18-04-2020, 01:37 PM
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एक नारी मन को समझना हो,एक वो सफर जहां हर लडक़ी पहुंचती है उस की शुरुआत मां के आंगन से होती है,ये जानना हो,
एक बेटी और माँ की दुनियां देखनी हो
निःसंदेह सभी लड़कियों महिलाओं को निहारिका जी के थर्ड पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी चाहिए
निहारिका जी मेरे बचपन वाले दिन फिर से लौटा दिये है आप ने
बस इस सफर को अनवरत जारी रखना
मां का आंगन है ये थर्ड
फिर, अपनी दुनिया से बीती यादो मैं। ..... एक सफर सुनहरी यादो का।
सांस ऊपर की उप्पर और निचे की नीचे , माँ खड़ी थी सामने , हाथ मैं नयी बेडशीट लेकर खड़ी थी, शायद चेंज करनी आयी थी।
माँ - निहारिका। ....................
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एक नारी मन को समझना हो,एक वो सफर जहां हर लडक़ी पहुंचती है उस की शुरुआत मां के आंगन से होती है,ये जानना हो,
एक बेटी और माँ की दुनियां देखनी हो
निःसंदेह सभी लड़कियों महिलाओं को निहारिका जी के थर्ड पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी चाहिए
निहारिका जी मेरे बचपन वाले दिन फिर से लौटा दिये है आप ने
बस इस सफर को अनवरत जारी रखना
मां का आंगन है ये थर्ड