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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
पिंकी - जी भाभी, आज देखती हूँ,  है आपके साथ.कौन है, नयी शादी हुई है क्या , सिंदूर - चूड़ा दिख नहीं रहा। 

सुमन भाभी - अरे यह, कुंवारी है, एकदम कच्ची कली।  इसकी माँ की तबियत जरा ख़राब थी,  तो इसे भेज दिया। गिफ्ट देने।

मैं ० - चुप इनकी बाते सुन रही थी और हाथो मैं मेहँदी  लगवा रही थी. उफ़ क्या माहौल था, मस्ती - मज़ा , खाना - पीना, मेहँदी- संगीत , गीत, छेड़छाड़ , बच्चे की बाते, और यह नासपीटा "मूड्स" यह पीछा ही नहीं छोड रहा मेरा। 

 सुमन भाभी -  निहारिका। ........................ 


************

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

सुमन भाभी -  निहारिका। हो गयी तेरी मेहँदी ??

मैं - हाँ भाभी, देखो अच्छी है न। 

सुमन भाभी -  निहारिका, मस्त लगायी  है , मज़ा आ गया होगा लगाने  वाले को, ही, ही,ही 

मैं - भाभी , आप भो न ,  शर्मा के। 

मेहँदी लगवा के कुछ - कुछ हुआ था मुझे , जोबन टाइट और निचे गीली हुई थी अब कैसे बताऊ भाभी को, अगर बता दिया  तो समझ लो, "डाकिया डाक लाया"-  हो जायेगा। 

सो चुप रही. मैं थी तो बेवकूफ पर इतना तो देखा था की शादी से पहले मेहँदी ही लगाई जाती हैं दुल्हन को, और हाथो मैं मेहँदी मस्त रची थी, कलर भी अच्छा आया था. मैं कितनी खुश थी उस दिन जैसा लड़की शादी से पहले होती है. अपने सपनो मैं खोई, मैं भी यही सब सोच रही थी.

सुमन भाभी - अब चले , घर, नहीं तो तेरी माँ मेरी जान ले लेगी , कहाँ ले गयी मेरी बेटी को, सुमन। टाइम हो गया है, चल। 

मैं - हाँ भाभी , चालो। 

मैंने दुपट्टा ठीक किया जोबन पर और सब से नमस्ते कर के चले को तैयार , गिफ्ट तो दे ही दिया था मेहँदी लगवाने से पहले।

पर मन मैं काफी सवाल घुमड़ रहे थे , "गोद - भरई", "बच्चा", "पेट" कितना बड़ा था, कैसे संभल लेती है औरत, उफ़, क्या मेरा भी इतना बड़ा होगा ? उफ़, बाप रे. और अगर बच्चा हुआ तो वो कैसे होता हैं. दूसरी औरतो के दो - तीन बच्चे हैं पर उनका पेट, तो लगभग नार्मल ही है. हाँ थोड़ी मोटी  हो गयी है नहीं तो सब ठीक है. और यह नासपीटा "मूड्स", वो पिंकी भाभी कह रही थी की आज बिना मूड्स के , पर क्या करेंगी और उनकी पति मूड्स का क्या करते हैं.

घर मैं भी. मूड्स का पैकेट था , अब तो पूछना ही पड़ेगा, "मूड्स" के बारे मैं, सुमन भाभी , नहीं  बाबा मजाक बना देंगी सब लोगो मैं, सहेली से ही पूछ लेती हूँ कल.

तभी, मेरा हाथ पकड़ा सुमन भाभी ने, और बोला चले निहारिका। 

मैं - हम्म, [ एकदम होश मैं आयी] 

रास्ते मैं, सुमन भाभी का लाइव रेडियो चल रहा था , पूरी औरतो वाली बाते, 

सुमन भाभी - निहारिका, पता है तुझे, वो पिंकी पूछ रही थी तेरे बारे मैं, कौन है.

मैं - जी, भाभी फिर आपने क्या कहा.

सुमन भाभी - क्या कहती, "कच्ची - कली " हैं यही कहा. क्यों सही कहा न, कही "सब" हो तो नहीं गया , बिना "सिन्दूर" , ही ही 

मैं - शर्म से लाल, नहीं भाभी , कुछ नहीं।

सुमन भाभी - अरे , आज कल लड़किया बड़ी तेज़ हैं, "सब" करवा लेती हैं. और फिर देखो निखार। ब्यूटी पारलर वाले तरस जाते हैं लड़कियों के लिए. एकदम चिकन - सामन बन जाती हैं.

मैं - सच्ची भाभी। 

सुमन भाभी -  और नहीं तो क्या , अरे शादी शुदा को ही देख ले , वो पिंकी थी न , देखा था उसे। 

मैं - हाँ , भाभी सुन्दर थी.

सुमन भाभी -  सुन्दर, बस , उसके जोबन देखे, और पिछवाड़ा किसा गोल - मटोल हो गया है, "करवा" के.

मैं - भाभी, जोबन तो ठीक से नहीं देखे, पल्ले मैं थे साड़ी के, हाँ , पीछे से अच्छी थी.

सुमन भाभी -  "अच्छी" बस, ही ही, गज़ब थी, पहले देखती उसे , अरे दो  गली  छोड़ के मायका हैं उसका, बचपन से जानती हूँ उसे. तुज से भी कमजोर थी, अब देख कैसे जवानी आयी हैं, एक बच्चे के बाद भी मस्त है.

मैं - हमम. 

ऐसे ही बाते करते घर कब आ गया पता ही नहीं चला , तभी सुमन भाभी बोली।

सुमन भाभी -  निहारिका , आ गया तेरा घर, तुझे तेरी माँ को सोप दू तो मेरी जिम्मेदारी ख़तम हो. आखिर जवान कच्ची - कली हैं. सारे ज़माने की नज़र होती है. औरतो की भी , "खास - काम " के लिए.

मैंने घर की घंटी बजायी, माँ ने दरवाजा खोला , बोली।

माँ - आ गयी निहारिका।  आ सुमन आजा तू भी, बता कैसा रहा सब. आने की बड़ी इच्छा थी, पर क्या करू.

सुमन भाभी - कोई नहीं, भाभी , सब मस्त था, लो आपकी बेटी सही - सलामत। ही ही 

माँ - अरे , तेरे साथ गयी थी , कोई चिंता नहीं थी, पर जमाना ख़राब है आज कल है आज कल, जवान लड़की है. 

मैं - माँ देखो, मेहँदी। 

माँ - अरे वाह, कितनी सुन्दर लगवाई है, सुमन अच्छी लगाई हैं न.

सुमन भाभी - अरे अब तो शादी की मेहँदी लगाने की तैयारी करो भाभी, 

मैं - माँ, मैं चेंज कर लेती हूँ. और भागी मैं वहां से.

सुमन भाभी - देखो, शर्मा गयी, निहारिका।  शादी होती ही ऐसी  है.

माँ  - हाँ, सुमन, देखो कहाँ भाग जुड़ता है .

और बता , कौन आया था, किसका "उप्पर" हुआ, पिंकी का तो एक ही हैं न, या हो गया दूसरा ?

सुमन भाभी - नहीं, अभी कहाँ, वो तो मेरे जा रही है, "लगवाने" को पर उसका पति "मूड्स" लगा लेता है, 

मुझे कमरे मैं उनकी बाते सुनाई दे रही थी, "मूड्स" अच्छे से सुनाई दिया,  फिर सोचा इस "मूड्स" का कुछ करना ही पड़ेगा।

सुमन भाभी - उसे लड़का ही होगा, साली ने खूब आचार - खट्टा खाया है, दबा के. पेट भी अच्छा बड़ा था. 

माँ - अच्छा, तू बड़ी आयी, पेट नापने वाली, लड़का देने वाली।

सुमन भाभी - मेरा नाम पलट देना, भाभी , अगर लड़का न हुआ तो. अगर मेरी बात सच निकली तो आपसे "साड़ी" लेकर जाउंगी, वो भी अच्छी वाली। 

माँ - हाँ ,  साड़ी भी ले जाना , रुक तो सही, दो - महीने। 

सुमन भाभी - ही, ही, मैं तो इंतज़ार  हूँ, ..... "साड़ी का.

माँ - सुमन , तू तो पूरी पागल हो गयी, क्या खाया वहां। खट्टा खा आयी क्या ?

मैं - माँ, मैं सोने जा रही हूँ. .......

सुमन भाभी - अच्छे से सोना , ही , ही 

माँ - सुमन , छेड  मत लड़की को, लगता है आज तू गरम हो गयी है, घर जा, "ठंडी" हो. तेरी प्यास तो खाली "मर्द"  से कहाँ भुज पाती है, 

सुमन भाभी - उफ़, याद मत  दिलाओ, साली पिंकी की याद आ गई. 

मैं - "पिंकी" भाभी की याद , सुमन भाभी को , क्यों ?


 ............

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 24-04-2020, 09:45 AM



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