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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
#47
स्साला,.... जीजू के संग 


[Image: twink-1-th.jpg]












मैं उसका लंड चूस रही थी और उस की हालत देख के मुस्करा रही थी। 

अब वो लाख चूतड़ पटक ले ये उसे पूरा लंड घोंटा के ही मानेंगे। 


मैंने एक मिनिट के लिए उसका लंडनिकाला और उसे समझाया ,

" अरे भैया , मुंह पूरा खोलो , एकदम आ आ कर के , जबड़े को लूज रखो "

और उसने मेरी सलाह मान ली। कुछ ही देर में 'उनका ' आधा लंड अंदर था और अब मेरा भाई जोर जोर से लंड चूस रहा था। 
मैं कभी अपने भाई के बॉल्स सहलाती , कभी पी हॉल जीभ से सुरसुराती , और उसका हौसला बढाती। 

अब वो अपने साले का सर पकड़ के जोर जोर से उसका मुंह चोद रहे थे। उनके चेहरे से लग रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा है। 

वो बिचारा गों गों कर रहा था , लेकिन साथ में चूस भी रहा था। 

" साल्ला , बहुत मस्त लंड चूसता है " 


मुझसे वो बोले। 

मैं भी मुस्करा के बोली , " अरे आखिर भाई किसका है , मैं भी तो इतना जबरदस्त लंड चूसती हूँ ". 


उनकी निगाह बार सरक के उसकी दुबदुबाती गांड की और जा रही थी। और मैं समझ गयी थी कि उन का मन किधर है। 

मैंने बाजी बदली , और उन्हें आँख मार के इशारा किया , फिर बोली 

" बिचारे का मुंह थक गया होगा जरा उसे अपनी रसमलाई चटा दूँ "

और थोड़ी देर में मैं और मेरा भाई 69 की पोज में थे , मैं ऊपर वो नीचे। 

[Image: sixty-nine-tumblr-o2behl-W4q-T1r1dohfo1-500.gif]

और उनका लंड जोर से फड़फड़ा रहा था। 

मैंने धीरे से बोला 

"बस थोड़ी देर, फिर दिलवाती हूँ तुझे मजा। "

" क्यों भैया , आ रहा है रस मलायी का मजा " 


उसके मुंह में चूत रगड़ती हुयी मैं बोली। 


" हाँ दीदी , " 

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लपालप चूत चाटते हुए वो बोला। इनकी बात एकदम सही थी , चाटने में मेरा भाई एकदम मस्त था। 

" हे जरा एक तकिया देना " मैंने 'इनसे 'कहा औ हलके से आँख मार दी। 

वो एक क्या , जीतनी तकिया थीं सब ले आये और वो मैंने अपने भाई के चूतड़ के नीचे लगा दी। अब वो अच्छा ख़ासा ऊपर उठ गया था। 

ट्रेन अपनी रफ्तार से चली जा रही थी। ट्रेन की खिड़की से पूनो की चांदनी हम सबको नहला रही थी। 

फर्स्ट क्लास की बर्थ अच्छी खासी चौड़ी होती है। और मैं और मेरा ममेरा भाई , मस्ती से 69 के मजे ले रहे थे। 

वो आके मेरे सर की और बैठ गए थे , और मुझे अपने साले का लंड चूसते हुए देख रहे थे। 

मैंने अपने ममेरे भाई की दोनों टाँगे एकदम ऊपर उठा रखी थीं और मेरे हाथ कभी उसके बॉल्स सहलाते तो कभी गोरी गोरी लौंडिया छाप चूतड़ ,

और एक बार मैंने उन्हें दिखा के अपने भाई के पिछवाड़े के छेद में ऊँगली कर दी। 

[Image: gay-tumblr-nykhce-DCa-C1uoa85jo1-540.jpg]

वास्तव में बड़ी कसी थी। पूरा जोर लगाने पे भी सिर्फ टिप घुस पायी। 

वो इशारा समझ गए थे। उनका मोटा लंड बेकरार हो रहा था , मैंने इशारे से बरजा और पल भर के लिए भाई के लंड को छोड़ के पति का लंड गपक लिया। 


[Image: BJ-tumblr-no3gp2-Aew41u53kyqo1-500.jpg]

रोज के आदी मेरे होंठ ,जम के चूसने चाटने लगे। 


ये नहीं था की मैंने , अपने भाई को पति के सामने इग्नोर कर दिया हो। 

अब उसके लंड कि हाल चाल मेरी गोरी उंगलिया ले रही थी , जोर जोर से मुठिया के। और अंगूठा और उंगली दूसरे हाथ की खूब थूक लगा के , उसके गांड के छेद को चौड़ा करने पे तुली थी। 

मेरे पति की निगाहने उसी गोल छेद पे टिकी थीं। 

मैंने अपने दोनों पैरों को अपने भाई के हाथों पे टिकाया , पूरी देह का जोर उसे पे डाल दिया , और अपनी चूत से उसका मुंह अच्छी तरह सील कर दिया। दोनों जाँघों ने उसके सर को दबोच लिया। 


और अब मैंने उनके उनके वावरे तड़इपते लंड को आजाद किया और अपने हाथो से ही ममेरे भाई के गांड के दुबदुबाते छेद पे सटा दिया। 

फिर क्या था ' वो ' तो पागल हो रहे थे , उन्होंने उस के गोल मटोल छोटे छोटे चूतड़ों को पकड़ के हचाक से पूरा करारा धक्का दिया। 

ऐसे धक्के का मतलब मुझसे अच्छा कौन समझ सकता था। 

मेरे नीचे दबा मेरा भाई तड़प रहा था , मचल रहा था। दर्द से पिघल रहा था। 

उसके इस दर्द को मुझसे अच्छा कौन समझ सकता था। 

लेकिन ये समय बेरहमी का था , जोर जबरदस्ती का था , और मैंने नहीं चाहती थी की मेरे पति के मजे में कोई विघ्न पड़े। 

मैंने जोर से अपनी बुर उसके मुंह पे भींच दी , अपने पूरे देह से उसे और जोर से दबाया और अपने दोनों हाथो से उसके तड़पते ,फड़फड़ाते पैरों को फ़ैला के अलग रखा। 

[Image: Face-sitting-14070636.gif]

वो जोर से धक्के मारते रहे , उसके गोल मटोल चूतड़ों को पकड़े हुए , सुपाड़ा थोडा घुस गया था। 

नीचें वो चूतड़ पटक रहा था , लेकिन मेरे और उनके मिले जुले जोर के आगे बिचारे की क्या चलती। 


दोचार धक्को के बाद , अब पूरा सुपाड़ा अंदर चला गया और ऩीने चैन कि साँस ली , अब वो लाख गांड पटके , लंड बाहर नहीं निकल सकता था। 

उन्होंने भी हमला रोक दिया। 

मैंने अपनी देह का दबाव हल्का कर दिया और एक बार फिर से अपने छोटे ममेरे भाई का लंड मुंह में ले के चुभलाने चूसने लगी। 

वो भी कम नहीं था , उसने फिर मेरी चूत रस मलायी का मजा लेना शुरु कर दिया। 

[Image: pussy-licking-M-g-tumblr-otzjg5-CGP41tpkyhyo1-400.gif]


यही तो हम दोनों चाहते थे। 

उसका ध्यान , दुखती गांड पर से एक पलके लिए हट गया। 


गांड के छल्ले को भी मेरे मर्द के मोटे लंड की आदत पड़ गयी। 

र 'उन्होंने ' फिर एक जबरदस्त धक्का मारा और लंड गांड के अंदर पेलना शुरू कर दिया। 

वो बिचारा गों गों कर रहा था। 

उन्होंने इशारा किया और मैं हट गयी। मैं जा के अपने भाई के सर के पास बैठ गयी और उसका सर सहलाने लगी। 

वो अब खूब मजे से हलके हलके लंड पेल रहे थे।
'उन्होंने ' अपना मूसल जैसा लंड , जो एक तिहाई अंदर घुस चुका था , सुपाड़े तक बाहर खिंचा और मैं समझ गयी क्या होनेवाला है। 

[Image: gay-13796941.jpg]

मैंने उन्हें आँख से इशारा किया कि , क्या मैं अपने मोटे मोटे मम्मे , इसके मुंह में डाल के इसका मुंह बंद करा दूँ , लेकिन उन्होंने सर हिला के मना कर दिया। 

फिर भी मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कलाई पे रख के कस के दबा दिया और अगले पल तूफान आ गया। 

उन्होंने पूरी ताकत से लंड अंदर पेला , और रगड़ता , दरेरता , घिसटता , वो अंदर घुसा। 

और जोर की चीख केबिन में गूंजी। अगर मैंने पूरी ताकत से उसके हाथ न पकड़ रखा होता तो वो शायद उछल जाता। 

लेकिन पूरे कोच में कोई नहीं था और मेरे भाई बिचारे कि दर्द भरी चीख किसी ने नहीं सुनी। 



दूसरा धक्का पहले से भी तेज था और चीख भी और , ह्रदय विदारक। 

बिना रुके वो धक्के पे धक्का मार रहे थे। 

मुझे याद आया , किसी कि बात की जब तक जिसकी गांड मारी जाय वो दर्द से बिलबिलाए नहीं , चीखे , चिल्लाये नहीं और गांड उसकी दर्द से परपराए नहीं , जब तक वो दिन तक टांग फैला के न चलें , न गांड मारने वाले को मजा आता है और ना गांड मरवाने वाले को।


चीखें कम हो गयी थी लेकिन दर्द अभी भी झलक रहा था। 

अचानक मुझे आया , सुबह जब इन्होने इसकी ली थी और बाद में नंदोई जी ने भी , बस आधे लंड से लिया था वो भी बहुत हौले हौले। 

ये मैं सुहागरात में ही सीख गयी थी की पहली दो बार तो प्यार मुहब्बत से होता है , असली हमला तो तीसरी बार ही होता है जब दोनों एक दूसरे के आदि हो जाते हैं , और यही हो रहा था। 


अचानक वो रुक गए। अब उनका ३/४ लंड बेसाख्ता मेरे ममेरे भाई के गांड में धंस गया था और वो उसकी लम्बाई मोटाई का आदी हो रहा था। 

अब वो उसके गालों को चूम रहे थे , उसके बाल सहला रहे थे। और उससे अचानक जोर से बोला ,


" चल साल्ले बन कुतिया , तुझे कातिक में कुतिया जिस तरह , चुदती है उस तरह चोदुंगा। "



मुझे अचरज हुआ , कि बिना कुछ देर किये वो कुतिया बन गया।
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RE: मजा पहली होली का ससुराल में , - by komaalrani - 18-02-2019, 08:10 PM



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