27-04-2020, 05:25 PM
रुक , तुझे दिखती हु, उसने अपना मोबाइल निकला और कुछ खोजने लगी उसमें। वो कुछ दिखा पाती, उससे पहले , एक लड़की आँखों पर चश्मा लगाए , चार किताबो से अपने जोबन दबाये हमारे पास आ गयी, बोली -
बॉस, एक काम था, आपसे।
हमारी जूनियर थी। .....
मैं - हम्म, बोलो। क्या काम है.....................
.............................
प्रिय सहेलिओं ,
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,
अब आगे ,
मेरी विनिती। ..... इस फोरम की और भी औरतो लड़कियों से जो चुप चाप सब पढ़ के चली जाती हैं, अपनी बातो और इच्छाओ को अंदर ही दबा लेती हैं, अरे .यही तो हमलोग करती आयी हैं जीवन भर , चुप रहो - .सब सहो.
हाँ , कुछ लोग हिम्मत कर के कुछ कह सके हैं यहाँ, जो की कबीले तारीफ है, दिल मैं दबी हुई बात भीगे कपडे की तरह होती हैं, दर्द टपकता रेहता है, और कपडा सुख नहीं पाता वो भरा ही रेहता है - भारी ही रहता है.
यह आपका अपना आँगन है , कर दो दिल हल्का, जीवन मैं नई बातो के लिए जगाह बनाओ, पुराणी बातो को दिल मैं भर के बैठे रहोगे तो नई बाते के लिए जगह नहीं मिलेगी।
हजारो लोग इस फोरम पर आते है, सुबह - से शाम तक , भटकते हैं, इस थ्रेड से उस थ्रेड पर अपने मन को शांत करने, पर अकेले हैं, सब। मेरी कोशिश यही है की सभी आपस मैं जुड़ जाए, बात करे , अनुबह्व बांटे। ....... यादो को ताज़ा करें।
हम्म, वो जूनियर आयी हमारे पास , मेरे बात करने का उससे कोई मूड नहीं था मूड तो "मूड्स" देखने का था। पर क्या कर सकते थे सर पर ही आ मरी थी वो.
जूनियर - बॉस, एक काम था। .............
हम्म ,
मैं बोली - हां , बोलो क्या काम है? कोई नोट्स या
जूनियर - बॉस, ऐसा है की , वो मैं , अब कैसे कहु ,
सहेली - अब बोल भी दे, कौन सा आई लव यू बोलना है, ही. ही।
जूनियर - नहीं, बॉस ऐसा नहीं है, वो
सहेली - किसने कहा तुझे, सीनियर ने, क्या काम बोलै जल्दी बता , ब्रा की साइज , पैंटी का कलर ? क्या ?
जूनियर एकदम घबरा गयी थी, माथे पर पसीना , होंठ सुख चुके थे , किताबे बस गिरने वाली थी.
मैं - अरे , बोल न कुछ नहीं होगा, तू सेफ है , हम कुछ नहीं करेंगे। चिंता मत कर.
फिर वो किताबे टेबल पर रख देती है, उसके जोबन उसके जिस्म की साइज से बड़े थे , हाइट काम थी उसकी हमारे हिसाब से पर लग मस्त रही थी, हम दोनो की हाइट अच्छी थी वो हमारे कंधे तक ही आती, लगभग।
जूनियर - बॉस , मेरा पीरियड आ गया है, और मेरे पास पैड्स नहीं है, क्या आप.....
मैं - उफ़, कुछ न बोल पायी, बस उसे देखती रही.
सहेली - साली, नाटक करती है, किसने बोलै तुझे। हम से पैड्स लेने के लिए. बता जल्दी।
जूनियर - नहीं , बॉस किसी ने नहीं बोला।
सहेली - झूठ , बिलकुल नहीं।
मैं - रुक तो, सहेली को रोकते हुए।
सहेली - अरे कुछ नहीं, इसे टास्क दिया होगा किसी ने. इधर आ.
सहेली, जूनियर को खींचते हुए अलग साइड मैं ले गयी, बुक्स की आखरी रैक के पास ,
मैं उसे देखती ही रह गयी, दोनों वहा खड़ी थी, फिर मेरी सहेली ने उसकी टैंगो के बीच मैं हाथ डाल दिया। मैं यह देखकर उठी और उनके पास गयी, साली यह क्या कर रही है, ओपन मैं।
वहां जाकर देखा, जूनियर की आँख बंद थी, सहेली का हाथ उसकी पैंटी मैं था , जब उसने हाथ निकला , तीन उंगलियॉं "लाल" थी.
मैं - उफ़, तुझे भी चैन नहीं है, ले अब, ठीक। यह क्या किया , बेचारी बोल तो रही थी.
सहेली - अब , जूनियर है, कोई परेशां कर रही होगी। मुझे क्या पता सही मैं, सॉरी यार.
जूनियर - ठीक है बॉस, होता है, कन्फूशन मैं।
मैं - जूनियर से, तू चल मेरे साथं।
मैंने अपने बैग लिया और उसके साथ बाथरूम मैं चली गयी. वहां, कई लड़कियॉं थी, कुछ "सीटी" की आवाजे भी आ रही थी. मैंने एक रूम खोला तो वो खली था, मैंने उसे अपने बैग मैं से पैंटी - पैड्स दोनों निकल के दिए और बोला ले चेंज कर ले.
जूनियर- बॉस, आपकी बड़ी मेहेरबानी , आज आपने बचा लिया , नहीं तो घर जाने तक की मुश्किल हो जाती।
तभी मुझे बस वाली औरत की बात याद आयी, एक औरत ही दूसरी औरत के काम आती है.
मैं - कोई नहीं, अब से कोई बॉस, नहीं। फ्रेंड्स बस.
कुछ देर मैं वो बाहर आयी, क्या बताऊ, उसकी आँखों मैं जो ख़ुशी थी , वो हजारो रुपए देने से भी नहीं मिलती। वो आयी और मुझ से गले लग गयी, बोली , थैंक्स।
तभी मेरी सहेली हमे खोजती हुई बाथरूम तक आ गयी थी.
सहेली - ओह, ओ बड़ा प्रेम निकल रहा है. दोनों मैं. कुछ सेट तो नहीं हुआ दोनों मैं. कॉलेज के बाद. ही ही।
मैं- तू कमिनी ही रहेगी। कुछ नहीं हुआ ऐसा. अब यह छोटी बेहेन तरह है, मेरी।
जूनियर - थैंक्स , दी।
मैं - अच्छा अब जा। कुछ काम हो तो बता देना आगे से , शर्माने की कोई जरूरत नहीं है.
फिर वो चली गयी बाहर, सहेली बोली - अब मैं कुछ कर लू. तू रुकेगी या जा रही है उसके पास।
मैं - कर ले, साली।
फिर वो गयी अंदर, वो "सीटी" की आवाज आयी, इसकी कुछ अगल सी थी, खुली हुई. यह तो पूरी बेशरम है.
बाहर से - मैं बोली नल तो चालु कर ले , पागल।
नहीं किया, उसने, मज़ा आ रहा था, मूज़े चिढ़ाने मैं. फ्लश चालू करके हँसते हुए बाहर आयी। पागल।
सहेली - चल अब। ..
मैं - हम्म, फिर बोली , कितनी बेशर्म हो गयी है आज कल तू.
सहेली - मेरी चिड़िया , चल तू भी देख ले। .... आजा।
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इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका