22-04-2020, 07:30 AM
"अच्छा" लगता हैं जब "ये", तृप्त हो कर , मुझे धीरे -धीरे , गरम कर के खाते हैं, "चाशनी" का मज़ा लेते हैं, मैं बस आँख बंद कर कर लेट जाती हूँ, और एक हाथ "इनके " सर पर , और दूसरा अपने "जोबन" पर , फिर पता नहीं कुछ मुझे।
[ उफ़,थोड़ा गर्म, और गीली हो गयी हूँ, बस कुछ लाइन और ही लिख पाउंगी। .....]
ऊफ़्फ़ निहारिका जी क्या लिखा है,
खाने के
दोहरान ही उन की नीयत पता चल जाती है
जब कुछ ज्यादा ही ख्याल करते है हमारा
फिर चाशनी तो टपका ही देते है
बिल्कुल आप ने ठीक लिखा है
गर्म कर के धीरे धीरे खाते है
पता नहीं क्या मजा आता है इन्हें हमें तड़पाने में उस काम से ज्यादा सताना तड़पाना
ओर सब कुछ हम से करवाना
फिर एक ना सुनना हमारी
बहुत ही बढ़िया अपडेट दिया है
अब आप के साथ बचपन से ले कर बीती रात तक सब कुछ तो जीवंत हो जाता है
निहारिका जी लाजवाब लेखन
[ उफ़,थोड़ा गर्म, और गीली हो गयी हूँ, बस कुछ लाइन और ही लिख पाउंगी। .....]
ऊफ़्फ़ निहारिका जी क्या लिखा है,
खाने के
दोहरान ही उन की नीयत पता चल जाती है
जब कुछ ज्यादा ही ख्याल करते है हमारा
फिर चाशनी तो टपका ही देते है
बिल्कुल आप ने ठीक लिखा है
गर्म कर के धीरे धीरे खाते है
पता नहीं क्या मजा आता है इन्हें हमें तड़पाने में उस काम से ज्यादा सताना तड़पाना
ओर सब कुछ हम से करवाना
फिर एक ना सुनना हमारी
बहुत ही बढ़िया अपडेट दिया है
अब आप के साथ बचपन से ले कर बीती रात तक सब कुछ तो जीवंत हो जाता है
निहारिका जी लाजवाब लेखन