19-02-2019, 09:07 AM
(This post was last modified: 14-01-2021, 11:45 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
यद्यपि पिछ्ली रात मैंने तय किया था कि अब उससे अब किसी भी प्रकार के यौन सम्बंध नहीं रखूँगी ,किन्तु लगातार साड़ी के ऊपर से अपने नितम्बों के मध्य लगातार उसके लिंग का अनुभव तथा लगातार स्तनों के मर्दन के कारण धीरे -धीरे अपना प्रतिरोध कमजोर पड़ता महसूस कर रही थी उसके चुम्बनों ने मेरी भवनाओं को सुलगा दिया और मुझमें और अधिक पाने की अपेक्षा उमड़ने लगी l
उसके स्पर्श का प्रतिरोध धीरे धीरे कमजोर पड़ता गया और यह इच्छा बलवती होने लगी कि वह मेरे बदन का हर सम्भव तरीके से उपभोग कर मेरी दमित इच्छाओं की और भड़काए और उन्हे किसी प्रकार से शांत करे l
अब मैंने अपनी बाहों से अपने ब्लाउज से उभरे वक्ष को छुपाने का कमजोर सा प्रयास किया ,उसके हाथ मेरी बाजुओं के नीचे से मेरे स्तनो दबाए हुए थे l तब उसने पीछे से मेरी गर्दन को पुनःचूमना शूरु कर दिया और ब्लाउज के ऊपर से मेरी खुली पीठ को अपने होंठों से छू कर मेरी दबी आग को भड़्काने लगा उसका सिर ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था और उसके होठ और जीभ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और उसके हाथ बदस्तूर मेरे वक्ष का मर्दन कर रहे थेl
उसके स्पर्श का प्रतिरोध धीरे धीरे कमजोर पड़ता गया और यह इच्छा बलवती होने लगी कि वह मेरे बदन का हर सम्भव तरीके से उपभोग कर मेरी दमित इच्छाओं की और भड़काए और उन्हे किसी प्रकार से शांत करे l
अब मैंने अपनी बाहों से अपने ब्लाउज से उभरे वक्ष को छुपाने का कमजोर सा प्रयास किया ,उसके हाथ मेरी बाजुओं के नीचे से मेरे स्तनो दबाए हुए थे l तब उसने पीछे से मेरी गर्दन को पुनःचूमना शूरु कर दिया और ब्लाउज के ऊपर से मेरी खुली पीठ को अपने होंठों से छू कर मेरी दबी आग को भड़्काने लगा उसका सिर ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था और उसके होठ और जीभ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और उसके हाथ बदस्तूर मेरे वक्ष का मर्दन कर रहे थेl
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.