22-04-2020, 09:13 AM
अगर मेरे बस में होता (कविता का शीर्षक)
आसमान के सारे चाँद-तारे तोड़ लाता,
दुनिया की सारी सुंदरता,
तुम्हारे बालों में सजा देता,
अगर मेरे बस में होता,
दुनिया के सभी झरनों को ,
मैं “माही” बना देता,
आँखों से बहते आँसू,
और लबों पर मुस्कान झलकते,
दोनों को मैं संगम बना देता,
अगर मेरे बस में होता,
रातों में भी तुम्हारे, ख्बाबों में सोता,
सपनों में तेरी यादों को संजोता,
इन सपनों को मैं शाही बनाता,
अगर मेरे बस में होता,
हम-तुम से तुम्हारा हमसफर बन जाता,
तुमसे बात करने का बहाना मिल जाता,
मिलती तुम तो, किस्मत को खज़ाना मिल जाता,
अगर मेरे बस में होता ।
आसमान के सारे चाँद-तारे तोड़ लाता,
दुनिया की सारी सुंदरता,
तुम्हारे बालों में सजा देता,
अगर मेरे बस में होता,
दुनिया के सभी झरनों को ,
मैं “माही” बना देता,
आँखों से बहते आँसू,
और लबों पर मुस्कान झलकते,
दोनों को मैं संगम बना देता,
अगर मेरे बस में होता,
रातों में भी तुम्हारे, ख्बाबों में सोता,
सपनों में तेरी यादों को संजोता,
इन सपनों को मैं शाही बनाता,
अगर मेरे बस में होता,
हम-तुम से तुम्हारा हमसफर बन जाता,
तुमसे बात करने का बहाना मिल जाता,
मिलती तुम तो, किस्मत को खज़ाना मिल जाता,
अगर मेरे बस में होता ।