18-02-2019, 10:03 AM
मम्मी
ट्रिंग ,ट्रिंग ,फोन बजा।
मैं समझ गयी उन्ही के लिए होगा।
" ये लो तुम्हारे लिए मम्मी का है। " और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
स्पीकर फोन ,आफ कोर्स आन था।
मम्मी उनकी और उनके सारे खानदान की जो घिसाई धुलाई करतीं ,उसके सुनने का मजा ही अलग था।
मम्मी उन्हें हैप्पी बर्थड़े विश कर रही थीं।
" थैंक यूं ,मम्मी "
वो बोले और ख़ुशी उनके चेहरे से छलक रही थी।
( और ये भी उनके लिए एक नयी शुरुआत थी , उनके मायकेवालों का नाम तो मैं खूब आदर के साथ और आज तक मम्मी को वो सिर्फ , तुम्हारी माँ कहकर ही एड्ड्रेस करते थे , पहली बार आज उन्होंने मेरी माम को मम्मी बोला था )
" क्यों गिफ्ट कैसी लगी "मम्मी ने छेड़ा। .
और उनके गाल गुलाल हो गए, मारे शरम के।
फिर बहुत हलके से वो बोले ," हाँ ,बहुत अच्छी। "
मम्मी इत्ती आसानी से छोड़ने वाली थोड़े ही थीं , बोली ,
' तेरे ऊपर लाल रंग बहुत फबता है "
नीचे झुक कर उन्होंने अपनी कच्छी कढ़ाई वाली , खूब लो कट ,टाइट ,बैक लेस लाल चोली की ओर देखा , और एक बार फिर जबरदस्त ब्लश ,
( उनकी ढेर सारी फोटुएं मैंने रात को ही मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी थीं )
मुस्कराते हुए मैंने उनके स्कारलेट रेड लिपस्टिक कोटेड होंठों को हलके से छुआ , और वो सिहर गए।
" मॉम ,शरमा रहे हैं "
मैं भी सास -दामाद संवाद में शामिल हो गयी।
" अरे कोई लौंडिया है क्या जो शरमा रहे हैं " खिलखिलाते हुए वो बोलीं।
" मम्मी ,लौंडिया ही तो लग रहे हैं। " मैं भी उनकी खिलखिलाहट में शामिल हो गयी।
लेकिन मम्मी भी न हर बार की तरह ,मेरा साथ छोड़ के वो अपने फेवरिट दामाद की ओर हो गयीं और सब गलती मेरी ,
" गलती तो तेरी है पूरी , सारी रात गुजर गयी , उसकी शरम नहीं उतारी तूने "
झट इल्जाम लगा दिया उन्होंने।
और अब फिर तोप का मुंह मम्मी ने उनकी ओर कर दिया।
" क्यों मजा आया खूब , रात को "
वो बस आँखे नीचे किये , गौने की दुलहन की तरह ,
" मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोलते क्यों नहीं " मैंने उकसाया।
और बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला , " हाँ , मम्मी "
वो भी बहुत धीमे से।
" चल मैं एक बहू चाहती थी ,अब ये कसर भी पूरी हो गयी " मम्मी ने ठंडी सांस ले के कहा।
और इसके साथ ही मम्मी ने एक जबरदस्त लांग डिस्टेंस चुम्मी , उन्हें फोन पे ले ली।
" अरे मम्मी की किस्सी का जवाब तो दे ".
अब थोड़ी थोड़ी उनकी झिझक कम हो रही थी।
एक छोटी सी जवाबी किस्सी ,उन्होंने भी बजरिये फोन ,मम्मी को भेज दी।
मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ,उनकी बात से ख़ुशी छलक रही थी।
और उन्होंने फिर छेड़ा अपने दामाद को ,
" किस्सी किस जगह दी , मेरे होंठ पे या होंठ के नीचे। "
मैंने भी उन्हें चढ़ाया , कान में बोला ,अरे बोल दे न , मम्मी एकदम खुश हो जाएंगी।
अब वो भी थोड़े बोल्ड हो गए थे बोले ,
" होंठों से बस , थोड़ा सा नीचे। "
" अरे तब एक क्यों लिया , दो लेना चाहिए था न , जल्दी से दूसरी भी लो। "
मम्मी ने उन्हें और चढ़ाया।
( मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे )
और उन्होंने ले ली।
ट्रिंग ,ट्रिंग ,फोन बजा।
मैं समझ गयी उन्ही के लिए होगा।
" ये लो तुम्हारे लिए मम्मी का है। " और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
स्पीकर फोन ,आफ कोर्स आन था।
मम्मी उनकी और उनके सारे खानदान की जो घिसाई धुलाई करतीं ,उसके सुनने का मजा ही अलग था।
मम्मी उन्हें हैप्पी बर्थड़े विश कर रही थीं।
" थैंक यूं ,मम्मी "
वो बोले और ख़ुशी उनके चेहरे से छलक रही थी।
( और ये भी उनके लिए एक नयी शुरुआत थी , उनके मायकेवालों का नाम तो मैं खूब आदर के साथ और आज तक मम्मी को वो सिर्फ , तुम्हारी माँ कहकर ही एड्ड्रेस करते थे , पहली बार आज उन्होंने मेरी माम को मम्मी बोला था )
" क्यों गिफ्ट कैसी लगी "मम्मी ने छेड़ा। .
और उनके गाल गुलाल हो गए, मारे शरम के।
फिर बहुत हलके से वो बोले ," हाँ ,बहुत अच्छी। "
मम्मी इत्ती आसानी से छोड़ने वाली थोड़े ही थीं , बोली ,
' तेरे ऊपर लाल रंग बहुत फबता है "
नीचे झुक कर उन्होंने अपनी कच्छी कढ़ाई वाली , खूब लो कट ,टाइट ,बैक लेस लाल चोली की ओर देखा , और एक बार फिर जबरदस्त ब्लश ,
( उनकी ढेर सारी फोटुएं मैंने रात को ही मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी थीं )
मुस्कराते हुए मैंने उनके स्कारलेट रेड लिपस्टिक कोटेड होंठों को हलके से छुआ , और वो सिहर गए।
" मॉम ,शरमा रहे हैं "
मैं भी सास -दामाद संवाद में शामिल हो गयी।
" अरे कोई लौंडिया है क्या जो शरमा रहे हैं " खिलखिलाते हुए वो बोलीं।
" मम्मी ,लौंडिया ही तो लग रहे हैं। " मैं भी उनकी खिलखिलाहट में शामिल हो गयी।
लेकिन मम्मी भी न हर बार की तरह ,मेरा साथ छोड़ के वो अपने फेवरिट दामाद की ओर हो गयीं और सब गलती मेरी ,
" गलती तो तेरी है पूरी , सारी रात गुजर गयी , उसकी शरम नहीं उतारी तूने "
झट इल्जाम लगा दिया उन्होंने।
और अब फिर तोप का मुंह मम्मी ने उनकी ओर कर दिया।
" क्यों मजा आया खूब , रात को "
वो बस आँखे नीचे किये , गौने की दुलहन की तरह ,
" मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोलते क्यों नहीं " मैंने उकसाया।
और बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला , " हाँ , मम्मी "
वो भी बहुत धीमे से।
" चल मैं एक बहू चाहती थी ,अब ये कसर भी पूरी हो गयी " मम्मी ने ठंडी सांस ले के कहा।
और इसके साथ ही मम्मी ने एक जबरदस्त लांग डिस्टेंस चुम्मी , उन्हें फोन पे ले ली।
" अरे मम्मी की किस्सी का जवाब तो दे ".
अब थोड़ी थोड़ी उनकी झिझक कम हो रही थी।
एक छोटी सी जवाबी किस्सी ,उन्होंने भी बजरिये फोन ,मम्मी को भेज दी।
मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ,उनकी बात से ख़ुशी छलक रही थी।
और उन्होंने फिर छेड़ा अपने दामाद को ,
" किस्सी किस जगह दी , मेरे होंठ पे या होंठ के नीचे। "
मैंने भी उन्हें चढ़ाया , कान में बोला ,अरे बोल दे न , मम्मी एकदम खुश हो जाएंगी।
अब वो भी थोड़े बोल्ड हो गए थे बोले ,
" होंठों से बस , थोड़ा सा नीचे। "
" अरे तब एक क्यों लिया , दो लेना चाहिए था न , जल्दी से दूसरी भी लो। "
मम्मी ने उन्हें और चढ़ाया।
( मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे )
और उन्होंने ले ली।