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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
माँ- मुझे देखती हैं, अपना खाना रोक के, उफ़, तुझे तो शादी  वाले घर मैं ही छोड़ देना चाहिए, क्या करु तेरा, अब जल्दी खा। 

मैं यह सोचती रह गयी , क्या गलत बोला  मैंने। ..............
........................

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

अब तक आप लोग मेरी नादानी को समझ ही चुके होंगे , कितनी नासमझ थी मैं, बस अपने आप मैं खोयी रहती थी, "नीचे" वाली से जायदा लगाव नहीं था उस समय पर "जोबन" को देखना , निहारना , थोड़ी टाइट ब्रा पहन कर इतराना और कभी मेरी सहेली मुझे छेड देती जोबन को लेकर "देख उसे , बाइक पर जो बैठा है, तेरे जोबन घूर रहा है, जो खिला दे , पुण्य का काम है", मैं कहती "तुझे जायदा चिंता हो रही है, तो तू ही जा न , तेरे कौन से कम हैं, और बढ़ जायेंगे "

कह तो देती, बुरा सा मुँह बना के , पर अंदर से , इच्छा होती की जाओ, पुण्य कमाओ, खिलालो न सही , हाथ ही लगवा लो. अब तक बाथरूम मैं , बस अपने हाथ से ही, खेला करती थी, निप्पल एकदम टाइट और नीचे से गीली , समझ नहीं आता था, पर अच्छा लगता था, खासकर पीरियड्स के आखिर दिनों मैं। 

खैर , अब आगे, चलते हैं उन सुनहरी यादो मैं। ..

खाते हुए एकदम चुप, मैं अंदर ही अंदर यह सोचे जा रही थी, गिफ्ट ही तो हैं, ले लो कोई भी, इसमें मुझ शादी वाले घर मैं छोड़ देने की क्या बात हुई , पता नहीं माँ कभी - कभी क्या बोलती रहती है.

माँ - लड़की, जल्दी कर , खा लिया , और रोटी लौ। 

मैं - माँ , बस हो गया. 

माँ - ले , यह सब ले जाकर किचन मैं रख, और चल मार्किट। 

मैं - अच्छा माँ

और मैं, उठ गयी और चल दी किचन की और, थैली , कटोरी व् गिलास रखने , तभी माँ की आवाज।।

माँ - निहारिका, ताला - चाभी भी लेती आना ,  फ्रिज पर पड़ा है.

मैं - अच्छा माँ, ठीक है.

फिर, ताला लिया, और आ गयी माँ के पास , चलो माँ.

माँ - लड़की, तेरा दुपट्टा कहाँ है, समझ ही नहीं है, ऐसे जायेगी मार्किट मैं, उफ़. जा , जल्दी ला दुपट्टा और बाहर निकल। 

मैं -  माँ , मैं वो किचन मैं गयी थी न, इसीलिए भूल गयी. अभी लायी दुपट्टा। बस एक मिनिट। 

फिर मैंने दुपट्टा लिया, और "एकदम ठीक" से जोबन ढके , सर पे भी ले लिया था धुप की वजह से।  मुझे देख कर माँ खुश।  

माँ - हम्म, अब ठीक है, अच्छे घर की लड़कियां "खुला" नहीं घूमती , समझ कर , बड़ी हो गयी है, कब सीखेगी [ मेरे जोबन को देख कर बोली]।

मैं - हम्म,  [आगे कुछ बोलने को रह ही कहँ गया था] 

हम दोनों ने एक साइकिल रिक्शा किया जिसने हमे मार्किट तक छोड़ दिया,  रिक्शे वाले भी मुझे घूर रहा था, इनका तो रोज़ का काम है, बात कुछ करना और देखना "कही" और. मेरे हलके जोबन दुपट्टे मैं से दिख से रहे थे और स्कर्ट मैं से गोल - मटोल का साफ़  अहसास।  

अब चढ़ती जवानी को छिपा पाना किसी के बस मैं नहीं , झलक दिख ही जाती है , मेरे साथ भी हुआ, रिक्शे से उतारते हुए , सर से दुपट्टा उतर गया और पल्ला "जोबन से ढलक" गया माँ उसे पैसे देने मैं व्यस्त थी, पांच या दस सेकंड ही हुए होंगे, उसकी नज़र, मेरे जोबन पर, माँ की नज़र मेरे जोबन पर , मेरी नज़र माँ पर, फिर मैंने रिक्शे वाले को देखा , उसकी आँखों मैं "चमक".

उफ़, क्या बताऊ, माँ ने मेरे हाथ को लगभग खींचते हुए कहा, जल्दी चल, सामान लेना है।  मैंने दुपट्टा फिर सर पर रखा और "सामने" से "ठीक" किया , अब चैन पड़ा माँ को. 

न जाने, क्यों एक हलकी हंसी आ गयी थी, मेरी प्यारी पाठिकाओं, अगर आपको इस मुस्कान का पता है तो बताओ जल्दी  ......

आखिर हम आ गए  मार्किट, फिर मेरी बेवकूफी हाजिर , मैंने तपाक से कहा माँ. 

मैं - माँ , गिफ्ट गैलरी  "अर****" उधर है, उन दिनों काफी फेमस थी, हर लड़की के लिए कार्ड वही से आता था , मैं भी  गयी थी सहेली के साथ, "वैलेंटाइन" कार्ड लेने , उफ़ कितना महंगे थे , उस वीक,  बाद मैं  वो ही नार्मल रेट.

माँ - तू चुप रह, अरे " गोद - भराई " की रसम है, पागल लड़की। वहां क्या मिलेगा। तू चल.

फिर हम लोग एक सुनार की दुकान पर आ गए, हमारे पहुंचते ही, आइये  भाभी जी, नमस्कार , सब कुशल - मंगल 

माँ  - जी , भाईसाहब। सब कुशल - मंगल।  कुछ दिखािये। ..

इससे पहले माँ कुछ आगे बोलती , दुकानवाला बोल पड़ा. 

दुकानवाला - जी, भाभी जी, बेटी के लिए , सगाई , रोका के लिए कुछ।  

मेरी , हालत ख़राब, उफ़. माँ ने कही पिताजी से कोई बात तो नहीं कर ली मेरी शादी की।  

यह सुनार, भी ऐसा ही कुछ कह रहा है, न जाने क्या हुआ था मुझे, आँखों मैं चमक , साँसे तेज़, पसीना, हलकी स्माइल। सब एक साथ. सामने लगे कांच मैं मैंने अपने आप को देखा, दुपट्टा से पसीना पोंछा , जोबन पर ठीक किया फिर लगाए कान उन दोनों की बातो पर। 

माँ - अरे भाईसाहब , अभी कहाँ , खोज बीन जारी है, अच्छा लड़का कहाँ आसानी से मिल जाता है, देखो कब भाग जगता है, 

मैं , कुछ रिलेक्स फील करि, चलो आज तो बच गए, "शादी" क्या होगा  मेरा पता नहीं।

माँ - जी, कुछ कंगन दिखाइए छोटे बच्चे के लिए , " गोद - भराई " है. शाम को जाना है। 

दुकानवाला - जी, भाभी जी, अभी लीजिये, पर कंगन - गेहने आपको हमारी ही दुकान से लेने हैं, बिटिया की शादी के लिए, ध्यान रखना , ही , ही , ही। ...

मैं - [मन मैं। .. साले, अभी करा दे शादी, पीछे ही पड  गया है. और माँ भी हांसे जा रही है ]

फिर , हमने कंगन पसंद किये , चांदी के  थे काले दाने वाले। पैसे दिए और निकल आये बाहर, मैं सोच रही थी, मेरी शादी के गहने दे कर ही भेजेगा आज दुकानवाला।

मैं - माँ , इतने छोटे कंगन, किसके लिए. फिर मेरा सवाल, जो माँ को शायद पसंद नही आया. वो कुछ न बोली।

मेरा हाथ पकड़ा कर आगे  चल दी , सामने एक साडी ही दुकान थी, जहाँ एक से एक शानदार साड़ी मिलती थी शहर की जानी - मानी दुकान थी.

दुकानवाला - आइये भाभीजी , क्या लेंगे, ठंडा  मांगउ , छोटे दो ठंडा ले कर आ भाभीजी और बिटिया के लिए। 

हाँ तो भाभीजी क्या दिखाऊ , साडी या लेहंगा  - चोली , आपके लिए या बिटिया रानी के लिए , शादी टाइप या कुछ  फैंसी। 

मैं [ मन मैं - एक तो वो सुनार, अब यह भी, उफ़ मेरी शादी आज यह लोग करा के ही मानेंगे ]

माँ - भाईसाहब, अभी कहाँ, जोग ही नहीं बैठ रहे , बिटिया की शादी का , आप से ही लेना हे शादी का जोड़ा, निहारिका के लिए ।

दुकानववाला - वाह , कितना खूबसूरत नाम है, "निहारिका", एकदम अलग , हाँ जी क्या दिखाऊ अभी. इतने मैं ठंडा आ गया था. "ऑरेंज" वाला शायद "मिरनडा" था.

मैंने लिया और लगी पीने, फिर माँ बोली , " गोद - भराई "  ककी रसम है उसके लिए कुछ दिखा दो, जल्दी से.

दुकानवाला - अरे , छोटू, वो नया माल आया है न , कल उसमे से निकल कर ला , चटक रंग लाना।

फिर, माँ ने , साड़ी पसंद करि, मस्त कलर था, सुनहरी बॉर्डर के साथ पीला बेस और पल्ला रानी कलर का साथ ही चटक हरा ब्लाउज। 

माँ ने मुझसे पूछा, कैसे है, यह ले ले, या दूसरी निकलवाओ। 

मैं - अच्छी है माँ, एकदम मस्त, कलर भी अच्छा है. 

माँ - जी, इसे पैक करवा दीजिये। 

दुकानवाला - और क्या दू, भाभीजी , कुछ आपके लिए , या बिटिया के लिए , एक - आध साड़ी तो लेनी ही पड़ेगी, आपकी  अपनी दुकान है.

माँ - जी, मेरे पास तो बहुत हैं, अभी रहने दीजिये। 

दुकानवाला - बिटिया के लिए, काम आ जाएगी किसी शादी - फंक्शन मैं। 

माँ - हम्म, एक शादी है तो जून मैं, चलिए दिखा दीजिये। इसके काम आ जाएगी 

दुकानवाला - भाभी जी , सेमि -फैंसी, या फुल फैंसी आजकल लड़कियों के लिए खूब सारे पैटर्न आ गए हैं. 

माँ - सेमि - फैंसी दिखा दीजिये। 

फिर, दुकानवाले ने क्या मस्त साड़ी दिखाई , मेरा मन किया सारी  ले लू, फिर माँ ने एक साड़ी निकली जो पिंक कलर की थी, ऑफ वाइट बॉर्डर व् साथ मैं सेमि - नेट का ब्लाउज था आसमानी रंग का .

ब्लाउज को लेकर माँ , बोली, 

भाई साहब , यह ब्लाउज चेंज हो जायेगा, नेट वाला है,

दुकानवाला - भाभीजी, यह सारे डिज़ाइनर पीसेज हैं, चेंज नहीं हो पायेगा। नार्मल साड़ी के तो हम चेंज कर भी देवे , फिर यह बिकेगा भी नहीं, बिना साड़ी के. बेकार हो जायेगा यह सेट.

माँ - ठीक है, इसे ही पैक कर दीजिये , पैसे ठीक लगाना। 

दुकानवाला - जी, भाभी जी , आपको नाराज थोड़ी करना है, भी तो बिटिया की शादी का जोड़ा भी तो देना है , ही ही ही। ..

मैं - [मन मैं , साले, अभी दे दे , यही कर लेती हूँ शादी, मज़ाक बना दिया है]

उफ़, उस समय तो बड़ा बुरा लग रहा था, अब जा कर समझ आपई, की उम्र ही शादी की थी, और जवानी को देख कर, जोबन के उठाव को देखकर, लोग सही अंदाजा  लगा रहे थे। 

फिर माँ ने पैसे दिए, कुछ काम ही दिए जितने मांगे थे उस से , औरत कभी पुरे पैसे नहीं देती शॉपिंग के मामले मैं, जन्मसिद्ध अधिकार होता है हमारा।

दाम कम देना और दुसरो को जायदा बताना , आखिर औरत हैं न हम.

फिर हम ने किया साइकिल रिक्शा , और आ गए घर इस बार उतारते हुए मैंने ध्यान रखा की दुपट्टा न फिसल जाये नहीं तो शामत पक्की थी.

माँ  - निहारिका , एक गिलास पानी पीला, थक गयी मैं. 

मैं - अभी लायी माँ.
पानी पीकर माँ बोली। 

माँ  - अरे निहारिका, ऐसा करना तू सुमन के साथ अकेले चले जाना, मैं उसे फ़ोन कर देती हु.

मैं - क्यों माँ, 

माँ - पागल, मैं अभी पूरी साफ़ नहीं हुई। 

मैं - ओह, अच्छां माँ , ठीक है.

मैं - टेंशन मैं, करुँगी क्या वहां जाकर, माँ साथ होती तो ठीक था, सुमन भाभी  के साथ, अब क्या। .......

तभी माँ बोली - निहारिका क्या हुआ, 

मैं - कुछ नहीं, वो मुझे करना क्या है, वहां, " गोद - भराई " .....................................................

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 22-04-2020, 10:08 AM



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