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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
अच्छा अब मैं चली हूँ , सुन्दर हो , जवान हो जल्दी कर लेना शादी, औरत पूरी हो जाती है बच्चे के बाद..

मैं - जी, [ और क्या बोलती] 

वो उठी , मैंने उसे सहारा दिया उठने मैं, मेरा हाथ उसके पेट से जा लगा, उसने मुझे देखा और हलकी सी स्माइल दी, फिर धीरे से बोली, मैं लड़की चाहती हूँ, पता नहीं क्या होगा, तुम जैसे सुन्दर लड़की।  

मैं - शर्म से लाल , कुछ न बोल पायी, फिर वो धीरे से बस मैं से उतर गयी, और मुझे देखती रही, जब तक बस न चल दी. और मैं भी उसे। ..........

 ......................

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

आज लिखते हुए अपनी सखियों की कमी महसूस हो रही है , कोमल जी, कुसुम जी, पूनम  जी, विद्या जी  एक लगाव सा  हो गया है आप सब से. आपकी दो लाइन भी तरंग - उमंग ला देती, "जी" खुश हो जाता है, वैसे तो हम सभी औरतो की हालत एक जैसे ही है पर गुंजारिश है की जब भी समय मिले बस अपनी उपस्तिति दर्ज करवा दो , दो लाइन प्यार भरी ही काफी है इस समय "जीने" के लिए। 

मेरी विनिती। ..... इस फोरम की और भी औरतो  लड़कियों से जो चुप चाप सब पढ़ के चली जाती हैं, अपनी बातो और इच्छाओ को अंदर ही दबा लेती हैं, अरे .यही तो हमलोग करती आयी हैं जीवन भर , चुप रहो - .सब सहो.

यह आपका अपना आँगन है , मेरी कहानी [ जो लगभाग] सच्ची है, कुछ नाम  नहीं लिए है, कुछ लिए भी है जो जरूरी थे।  जो भी हो, मैं जरूरी नहीं हु, आप लोग जरूरी हो, आपका साथ - आपका प्यार जरूरी है।  आप हो तो मैं हु.

कल हो न हो, "जी" लो आज मैं, वैसे भी औरतो को "जीना" कहाँ नसीब होता है अपने लिए , सारी  जिंदगी पति, बच्चो, घर और बाकि घरवालों की सेवा मैं ही निकल जाती है.

यहाँ तक "मरते" हुए अगर औरत से पूछ लो की कुछ कहना है,  तो वो शायद, पति या बच्चो की ही बात करेगी। अपनी नहीं।

विनती, सभी औरतो - लड़कियों से , आओ अपने दिल की बात शेयर करो. "जी' लो अपनी जिंदगी। ऑनलाइन ही सही.

.....
जवान हो जल्दी कर लेना शादी, औरत पूरी हो जाती है बच्चे के बाद..

मेरा कॉलेज कुछ दूर था लगभग दस - पंद्रह मिनट , मेरी आँख बंद थी , बस चल रही थी खिड़की से हवा आती हलके से दुपट्टा उड़ जाता जोबन से मैं आँख बंद किये ही उसे ठीक कर लेती, लड़कियां कर लेती है -  हो जाता है अपने आप, आदत सी हो जाती हैं. लड़कियां दुपट्टे को ठीक कर जोबन ढाक ही लेती हैं आखिर जमाना ख़राब है जी.

उस औरत के पेट का अहसाह मेरी उंगलिओं पैर अब भी था , कैसा गोल - उभरा हुआ,  अंदर बच्चा, कितना ध्यान रख रही थी उसका ,  कल भी गोद - भराई मैं उसका पेट इससे जायदा बड़ा था , हम्म, इसका छठा महीना चल रहा है, बोली थी, कल उसका आठंवा था। वहां औरते डेट तो अगले माह की निकाल रही थी मतलब नौ महीने तक, पर उसके बाद. बच्चा , पर पेट से बहार कैसे आता है. अचानक 'मूड्स" का ध्यान आ गया , इतने मैं बस वाला बोला - मैडम आपका कॉलेज आ गया , उतरना है या आगे जाना है.

मैं -  हाँ, भैया , रुकवाओ बस. 

फिर मैं बस से उतर गयी, और कॉलेज की और चलने लगी ,  फिर सोचा की टाइम कितना हुआ, जाऊ या नहीं क्लास मैं, आधी - ख़तम  हो गयी होगी। रहने दो, आज वैसे  भी मन अजीब सा है.

फिर सोचा कैंटीन जा कर चाय पी लेती हूँ , कुछ आराम आएगा शायद। मेरी सहेली का ध्यान आया, बहुत कुछ पूछना था, पत्ता नहीं आयी या नहीं आज.  सोचती हुई कैंटीन की और चल दी, वहाँ  जाकर टेबल पर बैठ गयी, कैंटीन वाला आया , बोलै क्या लाऊ ?
मैं -  एक चाय, बस.

कैंटीन वाला - समोसे भी  हैं, एकदम गरम  ले आउ एक प्लेट। 

मैं जायदा बात करने की मूड मैं नहीं थी, उसे भागने के लिए , बोल दिया -   ठीक है.

वो  गया, और  पांच मिनिट मैं ले आया चाय और समोसे। सही कह रहा था गरम थे समोसे, गरम तो मैं भी थी, पर कारण नहीं पता था, - सवाल ही - सवाल जिनका जबाब नहीं पता , और पूछ भी नहीं सकती , शर्म के मारे. 

अजीब सी घुटन , कही मन न लगे. आस पास क्या चल रहा है, कुछ नहीं पता. यु तो कॉलेज की  काफी चहलपहल होती है, पर आज न जाने क्यों कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.

मैं समोसा खा रही थी, इतने मैं गेट से मेरी "कमिनी  सहेली " आती दिखाई दी, साली क्या मस्त लग रही थी [ गाली - निकल ही गयी थी उस समय, "सच्ची" जब कोई लड़की आपसे अधिक सुन्दर लगती है तो जलन से गाली निकल ही जाती है.]

हलके आसमानी सूट मैं थी, टाइट चूड़ीदार उस पर वाइट और आसमानी  दो रंग का दुपट्टा वो भी गले से चिपका हुआ, जोबन उफ़, कोई ऐसा नहीं था जिसने उसके जोबन न देखे हो, मैं भी शामिल थी. अब झूठ क्यों कहना , 38 - C थे। 

बहुत हुआ, कामिनी  सहेली पुराण, अब  बस. जलन हो रही है, अभी भी , ही ही, औरत हूँ न. औरते कुछ नहीं भूलती।।

मुझे अच्छे  से याद है, उसके इसी सूट को देखकर , मैंने भी ठीक ऐसा सूट सिलवाया था उसके टेलर से. तब जाकर ठंडक मिली थी. 

हाँ, तो आ गई, सीधा मेरे पास, बोली, 

सहेली - निहारिका , तू यहाँ, क्लास में नहीं  गयी?

 मैं - मैडम जी खुद लेट हैं और मुझे से सवाल ?  तू कहाँ थी अब तक ? 

सहेली - अकेले समोसे खा रही है, मुझे नहीं खिलाएगी साली।

 मैं -  तो खा ले न , कुत्ती , मर क्यों रही है. 

सहेली - तूने "सच्ची ", कहा   आज तो मैं "कुत्ती" ही बानी हुई थी.

-मैं  - क्या, ?

सहेली - कुछ नहीं, समोसे माँगा , जल्दी। 

-मैं  बैठ तो सही, 

फिर मैंने समोसे और चाय के लिए ।बोल दिया  कैंटीन वाले को.

मैं - हम्म, अब बता कहाँ थी.

सहेली - अरे लम्बी कहानी है,  मज़ा आ गया।  "सारे खुल गए "  आज तो.

मैं - तू कामिनी ही रहेगी , साली बता न. 

सहेली - पहले तू बता , आज यहाँ कैसे ?

मैं - अरे कुछ ख़ास नहीं, सुबह स्कूटी पंचर  फिर बस मैं आयी।  और क्या। 

सहेली - मैं सोची ,........ ही ही कुछ और ही चक्कर।

मैं - पागल। कुछ भी. तू बता क्या बात हुई, इतना खुश क्यों लग रही है. 

सहेली - खुश ? सारा बदन टूट रहा है, साले ने जम के ली मेरी। 

मैं - क्या , कुछ बतायेगी या मैं जाउ.  अगली क्लास , शुरू होने वाली होगी। नहीं तो कॉलेज आना बेकार हो जायेगा आज का.

सहेली - आज क्लास छोड़, समोसा खाते हुए बोली। 

मैं  - हाँ, जी, क्यों नहीं। एग्जाम मेरा काका जी देंगे। 

सहेली - [ समोसा ख़तम करते हुए बोली]  बताती हूँ न सब, रुक तो। 

मैं भी कहाँ जाना चाहती थी आज क्लास मैं, मुझे  भी तो पूछना था उस से. पर "नखरे" पुरे। [ औरत हूँ न - नखरे न करू - नामुमकिन , क्यों सहेलिओं सही कहा न  

 हम्म,ठीक है, बोल.

सहेली - पागल , यहाँ नहीं। कही और चलते हैं. 

मैंने सोचा, ठीक ही तो कह रही है, और कोई आ गयी तो बात भी नहीं होगी।   फिर मैंने कहा - ठीक है 

फिर हम लोग चाय - समोसा ख़तम कर के निकल आये कैंटीन से ,  मैं बोली -  हम्म,  अब बता कहाँ चले ?

सहेली - हम्म, लाइब्रेरी चले ?

मैं - ठीक है, कोई नहीं होगा अभी तो वहां।  

फिर हम दोनों, लाइब्रेरी की तरफ चल दिए , मेरे जोबन उस से थोड़े छोटे थे पर हम दोनों खूबसूरत थी रास्ते मैं सब लोगो की नजर "नज़ारे" देख रही थी, हम दोनों ने दुपट्टे को एकदम गले से चिपका लिया था , मैंने एक हाथ मैं लपेट लिया था ताकि उड़ न जाये चलते हुए। 

हम पहुँच गए लाइब्रेरी , देखा की वहां जायदा भीड़ नहीं थी, कुछ किताबी कीड़े लगे हुए थे किताबो मैं।  मैं ठीक थी पढ़ई मैं, पर किताबी - कीड़ा नहीं थी.

मैंने कहा - चल पीछे बैठते हैं. 

सहेली - हम्म, चल. 

फिर हम , बैठ गए, वो बोली -  मज़ा आ गया आज तो।  तोड़ दिया मुझे। 

मैं  - साली बता रही है, या जाऊ मैं.

सहेली - रुक तो. सांस तो लेने दे. 

फिर मैं अचनक् बोली  रुक। 

मुझे  मालूम थी की यह बड़ी बातूनी है, बात को बढ़ा - चढ़ा कर मसालेदार बना कर बताती है. और यह अगर शुरू   हो गयी तो मेरी बात रह जाएगी।

सहेली - क्या हुआ ?

मैं - कुछ पूछना है, पहले मैं।  फिर बताना अपनी कथा.

सहेली - हाँ मेरी जान, पूछ न क्या हुआ. सब ठीक.

मैं - हम्म, वैसे तो ठीक ही है. पर कुछ सवाल हैं जो परेशां कर रहे हैं, तू किसी को बताना नहीं. 

सहेली - पागल है क्या  तू, मैं किसी को नहीं बोलती, और तू तो मेरी जान है, पक्की वाली। 

मैं -  हम्म, यार , वो , आज बस मैं। ....

सहेली - क्या हुआ, किसी ने कुछ दबा दिया क्या?

मैं  - साली , तेरे को यही सूझता है,  सुन तो।  

जब मैं बस के लिये वेट कर रही थी, तो बस स्टॉप पर एक औरत आयी, उसका पेट निकला हुआ था, वो मेरे पास आकर बोली बहन मेरी हेल्प कर दो बस मैं उतरने - चढ़ने मैं।  फिर वो मेरे साथ ही बस मैं बैठ गयी थी, एक - दो बार मेरा हाथ उसके पेट पर भी लगा था, बड़ा अजीब सा अहसास था , पेट इतना बड़ा  हो जाता है, कल भी मैं एक फंक्शन मैं गयी थी, जाना तो माँ को था पर  'वो वाली" प्रॉब्लम की वजह से मुझे जाना पड़ा. "गोद - भराई"  फंक्शन था, वहां भी उस औरत का पेट काफी निकला हुआ था,  वो बहुत खुश थी, और सब लोग भी. मैंने वहां मेहँदी भी लगवाली देख.

सहेली - वहा, मस्त रची है. कितनी खूबसूरत बनायीं है. सच.

मैं - हम्म, तो एक बात कर हैं, वहां सुमन भाभी कह रही थी, पिंकी भाभी को आज बिना "मूड्स" के करवा ले।  अब "मूड्स" क्या होता है. इसका करना क्या होता है ?

सहेली - तुझे और कोई नहीं मिला , मेरे सिवा "चु**" बनाने को. 

मैं - पागल है, सच कह रही हु, मुझे जायदा नहीं पता. तू बता न.

सहेली - अरे मेरी भोली चिड़िया , मैं  भी तो यही बताने लायी हूँ.

मैं - मतलब। ??

सहेली - सुन, "मूड्स" एक कॉन्डम होता है, उसे मर्द के "उस" पर लगते हैं, और फिर "सम्भोग" करते हैं, "समभोग"  लिख रही हु, वो कामिनी तो सीधा "च ***" ही बोली थी।  इसे लगा के  "नीचे वाली मुनिया" मैं डाल देते हैं. इससे बच्चा होने का खतरा नहीं रहता लड़की को. नहीं तो अब तक मैं कितने बच्चो की माँ बन चुकी होती , ही ही। .

फिर वो बोली।  

रुक , तुझे दिखती  हु, उसने अपना मोबाइल निकला और कुछ खोजने लगी उसमें।    वो कुछ दिखा पाती, उससे पहले , एक लड़की आँखों पर चश्मा लगाए , चार किताबो से अपने जोबन दबाये हमारे पास आ गयी, बोली - 

बॉस, एक काम था, आपसे। 

हमारी जूनियर थी। .....

मैं  - हम्म, बोलो। क्या काम है.....................

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 26-04-2020, 09:04 AM



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