18-02-2019, 04:09 PM
अनोखी दास्तान (भाग3)
उस अजनबी के सुझाव को मानकर झाड़ियों के बीच जाने पर मुझे एक ऐसी जगह नजर आयी, जहाँ खड़े होने पर झाड़ियों के अंदर आए बिना किसी के लिए भी मुझे देख पाना लगभग नामुमकिन था। मैंने उस अजनबी के अपने दोस्त से मंगवाए थैला को खोलकर देखा तो उसकी समझ-बूझ की तारीफ किए बिना न रह सकी। उस थैले के अंदर एक जोड़ी स्कर्ट और टाॅप के साथ-साथ एक जोड़ी लेडीज अंडरगारमेन्ट्स और एक काफी बड़ा तौलिया भी मौजूद था। मैंने मन हीं मन उस अजनबी को बार-बार धन्यवाद देते हुए अपने गीले कपड़े उतारकर उसके मंगवाए कपड़े पहन लिए और अपने गीले कपड़े थैले में रखकर तौलिये से गीले बाल सुखाने की कोशिश करती झाड़ियों से बाहर निकली तो मुझे मेरा मददगार अजनबी उसी जगह पर झाड़ियों की ओर पीठ करके बैठा हुआ नजर आया, जहाँ आकर उसने मुझे कपड़ों का थैला दिया था।"अरे, कितने इर्रिस्पांसिबल हैं आप, एक यंग लड़की इतनी सुनसान जगह पर कपड़े चेंज कर रहीं थीं और आप उसकी पहरेदारी करने की जगह यहाँ आराम से बैठकर धूप का मजा ले रहे थे।" उसके करीब आते हीं न जाने कहाँ से मेरे मन में उसकी टाँग खींचने का ख्याल आया और मैंने शिकायती लहजे में उससे ऐसी बात कह दी जो आमतौर पर कोई लड़की अपने ब्वाय फ्रेंड या लवर से हीं करती हैं।
लेकिन वो आम लड़कों की तरह नहीं था। उसने मेरे साथ क्लोज होने के लिए मिला ये मौका भुनाने में कोई रूचि नहीं दिखाई। मेरी उम्मीद के मुताबिक हीं उसने मेरी बात पर प्रतिक्रिया दीं- "आई थिंक, अब आपको ऐसी फिजूल की ड्रामेबाजी में टाइम वेस्ट न करके अपने घर जाने के बारे में सोचना चाहिए।"
"यू आर राइट, बट पहले मुझे अपनी फ्रेंड को मेरा बैग....।" उसने मेरी बात पूरी होने से पहले ही मुझे अपना मोबाइल थमा दिया और कहा- "आपने अपनी जिस फ्रेंड का काॅन्टेक्ट नम्बर पता करने के लिए कहा था, वो काॅल्स हिस्ट्री में फर्स्ट नम्बर पर हैं।"
"इट मीन्स, आप उसका नम्बर पता करने के बात उससे बात भी कर चुके हैं।"
"आप वाकई बहुत हीं गजब की लड़की हैं यार। मैं आपकी फ्रेंड मैं किसलिए बात करूँगा ?"
"आपने कहा कि उसका नम्बर काॅल हिस्ट्री में हैं इसलिए मुझे लगा कि आपने उसे काॅल करके मेरा बैग ....।"
"यार, ये नम्बर उसे काॅल करने की वजह से काॅल हिस्ट्री में नहीं हैं बल्कि उसे आपके आते तक सुरक्षित रखने के लिए कुछ सेकंड्स के लिए काॅलिंग करके कट करने की वजह से हैं।"
"आप सेव भी तो ....., साॅरी।" मेरी बकवास सुनकर उसके चेहरे पर उभर रहे नाराजगी के भाव देखकर मैं जल्दी से उसे साॅरी बोलकर उससे कुछ दूर चली गई ताकि उसका रिप्लाई सुनने से बच सकूँ। किसी अजनबी के साथ घुलने-मिलने के लिए मैं ऐसी नाॅनसेंस बातें करूँगी, ये मैंने कभी ख्वाब में नहीं सोचा था। लेकिन न जाने क्यूँ उस दिन मेरा दिल मुझे सिर्फ इतना हीं नहीं, बल्कि बहुत कुछ करने के लिए मजबूर कर रहा था। मेरा मन हो रहा था कि मैं आज अपने घर की चिंता छोड़कर उससे ढेर सारी बातें करूँ। उसको अपने बारे में सबकुछ जान लूँ और उसे भी अपने बारे में सबकुछ बता दूँ। लेकिन इसके लिए न वक्त इसकी इजाजत दे रहा था और न वो खुद इसके लिए तैयार नजर आ रहा था, जिससे मैं घुलना-मिलना चाह रही थीं, इसलिए मैंने अपने मन को नियंत्रित करके उसके मोबाइल से अपनी फ्रेंड विनीता को काॅल करके काॅलेज से अचानक गायब होने का एक मनगढँत बहाना बताया और उसे मेरा बैग अपने घर ले जाने के लिए कह दिया, क्योंकि मुझे डर था कि उसे मेरे काॅलेज से करीब डेढ़ घंटे तक गायब रहने का रियल रिजन बताया तो वो भले हीं खुद जान-बूझकर मेरे लिए कोई सिरदर्दी खड़ी नहीं करेगी, पर वो हम दोनों की किसी ऐसी काॅमन फ्रेंड के साथ ये बात शेयर कर सकती थीं जो तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाकर मेरे लिए मुसीबत खड़ी कर सकती थीं। एक्चुअली मेरे लिए अपने सुसाइड अटैम्प को दुनिया से छुपाना इसलिए जरूरी था, क्योंकि आमतौर पर लोग हम जैसी यंग गर्ल्स के सुसाइड अटैम्प्स को खुद के कदम बहक जाने या किसी दरिंदे की हवस का शिकार होकर अपनी अस्मत गँवा देने जैसी बातों से जोड़कर देखते हैं जबकि मेरे उस अटैम्प का इस बात का दूर-दूर तक कोई सम्बंध नहीं था। उस अजनबी मददगार ने एक काम ये तो अच्छा किया कि मेरे बेहोश हो जाने और मुझे काफी देर होश न आने के बावजूद मुझे हास्पीटल में एडमिट कराने की कोशिश नहीं की, अदरवाइज मेरे लिए ये इन्सीडेंट छुपा पाना इम्पाॅसिबल हो जाता।
विनीता से बात करने के बाद मैंने उस अजनबी का मोबाइल उसे वापस किया और उसे काॅलेज के अपोजिट डायरेक्शन में मौजूद सड़क तक छोड़ने के लिए कहा तो उसने बिना किसी ना-नुकुर के मुझे न सिर्फ सड़क तक छोड़ा, बल्कि वह मुझे कोई ऑटो मिलने तक मेरे साथ सड़क के किनारे खड़ा रहा। ऑटो से अपने गंतव्य तक जाने के लिए वो मुझे पैसे और एक दिव्य ज्ञान मुझे रास्ते में हीं दे चुका था- 'उपेक्षा, अपमान, तनाव, दुख और असफलताओं जैसी चीजों से परेशान होकर आत्महत्या करना मुक्ति का रास्ता नहीं हैं, बल्कि एक तरह का पलायन हैं और ऐसा करनेवाले की आत्मा को मरकर भी शांति नहीं मिलती, क्योंकि ऐसा करनेवाला विधि के उस विधान का उल्लंघन करता हैं, जिसके अनुसार हर इंसान के लिए हर हाल में तब तक अपनी जिंदगी की गाड़ी खीचते रहना जरूरी हैं, जब तक उसे खुद-ब-खुद मौत अपने आगोश में न ले। यदि कोई इंसान अपने भाग्य में लिखे दुःखों से मुक्ति पाना चाहता तो इसका एकमात्र सही तरीका ये हैं कि वह इंसान तब तक ईमानदारी से कठिन परिश्रम करें, जब तक उसका दुर्भाग्य सौभाग्य में न बदल जाए।'
इस ज्ञान के अलावा उसने मुझे एक नेक सलाह भी दी- 'इस दुनिया में किसी पर भी इतनी जल्दी भरोसा करके उससे क्लोज होने की अपनी आदत बदल लीजिएगा, क्योंकि यंग गर्ल्स की मासूमियत और नासमझियों का गलत इस्तेमाल करने के लिए पलभर की देर न करने वाले कमीनो से भरी पड़ी हैं।'
उसकी इस सलाह से मुझे लगा कि वो मुझे बहुत हीं मासूम और नासमझ लड़की समझ रहा हैं जो मैं बिल्कुल भी नहीं थीं। मैं कुछ इस तरह घरेलू और बाहरी माहौल में पली-बढ़ी थीं, जिसमें कोई भी लड़की वक्त से पहले ही जरूरत से ज्यादा समझदार हो जाती हैं, लेकिन मैंने उसकी गलतफहमी दूर करने की कोशिश नहीं की। ये सोचकर कि उसकी नजरों में मासूम और भोली-भाली बनी रहूँगी तो उसके दिल में मेरे लिए साॅफ्ट काॅर्नर बनने के बेटर चांसेज बने रहेंगे। ऐसा नहीं था कि मैं उन लड़कियों में से थीं जो अंदर से निहायत हीं शातिर होने के बावजूद अपने पसंदीदा लड़कों के दिल में साॅफ्ट काॅर्नर पाने के लिए मासूम और भोली-भाली बनने का दिखावा करती रहती हैं। मैं तो हमेशा ये कोशिश करती थी कि मेरे टच में आनेवाले लड़के मुझे निहायत हीं शातिर लड़की समझें और मुझे एक इम्पाॅसिबल टाॅर्गेट समझकर मेरे आगे-पीछे मंडराकर मेरा दिमाग खराब न करें।
लेकिन उस अजनबी की अजीब-सी शख्सियत और निःस्वार्थ भाव से की गई मदद ने मेरे दिल पर न जाने क्या जादू किया था कि उसका मेरी ओर आकर्षित न होना और उसका मुझे अपनी ओर आकर्षित करने की कोई भी कोशिश न करना मुझे बहुत अखर रहा था। ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था।
'कैसा लड़का हैं यार, न इसने अपने बारे में कुछ बताया और न मेरे बारे में कुछ पूछा। न मेरा काॅन्टेक्ट नम्बर लिया और न अपना काॅन्टेक्ट नम्बर दिया। यहाँ तक कि अपना नाम बताने या मेरा नाम पूछने की भी जहमत नहीं उठाई। कहीं ऐसा तो नहीं कि इस बुकिंग कहीं और हैं ? ये ख्याल मन में आते मेरे चेहरे पर निराशा के भाव उभर आए। लेकिन अगले हीं पल मेरे मन ने ये जवाब दिया कि ये बात नहीं हैं क्योंकि उसी ने मेरे एक सवाल के जवाब में बताया था कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हैं, तो मुझे कुछ सुकून मिला। फिर मेरे मन में उठे इस विचार ने मुझे परेशान कर दिया, तो फिर मुझे भाव न देने का यही एक रिजन हो सकता हैं कि मैं उसमें अपनी ड्रीमगर्ल की झलक नहीं मिली होगी। लेकिन क्यूँ , लोग तो कहते हैं कि मैं बहुत खूबसूरत हूँ। मेरी फेमिली के लोग भले हीं जाहिर तौर पर मुझे खूबसूरत कहने से बचते हैं, पर मेरी ठीक-ठाक शक्ल-सूरत और आकर्षक शख्सियत वाली दीदी को जब भी कोई लड़के वाले देखने आते हैं, तब मेरी फेमिली का मुझे लड़के वालों के सामने न आने की वार्निंग देना और काफी खूबसूरत कही जानेवाली नेहा को सामने जाने देने से न रोकना, ये बताने के लिए काफी हैं कि मैं दीदी और नेहा से ज्यादा खूबसूरत हूँ। जरूर उसने मेरे सुसाइड जैसा इर्रिस्पांसिबल कदम उठाने की वजह से हीं मुझे एक लफड़ेबाज लड़की समझकर मेरे साथ जान-पहचान न बढ़ाना ही सही समझा होगा। ऐसा हैं तो मुझे उससे एकबार मिलकर उसकी ये मिसअंडरस्टैंडिंग दूर करके उसे बताना चाहिए कि मैं कोई लफड़ेबाज लड़की नहीं हूँ बल्कि हालात की सताई हुईं लड़की हूँ। यदि इसके बाद भी वो मेरे साथ नजदीकियाँ बढ़ाने के इच्छुक नजर आया तो मैं जबरन उसके गले नहीं पड़ूँगी, पर केवल किसी गलतफहमी की वजह से वो मेरे करीब आने से हिचक रहा हैं तो वो गलतफहमी दूर करना मेरा फर्ज हैं।' इस नतीजे पर पहुँचने के बाद मैंने अपनी विचार श्रंखला को ब्रेक लगा दिया।
ऑटो से मेरी बचपन एक ऐसी भरोसेमंद फ्रेंड के घर पहुँची, जिसके मम्मी-पापा दिनभर घर पर नहीं रहते थे। वहीं मैंने अपने वे सभी कपड़े जिन्हें मैं पहनकर सुबह घर से निकली थीं, धुलकर सुखाए और उन्हें पहनकर अपनी फ्रेंड विनीता के घर गईं, जहाँ से अपना काॅलेज का बैग लेकर 'लौट के बुद्धु घर को आए' को चरितार्थ करती हुई अपने घर चली गई।
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