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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
फिर वो गयी अंदर, वो "सीटी" की आवाज आयी, इसकी कुछ अगल सी थी, खुली हुई. यह तो पूरी बेशरम है. 

बाहर से - मैं बोली नल तो चालु कर ले , पागल।

नहीं किया, उसने, मज़ा आ रहा था, मूज़े चिढ़ाने मैं.  फ्लश चालू  करके हँसते हुए बाहर आयी।  पागल।

सहेली - चल अब। ..

मैं - हम्म, फिर बोली , कितनी बेशर्म हो गयी है आज कल तू. 

सहेली - मेरी चिड़िया , चल तू भी देख ले। ....  आजा।  

..............................

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,


 मेरी सहेली एक औतरत बन चुकी थी, एक लड़की औरत शादी के बाद बनती है पर वो शादी के बाद के सारे काम कर चुकी थी, थोड़ा बदमाश और बोल्ड या यु कहो "खुल" गयी थी. उसे पता चल गया था की उसके "पास" क्या है. 

होता तो हर लड़की के पास "वो" ही है पर उसे मालूम शादी के बाद ही चल पता है.जब साजन धीरे - धीरे एक के बाद एक सरे "छेद" खोल देते हैं. फिर बच्चे के बाद औरत सम्पूर्ण हो जाती है. एक अलग एहसास होता है, बचे के बाद, उसे उसका घर और बच्चे ही दीखते हैं, आदमी जरूरी होता है पर मन, घर और बचो मैं ही लगा रहता है. 

औरत की पहचान कभी होती ही नहीं, मायके मैं, फैलाने की बेटी, ससुराल मैं इसकी बहु, उसकी पत्नी, मिसेज *** मैं यहाँ कोई सुर्नामे नाही लुंगी ताकि किसी को कोई आपत्ति न हो, बाद मैं गुड़िया की मम्मी। .. और बस। 

हम्म, यह बाते तो होती ही रहेंगी अब आगे की कथा.

मैं, भी उत्सुक थी की वो मोबाइल मैं क्या दिखाने वाली है, हम्म, अंदाजा तो था की कुछ गरम ही होगा मेरा आधा - अधूरा ज्ञान और उस पर सवालो का पहाड़ बैचनी बढ़ा रहा था. अब मई आगे होकर कैसे बोलती उसे. तो मैंने बात बनायी 

मैं -  यह जूनियर भी न, पागल है, साली को पता नहीं चला की पीरियड्स आने वाले हैं, दर्द नहीं हुआ था क्या। और एक आध पैड्स साथ रख ले तो क्या बिगड़ जायेगा उसका।

सहेली - अरे जाने दे न, हो गया न उसका काम , दे दिया न तूने पैड्स।  अब मेरा मूड मत बिगाड़,  साली की "च **" मस्त थी. एकदम टाइट। करारी।

मैं - साली, क्या बोल रही है. पागल है , बेचारी की  प्रॉब्लम थी और तुझे मज़ा आ रहा है. 

सहेली - मेरी भोली चिड़िया , तुझे नहीं पता कच्ची जवानी और टाइट "वो" जायदा दिन तक नहीं टिकती , लूट जाती है. और उसके जोबन देखे थे देखना , क्या मस्त मर्द मार बनेगी कुछ दिनों मैं. 

मैं - पागल, कुछ भी बोलती है, अरे अभी आयी है कॉलेज मैं।  हँ। .

सहेली - अब चल कही बैठते है, फिर , , , ही , ही 

मैं - अच्छा चल, और हसना बंद कर. 

सहेली - अच्छा मेरी माँ, चल। 

फिर हम दोनों कैंपस के गार्डन मैं जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए, कुछ स्टूडेंट्स थे वहां पर दूर , आस - पास कोई नहीं था। 

मेरी सहेली ने अपना मोबाइल चालू किया, उसमे एक मूवी थी, कोई इंग्लिश मूवी थी अब नाम तो याद नहीं रहा, उसमे एक लड़की जो शायद हेरोइन थी  मूवी की,  रेड ड्रेस मैं थी सिंगल पीस वाओ कितनी अच्छी ड्रेस है मैं बोली,  फिर कुछ देर मैं  एक आदमी आया वो उसके साथ चल दी , रास्ते मैं उस आदमी ने रेड फ्लावर का गुदस्ता खरीद के दिया उसे कितना रोमांटिक था सब. फिर लड़की ने लिप किस किया उसे.

इतना देख कर, मेरा मुह लाल, शर्म से , उसने किस करते हुए उसके जोबन दबाये ,  फिर तो मेरी हालत देखने लायक थी. मैंने अक्सर इतना ही देखा था और इस से ही गरम हो जाती थी, सोच के कभी मेरे साथ भी ऐसा होगा। रेड ड्रेस - रेड फ्लावर और सपने। 

आगे, वो दोनों कार मन बैठ गए और फिर किस, अगले सीन मैं दोनों बैडरूम मैं थे , लड़की के हाथ मैं फ्लावर्स  फिर वो दोनों किस कर रहे थे. किस करते हुए आदमी ने लड़की की ज़िप खोल दी पीछे से और ब्लैक ब्रा दिखने लगी कुछ  ही देर मैं वो लड़की ब्रा - पैंटी मैं थी, वाओ पतली सी पैंटी जिसमे लैस लगी थी ब्लैक उसके गोर जिस्म पे बालक कलर कितना फब रहा था, फिर उस आदमी ने फ्लावर हाथ मैं लिए और झट के सारे फ्लावर्स तोड़ के बिस्तर पर फैला दिए  देख कर लड़की हंसने लगी और दोनों एक बार फिर किस करने लगे.

उफ़,  लिखते हुए आज भी मेरी हालत उस दिन जैसे ही हो रही है,  मौका था जब मैं कोई "गरम" मूवी देख रही थी , नहीं तो मैं फिल्मो मैं हीरोइन के बाल, उसकी ड्रेस , सारी , ब्लाउज की डिज़ाइन , लिपस्टिक का कलर बस यही सब देखा करती थी.

फिर लड़की आगे बढ़ कर बेड पर लेट गयी सिर्फ ब्रा - पैंटी मैं, आदमी अपनी शर्ट उतारने लगा, उसे देख कर लड़की ने अपनी एक ऊँगली अपने होटों मैं दबा ली, आदमी का मस्त चौड़ा सीना था, शायद कसरत करता होगा, फिर उसने अपनी बेल्ट खोली, लड़की उठ के बेड  के किनारे आ गयी और उसे देखने लगी स्माइल देते हुए

मैंने सहेली को कहा ,  बंद कर इसे, अब नहीं देखा जा रहा , मुझे कुछ हो रहा है.

सहेली -  उफ़,यह क्या तू तो पूरी लाल हो गयी है, पसीना, और तेरा जोबन - तेरी साँसे एकदम चढी हुई है, क्या हुआ तुझे। तू ठीक है न। 

मैं - पता नहीं, कुछ हो रहा है, नीचे भी गीला है , कही पीरियड्स तो नहीं।  

सहेली - पागल , ऐसा कुछ  नहीं , तू गरम हो गयी है. होता है. तूने पहले कभी देखि नहीं यह मूवी।

मैं - दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए , नहीं। 

मेरा हाल, न उठते बना जाए , न बैठे रहा जाये।  कुछ देर मैं , ठंडक हुई, कुछ देर मैं  फिर मैं बोली, यार अब घर जाती हूँ.   हो गया आज का कॉलेज।

सहेली - हम्म, ठीक है. एक काम कर, इसे  मोबाइल मैं ले ले बाद मैं देख लेना , रात को। 

मैं, खुद भी यही चाहती थी, पर बोलती कैसे , पर उसने ही बोल दिया यह अच्छा हुआ।  किया मैंने "नाटक", औरतो की आदत जो है, नहीं, नहीं मुझे नहीं चाहिए , घर मैं ऐसा हुआ तो माँ मार ही डालेगी।

सहेली - मेरे सर पर हाथ फेरते हुए , मेरी भोली चिड़िया , इसमें सब है, तेरा "मूड्स" भी. ,ही  ही  

और क्या तू अपनी माँ के साथ देखने वाली है यह ?

मैं - पागल है क्या , मरना है। 

सहेली - ला, तेरा फोन दे.

फिर मेरी सहेली ने मेरा फोन लिया और कुछ करने लगी, और मैं यह सोचने लगी की कब देखूंगी इसे , कही माँ को पता चल गया तो. कुछ देर बाद  मेरी सहेली बोली - 

सहेली - ले , बन्नो, आराम से देखना , कुछ गलत नहीं है, लड़की को पता होना चाहिए सब. 

मैं - हाँ, बड़ी आयी मास्टरनी। 

सहेली - पर अब घर कैसे जाएगी , बस मैं ?

मैं  हाँ, और क्या ? हवाई जहाज थोड़ी न आएगा मुझे लेने। 

सहेली  - मेरी जान, मैं हु न , मैं छोड़ देती हूँ तुझे। चल 

मैं - हम्म, ठीक है.  पर ठीक से , शैतानी नहीं बिलकुल।

मेरी सहेली माँ को भी अच्छी लगती है, दोनों मैं खूब पटती है, बाते - ही बाते सुबह से शाम तक`करवा लो दोनों नहीं थकती।  

फिर मैं और मेरी सहेली उसकी स्कूटी पर बैठ गए और घर की और चलने लगे, रास्ते  याद आया  की,यह कुछ बताने वाली थी, आज लेट क्यों आयी? 

मैं - साली, तू कितनी चालक है,  अपनी बात गोल कर दी. बताया नहीं तू लेट कैसे आयी आज?

सहेली - हम्म, अच्छा याद दिलाया, तूने, देख कही मेरे घर से कोई फ़ोन आये तो कहना मैं तेरे साथ  कल से।  समझी। 

मैं - नहीं समझी , क्या मतलब मेरे साथ , कल कहाँ थी तू मेरे साथ, और कल तो मैं एक फंक्शन मैं थी. 

सहेली - पागल, मैं भी तेरे साथ थी, फंक्शन मैं, बस इतना समझ ले. बाकी बात मैं बाद मैं आराम से बाटूंगी। 

मैं - प्रसाद है, जो बाटना। 

इतने मैं हम लोग घर पहुंच गए, माँ बहार ही थी, कुछ कपडे सूखाती हुई दिखी , अरे **** [मेरी सहेली का नाम ] कैसे आयी आज. कैसी है ,  .कॉलेज कैसा है.

सहेली - हम्म, ऑन्टी सब ठीक. क्या बनाया है आज, बड़ी भूक  लग रही है.

मैं  -  हाँ, माँ, आगयी आपकी सहेली, खिलाओ इसे , सदियों से भूकी है. भुक्कड़ कही की.

सहेली - तू क्यों इतना जलती है, माँ है मेरी। क्यों। है न माँ.

मैं - वाह ,  आ गयी तेरी एक और बेटी माँ. कितनी खुशनसीब है, ही, ही.

माँ - सही तो  बात है,  मेरी बेटी है, और बेटी वाले खुशनसीब ही होते हैं. समझी।

सहेली - यह तो ऐसे ही जलती है, और  सुनाओ, सुमन भाभी कैसे है. 

माँ - हम्म, सुमन भी याद करती है तुझे। ठीक ही वो. आयी .थी कल।
 
मैं - लो , अब हो गयी शुरू दोनों।  अब तो मरे। .. भूके  हो ली इन दोनों की बाते ख़तम. 

इतना कह कर मैं बाथरूम मैं जाने लगी। ........

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 28-04-2020, 11:17 AM



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