18-02-2019, 10:09 AM
चेंज पर चेंज
वह ले आये और हम दोनों ने मिल बाँट कर खाया।
ब्रेकफास्ट के बाद मैं फिर बेडरूम में गयी , और पीछे पीछे वो ,अच्छे बच्चे की तरह ,
बिस्तर पर उनकी रात की पहनी साडी पड़ी थी।
अब मैंने टोन बदला,
" अगर तुम्हे साडी पहनने का शौक है तो उसे ठीक से रखना भी सीखो। चलो तहियाओ इसे। "
बिचारे ,कभी किया हो तो ,हो। कई बार कोशिश किया लेकिन , फेल।
" खाली अपने घर के माल के जुबना दबाते रहते थे क्या, क्या कुछ सिखाया नहीं तेरी माँ बहनों ने "
मैंने फिर , जोर से बोला ,और उनके हाथ से साडी लेके उन्हें दिखाते हुए तह लगाई और वो लेते उसके पहले खोल दी।
" चलो अब तुम करो और अपनी आलमारी में रखो। "
क्विक लर्नर तो वो थे ही , दो बार में ही तह लग गयी और फिर उसे रखने के लिए उन्होंने अपनी वार्डरोब खोली।
और जोर का झटका ,जोर से लगा।
हर तरह की साड़ियां ,चंदेरी ,कोटा ,सिल्कन ,जार्जेट ,शिफॉन और शलवार कुर्ते , पंजाबी ,अनारकली।
एक खाने में ब्लाउज ,पेटीकोट और दूसरे में ब्रा ,पैंटी।
शर्ट पेंट चड्ढी बनयान सब गायब।
जब तक वो कुछ सोचते मैंने वार्डरोब बंद कर दी और बोला ,
"क्यों पसंद आया न, लेकिन अभी बहुत काम पड़ा है। मंजू बाई नहीं आएगी, तो बरतन ,झाड़ू ,पोंछा अभी शुरू करो तो हो जाएगा जल्दी। रात के भी बरतन पड़े हैं। फिर खाना भीबनाना है। "
वो अपने काम में बिजी थे और मैं अपने।
रात की रिकारिडंग देखी , और कुछ और फोटुएं मम्मी को व्हाटसऐप की , फिर अपना फेवरिट सीरियल,
दो ढाई घंटे बाद वो वापस आये , अभी तक चोली साये में ही थे।
लेकिन बहुत थके , माथे पर पसीनाचुहचुहा रहां था।
" क्यों मुन्ना ,थक गए क्या। चलो कोई बात नहीं , दो ग्लास बढ़िया मस्त मैंगो शेक बना के लाओ न ,खूब ठंडा। अब ये मत कहना की मैके में नहीं सीखा , जल्दी। "
और कुछ ही देर में दो ग्लास चिल्ड मैंगो शेक हाजिर था।
मैं चैनेल सर्फिंग कर रही थी और एक चैनल पे कहानी घर घर का री रन आ रहां था मैंने वही लगा दिया।
साक्षी तँवर,
मैंने साफ साफ पूछा , क्यों मस्त माल लग रही न
और तब तक पृष्ठ भाग पर कैमरा न सिर्फ फोकस हुआ बल्कि अच्छी तरह उसकी ऊंचाई ,गहराई , कटाव ,भराव ,.... सब कुछ ,
क्यों क्यों कैसा लगा रहा है इसका पिछवाड़ा किसके जैसा बोलो न , मैंने फिर पूछा।
उनकी निगाहें वहीँ चिपकी थीं।
" बोल न , लगता है न मेरी मम्मी की समधन जैसा , खूब गदराया , भरा भरा , बोलो न " मैंने छेड़ा।
और उन्होंने फिर जोर का ब्लश किया।
" खाने की तैयारी हो गयी क्या "
मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।
उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला , अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।
वह ले आये और हम दोनों ने मिल बाँट कर खाया।
ब्रेकफास्ट के बाद मैं फिर बेडरूम में गयी , और पीछे पीछे वो ,अच्छे बच्चे की तरह ,
बिस्तर पर उनकी रात की पहनी साडी पड़ी थी।
अब मैंने टोन बदला,
" अगर तुम्हे साडी पहनने का शौक है तो उसे ठीक से रखना भी सीखो। चलो तहियाओ इसे। "
बिचारे ,कभी किया हो तो ,हो। कई बार कोशिश किया लेकिन , फेल।
" खाली अपने घर के माल के जुबना दबाते रहते थे क्या, क्या कुछ सिखाया नहीं तेरी माँ बहनों ने "
मैंने फिर , जोर से बोला ,और उनके हाथ से साडी लेके उन्हें दिखाते हुए तह लगाई और वो लेते उसके पहले खोल दी।
" चलो अब तुम करो और अपनी आलमारी में रखो। "
क्विक लर्नर तो वो थे ही , दो बार में ही तह लग गयी और फिर उसे रखने के लिए उन्होंने अपनी वार्डरोब खोली।
और जोर का झटका ,जोर से लगा।
हर तरह की साड़ियां ,चंदेरी ,कोटा ,सिल्कन ,जार्जेट ,शिफॉन और शलवार कुर्ते , पंजाबी ,अनारकली।
एक खाने में ब्लाउज ,पेटीकोट और दूसरे में ब्रा ,पैंटी।
शर्ट पेंट चड्ढी बनयान सब गायब।
जब तक वो कुछ सोचते मैंने वार्डरोब बंद कर दी और बोला ,
"क्यों पसंद आया न, लेकिन अभी बहुत काम पड़ा है। मंजू बाई नहीं आएगी, तो बरतन ,झाड़ू ,पोंछा अभी शुरू करो तो हो जाएगा जल्दी। रात के भी बरतन पड़े हैं। फिर खाना भीबनाना है। "
वो अपने काम में बिजी थे और मैं अपने।
रात की रिकारिडंग देखी , और कुछ और फोटुएं मम्मी को व्हाटसऐप की , फिर अपना फेवरिट सीरियल,
दो ढाई घंटे बाद वो वापस आये , अभी तक चोली साये में ही थे।
लेकिन बहुत थके , माथे पर पसीनाचुहचुहा रहां था।
" क्यों मुन्ना ,थक गए क्या। चलो कोई बात नहीं , दो ग्लास बढ़िया मस्त मैंगो शेक बना के लाओ न ,खूब ठंडा। अब ये मत कहना की मैके में नहीं सीखा , जल्दी। "
और कुछ ही देर में दो ग्लास चिल्ड मैंगो शेक हाजिर था।
मैं चैनेल सर्फिंग कर रही थी और एक चैनल पे कहानी घर घर का री रन आ रहां था मैंने वही लगा दिया।
साक्षी तँवर,
मैंने साफ साफ पूछा , क्यों मस्त माल लग रही न
और तब तक पृष्ठ भाग पर कैमरा न सिर्फ फोकस हुआ बल्कि अच्छी तरह उसकी ऊंचाई ,गहराई , कटाव ,भराव ,.... सब कुछ ,
क्यों क्यों कैसा लगा रहा है इसका पिछवाड़ा किसके जैसा बोलो न , मैंने फिर पूछा।
उनकी निगाहें वहीँ चिपकी थीं।
" बोल न , लगता है न मेरी मम्मी की समधन जैसा , खूब गदराया , भरा भरा , बोलो न " मैंने छेड़ा।
और उन्होंने फिर जोर का ब्लश किया।
" खाने की तैयारी हो गयी क्या "
मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।
उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला , अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।