19-04-2020, 09:56 PM
उफ़ एक एक चीज कितने डिटेल में आप लिखती हैं बस लगता है सामने पिक्चर चल रही है या टाइम मशीन पर बैठ कर मैं उन दिनों में वापस पहुँच गयी हूँ
कोमल जी ,
सही कहा आपने, मेने लिखते हुए उस टाइम मैं जैसे मैंने फील किया बस उकेर दिया। पर जैसा आपने कहा एक बीती यादो की पिक्चर चल रही है, देख भी हम ही रहे हैं और किरदार भी हम ही हैं , खुद को खुद की आँखों के सामे देखना और कई बाते जो आज "पता" हैं उस समय नहीं पता थी , हांसी आ ही जाती हैं अपने आप पर .
हाँ आप की कुछ शिकायतों से मैं सहमत नहीं हूँ ,
आखिर दुनिया में फ्री कुछ भी नहीं है तो
नहीं तो "पतिदेव" की मदद, पर उनकी मदद भारी पड़ती है, एक तो लिपस्टिक वापस लगाओ, लिप किस जो देनी पड़ती है,
तो दे दिया करिये न , आखिर हम सजती किस के लिए हैं साजन के लिए न , फिर लिपस्टिक लगाओ और कोई किस न करे तो लिपस्टिक की बर्बादी ,
कोमल जी, यह सुनहेहरे शब्द जैसे उफ़, क्या बताऊ जितनी तारीफ करो कम ही है। "आखिर हम सजती किस के लिए हैं साजन" यह बात तो देश के हर मर्द को बतानी चाहिए फिर वो यह कहना छोड़ दे की "तैयार होने मैं कितना समय लगाती हो".
औरत हर तरह से परफेक्ट होना चाहती है, जब कही बाहर जाना हो, आखिर उनकी इजजत का सवाल होता है, और दूसरी औरतो को "जलाने - सुलगाने " का मज़ा. मई जब किसी ऑफिस की पार्टी मैं पतिदेव के साथ जाती हूँ, अगर बैकलेस ब्लाउज हैं , तो एक तो मेरी क़यामत आने के बाद , और वो औरते जिनकी जवानी कब की ढल चुकी और वो मानने को तैयार नहीं हैं , ऐसा मुँह बना - बना के खुसर - फूसार करती हैं, देख कर मज़ा आ जाता हैं.
"घर में ही कब मन कर जाए और कुछ नहीं तो एक किस्सी तो बन ही जाती है " - उफ़, क्या कहो, अब यह होंठ भी तो उनकी ही तरफ हैं, उनको लालचदेते हैं , मेरी आदत हैं घर मे भी लिपस्टिक लगा कर रखती हूँ, ग्लॉसी , रेड या ब्लड रेड। न जाने कितनी बार , दुबारा ठीक करनी पड़ती है, मैंने कह दिया, "खा जाओ - सब पर ला कर देनी होगी, लॉक डाउन मैं भी, मुझे नहीं पता"
"जोबन और बगावत दोनों दबाने पर बढ़ते हैं , तो फिर दबा लिया तो अगर कहीं काम वाम से आठ दस दिन के लिए बाहर चलें जाए तो उसी जोबन को देख देख कर , कितना खाली खाली लगता है , " - यह बात मने बाहरवीं क्लास मैं सुनी थी , बगावत तो समझ आयी, पर जोबन "अब" जा कर.
उफ़, कोमल जी, सच्ची, वो जोबन तो न छेड़े तो "यह कमीने" एक तो वैसे ही उनकी तरफदारी करते हैं, उस पर उदास हो जाते हैं, खाली खाली लगता हैं.
"कोई देख के ललचाये नहीं , चोरी से एक चुम्मी खुली पीठ पे न ले ले , एक चुटकी न काट ले तो भी तो बहुत खराब लगता है न " - कोमल जी, यह करि आपने औरतो के दिल की बात , सच्ची, देखने वाले हमारी , चोली, जोबन, और चिकनी पीठ देखते हैं और हम उनकी "निगाहे" , उफ़ इस आनंद का कोई जवाब नहीं।
"मोरे जोबना का देखो उभार ,
अरे पापी जोबना का देखो उभार
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है , ... ये तो महिमा राम की इसमें हमरा का कसूर है ,
कोमल जी, इसी बात की तो हम सब सहेलिया कायल हैं, आपकी गजब की लेखनी ,
हम तारीफ़ करे, आपकी लेखनी ही कमाल की और महिमा है यह राम की, इसमें हमरा का कसूर हैं.
"कुछ तो ऐसी होती हैं जिनके साथ ब्रा पहन ही नहीं सकते , टेलर मास्टर खुद समझदार होते हैं , उसके नीचे उसी तरह का अस्तर या ब्रा का कप लगा देते हैं "
"सच्ची", "कप" , बड़ी मज़े दार किस्सा था, मेरी बहुद्धूपने का, बाटूंगी आप सब के साथ।
कोमल जी, आपकी पोस्ट से मुझ में एक जान सी आ जाती हैं, एक उत्साह , कुछ और शेयर करू, और यादे ,,
बस , अपने प्यार की फुहार , जब भी समय मिले।
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका