18-04-2020, 02:21 AM
(17-04-2020, 05:28 PM)komaalrani Wrote: हार या जीत
"दो दिन कम एक साल पहले लगी बाजी की। "
कोमल जी,
एक साल की "फांस" चुभी हुई है. यह, फांस जब तक शरीर मैं होती है, तकलीफ देती है , और यहाँ तो एक साल से इक्सो निकलने का इंतज़ार हो रहा था.
वो छिनार ,एकदम छिनरों वालीहंसी हँसते बोली।
" ये सब तो भैया खाते नहीं ,उन्हें एकदम नहीं पसन्द है "
एकदम "जले पे नमक" वाली स्थति , मन मैं आग लगी हो और होंटो पे स्माइल। उफ़, क्या चित्रण किया है आपने।
भावनाओ को लिखे बिना रहा नहीं गया , कोमल जी। हम औरतो के जीवन मैं, इस तरह की कई "फासे" चुभी हुई है, कुछ वक़्त के साथ ख़तम तो न , पर चुभन काम हो गयी है. पर जब याद आती है तो , बैचनी बढ़ जाती है.
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
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