18-02-2019, 10:06 AM
मम्मी
और मम्मी की समधन
मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे
और उन्होंने ले ली।
" चल मैं जल्दी आउंगी अब , फिर तुझे सच्ची मुच्ची में दूंगी , बोल मुन्ना दुद्धू पियेगा न "
मम्मी भी , अब वो अपने पूरे रंग में आ रही थीं
धीमी सी हाँ निकली उनके मुंह से निकली खूब शर्माती , झिझकती।
" अच्छा ये बोल तूने सबसे पहले किसके मम्मे पकड़े ,देखे थे। "
मम्मी चालू ही रहीं।
"अरे मॉम और किसके अपनी उस छिनार ममेरी बहन -कम -माल के। "
मम्मी ने मुझे जोर से डांटा ,
" तू चुप रह , हरदम क्या बीबी की सलाह से ही काम करेगा ये हाँ बोलो न सबसे पहले किसके ,… "
वो बिचारे एकदम चुप। जवाब मम्मी ने ही दिया।
" बुरी बात है आज बर्थडे के दिन भी भूल गए , बचपन में में , मेरी समधन के मम्मे , पकड़ा होगा , दबाया होगा चूसा होगा न दूध पीते समय। वैसे एक बात बताऊँ आज भी उनका एकदम टना टन है जोबन ,एकदम गदराया ,चोली फाड़।
अच्छा बोल कभी तूने अपनी जवानी में निगाह डाली , कैसे हैं , कभी तो बिना आँचल के देखा होगा , या किसी के साथ ,क्या साइज होगी ,… "
वो एकदम चुप ,
लेकिन मैं चुप उन्हें रहने कैसी देती। मेरी और मम्मी के डबल पेस अटैक के आगे उनकी तो खुलनी ही थी।
" चल यार अंदाज से बता दे , कुछ भी बता दे , मम्मी ऐसे छोड़ने वाली नहीं "
मैंने उन्हें हिंट भी दिया ,उकसाया भी /
और उन्होंने बोल दिया।
अब तो मम्मी वो खिलखिलायीं ,बोलीं
" अच्छा तो तू मेरे समधन के उभारों पे निगाह रखता है , लालची , मन करता है क्या। लेकिन गलती तेरी नहीं है उनके हैं ही ऐसे मस्त गद्दर। "
और फोन रख दिया।
उन्होंने गहरी सांस ली , लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,
" अरे वाह तो तुमने ये बात कबूल कर ली। मम्मी सच बोल रही थीं न ,रखते थे निगाह ?"
बात टालने के लिए उन्होंने औरतों वाला रास्ता निकाला ,
" नाश्ते में क्या बनेगा। "
" कुछ भी बना दो " मैंने टी वी आन करते बोला।
वो निकलने लगे तो मैंने फिर मैंने टोका ,
" रुको , आप आमलेट बना लेते हो। "
उन्होंने ना में सर हिलाया , और मैंने उनकी सारी मायकेवालियों की ,
" यार तेरी माँ बहनों ने साल्ली ,मायके में क्या सिखाया था , क्या सारे मुहल्ले में सिर्फ नैन मटक्का करती रहतीं थीं और मम्मे दबवाती मिसवाती रहती थीं।
चल ये भी मुझे ही सिखाना पडेगा। "
( ये तो मुझे भी मालूम था की उनके मायके में किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं घुस सकता था ,तो ,… लेकिन मौका मैं क्यों चूकती )
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "
और मम्मी की समधन
मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे
और उन्होंने ले ली।
" चल मैं जल्दी आउंगी अब , फिर तुझे सच्ची मुच्ची में दूंगी , बोल मुन्ना दुद्धू पियेगा न "
मम्मी भी , अब वो अपने पूरे रंग में आ रही थीं
धीमी सी हाँ निकली उनके मुंह से निकली खूब शर्माती , झिझकती।
" अच्छा ये बोल तूने सबसे पहले किसके मम्मे पकड़े ,देखे थे। "
मम्मी चालू ही रहीं।
"अरे मॉम और किसके अपनी उस छिनार ममेरी बहन -कम -माल के। "
मम्मी ने मुझे जोर से डांटा ,
" तू चुप रह , हरदम क्या बीबी की सलाह से ही काम करेगा ये हाँ बोलो न सबसे पहले किसके ,… "
वो बिचारे एकदम चुप। जवाब मम्मी ने ही दिया।
" बुरी बात है आज बर्थडे के दिन भी भूल गए , बचपन में में , मेरी समधन के मम्मे , पकड़ा होगा , दबाया होगा चूसा होगा न दूध पीते समय। वैसे एक बात बताऊँ आज भी उनका एकदम टना टन है जोबन ,एकदम गदराया ,चोली फाड़।
अच्छा बोल कभी तूने अपनी जवानी में निगाह डाली , कैसे हैं , कभी तो बिना आँचल के देखा होगा , या किसी के साथ ,क्या साइज होगी ,… "
वो एकदम चुप ,
लेकिन मैं चुप उन्हें रहने कैसी देती। मेरी और मम्मी के डबल पेस अटैक के आगे उनकी तो खुलनी ही थी।
" चल यार अंदाज से बता दे , कुछ भी बता दे , मम्मी ऐसे छोड़ने वाली नहीं "
मैंने उन्हें हिंट भी दिया ,उकसाया भी /
और उन्होंने बोल दिया।
अब तो मम्मी वो खिलखिलायीं ,बोलीं
" अच्छा तो तू मेरे समधन के उभारों पे निगाह रखता है , लालची , मन करता है क्या। लेकिन गलती तेरी नहीं है उनके हैं ही ऐसे मस्त गद्दर। "
और फोन रख दिया।
उन्होंने गहरी सांस ली , लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,
" अरे वाह तो तुमने ये बात कबूल कर ली। मम्मी सच बोल रही थीं न ,रखते थे निगाह ?"
बात टालने के लिए उन्होंने औरतों वाला रास्ता निकाला ,
" नाश्ते में क्या बनेगा। "
" कुछ भी बना दो " मैंने टी वी आन करते बोला।
वो निकलने लगे तो मैंने फिर मैंने टोका ,
" रुको , आप आमलेट बना लेते हो। "
उन्होंने ना में सर हिलाया , और मैंने उनकी सारी मायकेवालियों की ,
" यार तेरी माँ बहनों ने साल्ली ,मायके में क्या सिखाया था , क्या सारे मुहल्ले में सिर्फ नैन मटक्का करती रहतीं थीं और मम्मे दबवाती मिसवाती रहती थीं।
चल ये भी मुझे ही सिखाना पडेगा। "
( ये तो मुझे भी मालूम था की उनके मायके में किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं घुस सकता था ,तो ,… लेकिन मौका मैं क्यों चूकती )
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "