18-02-2019, 10:01 AM
जोरू का गुलाम पार्ट 15
वो अभी भी ब्लाउज पेटीकोट में थे।
होंठों की लिपस्टिक ,हलकी सी फैली , और उसी तरह रात का काजल आँखों में।
गुड मॉर्निंग ,
मुस्करा के वो बोले और ट्रे साइड टेबल पे रख दी।
चाय एकदम परफेक्ट , एकदम मेरी पसंद की।
" जरा देखो पेपर आ गया होगा। "
मैंने बोला ,
और मेरी बात पूरी होने के पहले वो चले गए , और लौट के पेपर मुझे पकड़ा दि या।
लेकिन उनकी आँखे पेपर पे चिपकी ,
मैं समझ गयी और स्पोर्ट्स सेक्शन निकाल के उन्हें दे दिया , और बोला
तुम भी चाय पीओ न।
" चाय बहुत अच्छी थी , एक एक प्याला और हो जाय "
चाय खत्म करके आराम से अखबार पढ़ते मैं बोली।
एकदम स्पोर्ट्स सेक्शन वहीँ छोड़ कर वो कप प्लेट लेकर वापस किचेन में चले गए।
ताज़ी चाय बनाने।
मैं पढ़ अखबार रही थी लेकिन कल रात और आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी।
कहीं इनको स्त्रैण तो मैं नहीं बना रही , कहीं मैं जाने अनजाने इनकी फैंटेसी के डोमिनेट्रिक्स की तरह ऐक्ट कर के ,
खुद फीमेल डॉमिनेशन की ओर तो नहीं बढ़ रही ,, क्योंकि मेरा दोनों ही गोल नहीं था।
मेरा लक्ष्य सिम्पल था , इनके मन की गांठे खोलना ,
जो अतृप्त का सूखा तालाब सा इनकी अपब्रिंगिंग के कारण इनके मन में हो गया था , जहाँ सब मजे वाली चीजें वर्जित थीं ,
उस सूखे तालाब को रस के सागर से भर देना ,जिसमे हम दोनों साथ साथ गोते लगा सकें मजे ले सके।
और फिर ये फन ऐंड गेम्स तो बस ये तीन दिन इनकी बर्थ डे के , जहां हम दोनों खूब करीब आ जाए।
मैं अपने शादी के शुरू के दिनों को नहीं भूल पाती , जब हर दुल्हन के लिया जहां ससुराल में सब कुछ नया नया होता है ,
उसका पति ही उसके करीब होता है।
लेकिन उस समय भी मेरी वो ननद और जेठानी कब किस बात के लिए भूत की तरह सामने आ जाएँ ,
" मेरे भैया को ये नहीं अच्छा लगता , वो नहीं अच्छा लगता ,... मैं आपसे अच्छी तरह जानती हूँ इनको आप तो अभी अभी आई हैं। "
और वो भी तो रात में तो चिपके रहते थे और सुबह से ,जैसे जानते ही न हों।
और वो कंडोम वाला वाकया मैंने बताया ही था , अनजाने में मैंने वेडिंग अलबम में रख दिया था उस पन्ने पर जहां इनकी ममेरी बहन की फोटो थी , हम लोगों की शादी में डांस करते, कितना नाराज हुए , रात भर बात तक नहीं की ,और कुछ करना तो छोड़ दीजिये।
फिर यहां पर कंपनी में भी जहां इतना खुलापन था ,इनके एट्टीट्यूड को लेकर , ... किसी ने मुझे बताया था ,
शायद मिसेज खन्ना ने ही , आगे बढ़ने के लिए सीनियर मैनेजमेंट रोल्स के लिए आदमी को थोड़ा कम रिजिड होना चाहिए , और उसमें कई गुण ऐसे हैं जो स्त्रियों के है वो होने अच्छेहोते हैं , जैसे अक्सर पुरुष ( सभी नहीं ) विटामिन 'आई ' से ग्रस्त होते हैं , मैंने ये किया मैंने वो किया , ड्राइंग रूम में जाइये तो दर्जा ८ में मिली कॉलेज के ट्राफी से लेकर जितने भीछोटे मोटे अचीवमेंट होते हैं , बात भी करेंगे अगर थोड़े बहुत बहुत पढ़े लिखे हुए तो उनकी पसंद की किताब , उनकी पसंद की म्यूजिक ,ये वो ,.... लेकिन औारत को सबको जोड़ केचलना पड़ता है चाहे मायका हो या ससुराल। वह कहीं जायेगी भी तो किसी की लिए साडी तो किसी के लिए शर्ट ,सब का हिसाब रखती है। बात करने में ,... सबको जोड़ कर रखने कीकोशिश करती है।
वैसे तो बहुत सी बाते थीं लेकिन एक और बात थी जैसे पेन टालरेंस , महिलाओं में बहुत ज्यादा है , प्रसव में जो दर्द महिला सहती है , वो शायद कोई और हो तो दूसरे बच्चे के लिएतैयार ही न हो। फिर काम और होम के बीच बैलेंस ,... बहुत सी बातें।
पूरी , पूरी तरह सही भी नहीं थी , लेकिन ये बात तो मैं भी मानती थी की हर मर्द को थोड़ा सा औरत और हर औरत को थोड़ा सा मर्द होना चाहिए।
इसलिए ये सब ,.. फिर परसों से आफिस जाएंगे तो फिर तो फॉर्मल में ही जायेगे , ये कोई फंतासी तो है नहीं जिंदगी है। किचन का काम फिर मेरे जिम्मे आयेगा ,
लेकिन वो सब बात में अभी तो बस बर्थडे की फुल टाइम मस्ती ,मोस्ट मेमोरेबल बर्थडे , मेरे सोना मोना की ,
जो मेरा ही , सिर्फ मेरा।
एक नया दिन शुरू हो गया था।
एक नया दिन , एक नयी जिंदगी।
वो अभी भी ब्लाउज पेटीकोट में थे।
होंठों की लिपस्टिक ,हलकी सी फैली , और उसी तरह रात का काजल आँखों में।
गुड मॉर्निंग ,
मुस्करा के वो बोले और ट्रे साइड टेबल पे रख दी।
चाय एकदम परफेक्ट , एकदम मेरी पसंद की।
" जरा देखो पेपर आ गया होगा। "
मैंने बोला ,
और मेरी बात पूरी होने के पहले वो चले गए , और लौट के पेपर मुझे पकड़ा दि या।
लेकिन उनकी आँखे पेपर पे चिपकी ,
मैं समझ गयी और स्पोर्ट्स सेक्शन निकाल के उन्हें दे दिया , और बोला
तुम भी चाय पीओ न।
" चाय बहुत अच्छी थी , एक एक प्याला और हो जाय "
चाय खत्म करके आराम से अखबार पढ़ते मैं बोली।
एकदम स्पोर्ट्स सेक्शन वहीँ छोड़ कर वो कप प्लेट लेकर वापस किचेन में चले गए।
ताज़ी चाय बनाने।
मैं पढ़ अखबार रही थी लेकिन कल रात और आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी।
कहीं इनको स्त्रैण तो मैं नहीं बना रही , कहीं मैं जाने अनजाने इनकी फैंटेसी के डोमिनेट्रिक्स की तरह ऐक्ट कर के ,
खुद फीमेल डॉमिनेशन की ओर तो नहीं बढ़ रही ,, क्योंकि मेरा दोनों ही गोल नहीं था।
मेरा लक्ष्य सिम्पल था , इनके मन की गांठे खोलना ,
जो अतृप्त का सूखा तालाब सा इनकी अपब्रिंगिंग के कारण इनके मन में हो गया था , जहाँ सब मजे वाली चीजें वर्जित थीं ,
उस सूखे तालाब को रस के सागर से भर देना ,जिसमे हम दोनों साथ साथ गोते लगा सकें मजे ले सके।
और फिर ये फन ऐंड गेम्स तो बस ये तीन दिन इनकी बर्थ डे के , जहां हम दोनों खूब करीब आ जाए।
मैं अपने शादी के शुरू के दिनों को नहीं भूल पाती , जब हर दुल्हन के लिया जहां ससुराल में सब कुछ नया नया होता है ,
उसका पति ही उसके करीब होता है।
लेकिन उस समय भी मेरी वो ननद और जेठानी कब किस बात के लिए भूत की तरह सामने आ जाएँ ,
" मेरे भैया को ये नहीं अच्छा लगता , वो नहीं अच्छा लगता ,... मैं आपसे अच्छी तरह जानती हूँ इनको आप तो अभी अभी आई हैं। "
और वो भी तो रात में तो चिपके रहते थे और सुबह से ,जैसे जानते ही न हों।
और वो कंडोम वाला वाकया मैंने बताया ही था , अनजाने में मैंने वेडिंग अलबम में रख दिया था उस पन्ने पर जहां इनकी ममेरी बहन की फोटो थी , हम लोगों की शादी में डांस करते, कितना नाराज हुए , रात भर बात तक नहीं की ,और कुछ करना तो छोड़ दीजिये।
फिर यहां पर कंपनी में भी जहां इतना खुलापन था ,इनके एट्टीट्यूड को लेकर , ... किसी ने मुझे बताया था ,
शायद मिसेज खन्ना ने ही , आगे बढ़ने के लिए सीनियर मैनेजमेंट रोल्स के लिए आदमी को थोड़ा कम रिजिड होना चाहिए , और उसमें कई गुण ऐसे हैं जो स्त्रियों के है वो होने अच्छेहोते हैं , जैसे अक्सर पुरुष ( सभी नहीं ) विटामिन 'आई ' से ग्रस्त होते हैं , मैंने ये किया मैंने वो किया , ड्राइंग रूम में जाइये तो दर्जा ८ में मिली कॉलेज के ट्राफी से लेकर जितने भीछोटे मोटे अचीवमेंट होते हैं , बात भी करेंगे अगर थोड़े बहुत बहुत पढ़े लिखे हुए तो उनकी पसंद की किताब , उनकी पसंद की म्यूजिक ,ये वो ,.... लेकिन औारत को सबको जोड़ केचलना पड़ता है चाहे मायका हो या ससुराल। वह कहीं जायेगी भी तो किसी की लिए साडी तो किसी के लिए शर्ट ,सब का हिसाब रखती है। बात करने में ,... सबको जोड़ कर रखने कीकोशिश करती है।
वैसे तो बहुत सी बाते थीं लेकिन एक और बात थी जैसे पेन टालरेंस , महिलाओं में बहुत ज्यादा है , प्रसव में जो दर्द महिला सहती है , वो शायद कोई और हो तो दूसरे बच्चे के लिएतैयार ही न हो। फिर काम और होम के बीच बैलेंस ,... बहुत सी बातें।
पूरी , पूरी तरह सही भी नहीं थी , लेकिन ये बात तो मैं भी मानती थी की हर मर्द को थोड़ा सा औरत और हर औरत को थोड़ा सा मर्द होना चाहिए।
इसलिए ये सब ,.. फिर परसों से आफिस जाएंगे तो फिर तो फॉर्मल में ही जायेगे , ये कोई फंतासी तो है नहीं जिंदगी है। किचन का काम फिर मेरे जिम्मे आयेगा ,
लेकिन वो सब बात में अभी तो बस बर्थडे की फुल टाइम मस्ती ,मोस्ट मेमोरेबल बर्थडे , मेरे सोना मोना की ,
जो मेरा ही , सिर्फ मेरा।
एक नया दिन शुरू हो गया था।
एक नया दिन , एक नयी जिंदगी।