17-04-2020, 05:55 PM
(This post was last modified: 19-08-2021, 11:52 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
देवर की .....नन्दोई
" दीदी आपके देवर ऐसे सूखे सूखे खाना खा रहे हैं "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।
" अरे देवर की ,...
वो आँख नचा के बोलीं। "
" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहतीं ,... नन्दोई। अब आपकी छुटकी ननदिया उनकी बचपन का माल है तो वो ननदोई तो हुए ही न ,"
मैंने जवाब दिया ,और बिना अपनी जेठानी का इन्तजार किये चालू हो गयी ,
" मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में। "
मैं तुमसे पूछूं , हे ननदी रानी ,हे गुड्डी रानी ,
अरे तोहरे जुबना का कारोबार कैसे चले ,
अरे रातों का रोजगार कैसे चले, हे गुड्डी रानी। "
जेठानी जी भी टेबल पर थाप दे दे के गाने में मेरा साथ दे रही थी ,लेकिन
गुड्डी ने आज बिना लजाये ,झिझके एकदम टिपिकल छिनार ननद की तरह जवाब दिया।
" अरे भौजी , जवानी आएगी तो जुबना भी आएंगे ,
और जब जोबन आएगा तो जोबन का रोजगार भी चलेगा और ग्राहक भी आएंगे /"
" एक ग्राहक तो तेरे बगल में ही बैठा है ,एकदम सट के , तेरे दाएं , "
मैं अपनी ननद से बोली और उंनसे भी छेड़ते हुए पूछा ,
" हे बोलो न कैसा लगता है मेरी ननद के नए नए आये बाला जोबन। "
और अब वो दोनों शर्मा गए ,लेकिन मेरी जेठानी ने एक झटके में गारी का लेवल चौथे गियर में पहुंचा दिया,
" चल मेरी घोड़ी चने के खेत में , ... "
एक क्लासिकल गारी जिसके शुरू होते ही आधी से ज्यादा ननदे भागने की फिराक में पड़ जातीं , लेकिन आज की बात और थी
मैं भी गुड्डी को दिखा दिखा के अपनी जेठानी का साथ देने लगी ,
" अरे चने के खेत में बोया है गन्ना ,अरे बोया है गन्ना ,
गुड्डी छिनरो को ले गया बभना , दबाये दोनों जुबना ,चने के खेत में।
चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई।
गुड्डी को चोद रहा उनका भाई ,अरे चोद रहा गुड्डी का भाई ,चने के खेत में। '
लेकिन मेरी ननद और ये ,एक दूसरे में मगन ,
इस छेड़छाड़ में खाना कब ख़तम हो गया पता नहीं चला।
लेकिन उनका खूंटा एकदम तना खड़ा था ,भूखा ये साफ़ पता चल रहा था।
" भाभी स्वीट डिश में क्या है ,भाभी "
गुड्डी ने पूछा।
" अरे तुझसे ज्यादा स्वीट क्या होगा , स्वीट सेवेंटीन या ,... "
मैंने मुस्कराते हुए उससे कहा और इनसे पूछा ,
" क्यों है न मेरी ननद स्वीट स्वीट , तो बस गपक लो न "
लेकिन गुड्डी इत्ती जल्दी हार नहीं मानने वाली थी ,
" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। '
गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।
"है न एकदम है।
ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। "
मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।
जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया
" दीदी आपके देवर ऐसे सूखे सूखे खाना खा रहे हैं "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।
" अरे देवर की ,...
वो आँख नचा के बोलीं। "
" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहतीं ,... नन्दोई। अब आपकी छुटकी ननदिया उनकी बचपन का माल है तो वो ननदोई तो हुए ही न ,"
मैंने जवाब दिया ,और बिना अपनी जेठानी का इन्तजार किये चालू हो गयी ,
" मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में। "
मैं तुमसे पूछूं , हे ननदी रानी ,हे गुड्डी रानी ,
अरे तोहरे जुबना का कारोबार कैसे चले ,
अरे रातों का रोजगार कैसे चले, हे गुड्डी रानी। "
जेठानी जी भी टेबल पर थाप दे दे के गाने में मेरा साथ दे रही थी ,लेकिन
गुड्डी ने आज बिना लजाये ,झिझके एकदम टिपिकल छिनार ननद की तरह जवाब दिया।
" अरे भौजी , जवानी आएगी तो जुबना भी आएंगे ,
और जब जोबन आएगा तो जोबन का रोजगार भी चलेगा और ग्राहक भी आएंगे /"
" एक ग्राहक तो तेरे बगल में ही बैठा है ,एकदम सट के , तेरे दाएं , "
मैं अपनी ननद से बोली और उंनसे भी छेड़ते हुए पूछा ,
" हे बोलो न कैसा लगता है मेरी ननद के नए नए आये बाला जोबन। "
और अब वो दोनों शर्मा गए ,लेकिन मेरी जेठानी ने एक झटके में गारी का लेवल चौथे गियर में पहुंचा दिया,
" चल मेरी घोड़ी चने के खेत में , ... "
एक क्लासिकल गारी जिसके शुरू होते ही आधी से ज्यादा ननदे भागने की फिराक में पड़ जातीं , लेकिन आज की बात और थी
मैं भी गुड्डी को दिखा दिखा के अपनी जेठानी का साथ देने लगी ,
" अरे चने के खेत में बोया है गन्ना ,अरे बोया है गन्ना ,
गुड्डी छिनरो को ले गया बभना , दबाये दोनों जुबना ,चने के खेत में।
चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई।
गुड्डी को चोद रहा उनका भाई ,अरे चोद रहा गुड्डी का भाई ,चने के खेत में। '
लेकिन मेरी ननद और ये ,एक दूसरे में मगन ,
इस छेड़छाड़ में खाना कब ख़तम हो गया पता नहीं चला।
लेकिन उनका खूंटा एकदम तना खड़ा था ,भूखा ये साफ़ पता चल रहा था।
" भाभी स्वीट डिश में क्या है ,भाभी "
गुड्डी ने पूछा।
" अरे तुझसे ज्यादा स्वीट क्या होगा , स्वीट सेवेंटीन या ,... "
मैंने मुस्कराते हुए उससे कहा और इनसे पूछा ,
" क्यों है न मेरी ननद स्वीट स्वीट , तो बस गपक लो न "
लेकिन गुड्डी इत्ती जल्दी हार नहीं मानने वाली थी ,
" अरे भौजी साफ साफ़ क्यों नहीं कह देतीं ,आपने कंजूसी कर दी या लालच। ये कहिये की स्वीट डिश कुछ बनाई नहीं बल्कि है भी नहीं। '
गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया।
"है न एकदम है।
ज़रा तू जाके फ्रिज की सेकेण्ड सेल्फ पर एक बड़ी सी फुल प्लेट है , एक दूसरी प्लैट से कवर की हुयी और एकदम चिपकी ,बंद। बस वही ले आ ना। यहीं टेबल पर खोलना। हम सबके सामने , बड़ी स्पेशल सी स्वीट डिश है। "
मैंने गुड्डी को चढ़ाया , और वो ये जा वो जा।
जब तक गुड्डी आयी मैंने और जेठानी जी ने टेबल क्लीन कर दी थी और सिर्फ स्वीट डिश के लिए साफ़ प्लेटें रख दी थी।
और गुड्डी वो प्लेट ले कर आगयी , और उसने टेबल पर ला के रख दिया। एक बड़ी सी प्लेट और साथ में एक दूसरी प्लेट से ढंकी।
खोलो न , मैंने जिद की और
गुड्डी ने खोल दिया