18-04-2020, 02:37 AM
"और मन तो बस यही करता था की उस साली के टॉप में हाथ डाल के नोच लूँ ,दबोच लूँ। "
कोमल जी,
जब सामने शिकार हो और "शिकार" के शिकार का इंतज़ार हो. हाथो को कैसे रोक पायी , समझ सकती हु, पर इंतज़ार का फल , खट्टा- मीठा, नमकीन, गीला, चाशनी स भरा होगा।
लोग कहते हैं की नारियां अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ,
पर पुरुष की भावनाओ का एक ही बैरोमीटर है ,उनका खूंटा।
सही है ,औरत का पूरा जिस्म एक खुली किताब होता हैं, बस पढ़ने वाली आंखे चाहिए। मर्द के थर्मामीटर का पारा और उसकी आंखे सब बता देती हैं.
मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में। "
मैं तुमसे पूछूं , हे ननदी रानी ,हे गुड्डी रानी ,
अरे तोहरे जुबना का कारोबार कैसे चले ,
अरे रातों का रोजगार कैसे चले, हे गुड्डी रानी। "
......
" अरे चने के खेत में बोया है गन्ना ,अरे बोया है गन्ना ,
गुड्डी छिनरो को ले गया बभना , दबाये दोनों जुबना ,चने के खेत में।
चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई।
गुड्डी को चोद रहा उनका भाई ,अरे चोद रहा गुड्डी का भाई ,चने के खेत में। '
यह हुई न बात, कोमल जी.
"नीचे वाली" मैं " रस - चाशनी" का कारोबार शुरू हो गया है, यह जो मज़ा है लोक गीत के सटीक प्रहार का कोई बच नहीं पाता। अरमान जग जाते हैं.
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया
बहुत खूब. बस तड़पते हुए। .... इंतज़ार। ..........
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका