँ - हम्म, सुमन भी याद करती है तुझे। ठीक ही वो. आयी .थी कल।
मैं - लो , अब हो गयी शुरू दोनों। अब तो मरे। .. भूके हो ली इन दोनों की बाते ख़तम.
इतना कह कर मैं बाथरूम मैं जाने लगी। ........
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प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी सहेली और माँ आपस मैं खूब बाते करते थे, दोनों औरते थी एक मंगलसूत्र के साथ एक बिना मंगलसूत्र के. दोनों मुझे बच्ची समझती थी. और थी भी मैं उनके सामने। मेरी सहेली सुमन भाभी के बारे मैं खूब पूछती थी , और वो भी. जाने क्या था.
मैं इस दुनिया से अनजान , जोबन में डूबी रहती - दीखते जो थे , अब तो "नीचे वाली" तंग करने लगी थी. पर क्या कर सकती थी इस जादुई दुनिया से अनजान थी. कुछ ऐसा ही सोचते हुए बाथरूम तक जा पहुन्ची।
दुपट्टा निकला और टांग दिया खूंटी पर अक्सर हम लड़कियां ऐसा ही करती हैं. बाथरूम मैं.
आप लोगो ने नोटिस किया होगा की दो लड़किया एक साथ बाथरूम जाती हैं क्यों?
एक लड़की दूसरी लड़की की हेल्प करने जाती हैं, दुपट्टा और पर्स संहभालने ताकि वो फ्री होकर "कर" सके. जब अकेले जाना हो थो थोड़ी मुश्किल होती है, पर्स और सुपटटे के साथ फिर सलावार या जीन्स खोलने का झंझट फिर सीट देखो की साफ़ हैं या नहीं, अक्सर कमान बाथरूम मैं कुछ साफ़ नहीं मिलता , उफ़ कितनी परेशानी हो जाती है, अक्सर लड़कियां साफ़ बाथरूम की तलाश मैं "सु -सु" रोक कर रख लेती हैं, मैं तो अक्सर ऐसा ही करती हूँ.
यहाँ, अपनी महिला मित्रो से विनती की बाताये की क्या आप भी ऐसा ही करा करती हैं?
हम्म, फिर मैंने अपने जोबन को देखन, एकदम उभर के आ रहे थे मेरी सहेली की तरह एकदम फट के नहीं, कुछ कम, पर मैं संतुष्ठ थी अपने जोबन के आकार से.
हम लड़कियां अक्सर अपने जोबन के आकार को लेकर चिंतित ही रहती है,
शादी से पहले की कम तो नहीं हैं ?
और बड़े कैसे होंगे ?
मर्दो को तो अक्सर बड़े ही अच्छे लगते हैं.
मेरी शादी मैं कोई रुकावट तो नहीं होगी छोटे जोबन से ?
इस तरह की तमाम बाते अक्सर हमारे दिमाग मैं घूमती रहती हैं.
जोबन दर्शन से मेरा ध्यान हटा तो याद आया की "सु- सु" करना हैं, पागल। और गीला पैन भी चेक करना है, उफ़ वो ही तो देखने आयी थी मैं.
सलवार खोल कर पैंटी नीचे करि तो देखा, उफ़, कितनी गीली थी, कुछ चिपचिपा भी था एक तार की चाशनी जैसा। पहले भी देखा था यह मैने पर आज कुछ जायदा था, पैंटी की बीच वाली जगह लगभग भीग सी गयी थी. मैंने सोचा इसे क्या हो गया आज, "सु-सु" तो किया नहीं मैंने ? फिर.
क्या करती उतारी पैंटी और सलवार, और कोई चारा नहीं था, पैंटी निकल के साइड मैं रख दी फिर "सु-सु", सीटी की आवाज के साथ. बड़ी शर्म आती थी मुझे सीटी की आवाज से, पर करना तो था ही. किया। अपने घर थी तो जयादा टेंशन नहीं था.
अब, प्रॉब्लम, पैंटी तो गीली थी, उसे दुबारा पहनने का कोई विचार नहीं था, और दूसरी थी नहीं। सलवार हाथ में लिये बैठी थी और सोच रही थी अब क्या करू, माँ को आवाज दू? नहीं।।।।
माँ मेरी सहेली के सामने सारी बात उगल देगी, मेरी बेवकूफी की, कैसे मैं बिना कपड़ो के बाथरूम मैं गयी थी, फिर सिर्फ टॉवल मैं पुरे घर मैं भाग रही थी.
फिर मेरी सहेली मेरा रोज़ मजाक बनाएगी। उफ़, क्या है, साली इसको आज ही गीली होना था.
यह सोचते हुए "नीचे वाली" को साफ़ करने लगी, पानी डाला ऊपर से तो हाथ लगते ही एकदम चिकना , "लिप्स" कितने सॉफ्ट हे हलके बाल आ ही गए थे -सो तो आने ही थे पर अच्छे लग रहे थे , पता नहीं क्यों? अक्सर मुझे "नीचे -वाली" पर बाल अच्छे नहीं लगते, पर महीने मैं दो बार सब साफ़ कर लेती हूँ, वीट से , सुना है कुछ स्किन काली हो जाती है जयादा इस्तेमाल से।
सहेलियों, क्या आप भी वीट या कुछ और इस्तेमाल करती हैं तो क्या स्किन पर कोई असर हुआ, प्लीज बताइये , अगर हैं तो क्या इसका कोई उपाए है ? नीचे की स्किन का कलर काला न पड़े. सब मर्दो के लिए करना पड़ता है, उन्हें सब साफ़ ही चाहिए , अब तो हर संडे या दो - एक दिन आगे - पीछे साफ़ करना ही पड़ता है, क्या करे "पतिदेव" हैं.
हम्म्म, मेरा हाथ और उँगलियाँ एकदम चिकनी हो गयी थी, कुछ टेंशन हुई, कोई गड़बड़ तो नहीं, क्या ये सब नेचुरल है, क्या यह सबके साथ होता है?
फिर जल्दी से पानी डाला और रगड़ के साफ़ किया, तेज़ी से रगड़ने से, कुछ अलग अहसाह हुआ था, पता नहीं कुछ अच्छा सा था, पर टेंशन भी था की सब ठीक हो, शादी नहीं हुई थी, क्या होगा, अगर कुछ हुआ थो, कैसे बोलूंगी माँ को?
अचानक , दरवाजा बजा...... बाथरूम का।
मेरे हाथ से पानी का मग नीचे गिर् पड़ा, और एक आवाज निकल गई, डर से. बाहर मेरी सहेली थी दरवाजे पर , बोल रही थी -
सहेली - निहारिका, अरे सो गयी क्या ? कितनी देर से अंदर है, क्या कर रही है? बाहर आ मुझे भी सु -सु करना है.
मैं - चिल्ला मत, आ रही हूँ, साली तू ने मुझे डरा ही दिया।
अब , क्या पहेनू पैंटी तो गीली थी, आखिर हार के , सिर्फ सलवार ही पहनी और खोल दिया दरवाजा।
सहेली - क्या कर रही थी तू,, हंसती हुई बोली।
मेरा चेहरा देखने लायक था, तभी वो मुझे बाहर ढलती हुई बोली, जा आ रही हूँ मैं, या रुकेगी, देखना है. ही, ही, ही,
मैं - जी, नहीं। जा रही हूँ , जल्दी आना.
बाहर जाते हुए , उफ़ पैंटी तो अंदर ही रह गयी, और यह पूरी कमीनी है, इसे अच्छी से जानती हूँ, पक्का देख लेगी। अब. उफ़ क्या परेशानी है....
तभी माँ की आवाज आयी, निहारिका हो गया तेरा , और वो कहाँ है?
मैं - आयी , माँ। वो भी आ रही है, सु -सु करके।
माँ - इतनी बड़ी हो गयी, इतना जोर से बोलते हैं क्या , सबको सुंनना है, की एक जौवन लड़की सु-सु कर रही है. पागल, कुछ ध्यान रखा कर. आजा. खाना लगा.
मैं - हम्म, [और क्या बोलती] पैंटी का टेंशन दिमाग मैं चल रहा था की वो आ गयी बाहर। जैसे कुछ हुआ ही नहीं, उसे कुछ दिखा ही नहीं।
बैठ गयी टेबल पर खाने के लिए , हम भी बैठ गए ,फिर शुरू हुई दोनों की बाते , खाना कम बाते जयादा।
हम औरतो का पेट तो बातो से ही भर जाता है. अब क्या करे अगर बाते न करे तो. आप ही बताइए आखिर हम औरते हैं न..... और यह थ्रेड भी तो बातो के लिए ही बनाया गया है....... जी भर के बाते , चुगलियां, खट्टे - मीठे - चटपटी , एकदम बघार डाल कर.
हम्म, तो दोनों बाते कर रही थी, और मैं चुपचाप खाना खा रही थी, और मैं टेंशन - ए - पैंटी मैं थी. अचानक , सहेली बोली -
सहेली - निहारिका, तू बोलती क्यों नहीं कुछ, अरे कल के फंक्शन के बारे मैं, सुमन भाभी के बारे मैं ,
मैं - हम्म, बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.
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इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका