17-04-2020, 05:45 PM
(This post was last modified: 18-08-2021, 02:36 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कच्चे टिकोरे वाली
सैंडविच बने ,एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी 'वो ' बचपन की माल ,कच्चे टिकोरे वाली
दायीं ओर मैं ,
और बायीं ओर ' वो' ,
'वामा'
सामने जेठानी जी ,मेरी हरकतें देखतीं कुनमुनाती।
" थोड़ा और सरकिये न , अरे गुड्डी काट नहीं खायेगी।"
मैंने उन्हें कुहनी से गुड्डी की ओर ठेला।
वो एकदम फंसे, उनके अंग से गुड्डी के अंग रगड़ रहे थे,
गुड्डी की छोटी सी ऑलमोस्ट माइक्रो स्कर्ट से निकलती उसकी मांसल मखमली जाँघे,
बॉक्सर शार्ट से निकली इनकी मस्क्युलर पावरफुल जाँघों से एकदम सटी,
गुड्डी की खूब गोरी गोरी रेशमी मृणाल बांहे भी इनकी बाँहों से दरकती ,
लेकिन सबसे बड़ी शोल्डर लेस हाल्टर, जिससे न सिर्फ उसके कंधे की खुली खुली गोरी मक्खन सी गोलाइयाँ इनके कंधे से रगड़ खा रही थीं , बल्कि बिना देखे भी उसकी कच्ची अमिया झलक रही थी।
लेकिन गुड्डी उनकी बहना ज़रा भी अनईजी नहीं फील कर रही थी।
बल्कि किशोरी की निगाहें अपने भैय्या के सिक्स पैक्स को ,उनके ट्रांसलूसेंट टी से झांकती देह को थीं।
" हे गुड्डी दे न अपने भइया को , मैंने बोला था न तू देगी तो ये कभी मना नहीं करेंगे ,इन्होने खुद बोला था "
मैंने उसे शूली पर चढ़ाया।
" एकदम भाभी , मेरे भैय्या मेरी बात कभ्भी भी ,कभ्भी भी मना नहीं करते वो तो मैंने आपको इस घर में उतरते ही बता दिया था। चल भैय्या ,मुंह खोल न ,खूब बड़ा सा ,हाँ और बड़ा ,हाँ जिसमें पूरा लड्डू एक बार में आ जाय ,.... "
और सच में उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोल दिया ,
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,इसमें तेरी कच्ची अमिया भी एक बार में आ जायेगी।
गुड्डी ने सलाद की प्लेट से खीरे की सबसे बड़ी पीस निकाल के उनके मुंह में और उन्होंने सीधे गड़प।
गुड्डी विजयी मुस्कान से हम सब लोगों की ओर देख रही थी ,शायद उम्मीद कर रही थी हम लोग ताली बजाएं , ग्रीन्स से कोसों दूर रहने वाले उसके भैया आज खीरा ,सीधे गड़प।
ताली तो मैंने नहीं बजायी लेकिन तारीफ़ वाली नज़र से अपनी 'ननद कम सौतन ज्यादा' ( और अपने 'उनके" की होने वाली रखैल ) मैंने देखा , और वो ख़ुशी से खिल उठी।
" हे गुड्डी ने तुमको दिया तो तू भी तो गुड्डी को दो "
मैंने उन्हें कुहनी मारते बोला।
और उन्होंने एक बैंगन निकाल कर के सीधे गुड्डी की थाली में ,
और मेरी जेठानी को मौका मिल गया अपने देवर की खिंचाई करने का।
" देखो सबसे लंबा और मोटा बैंगन चुन के इन्होने गुड्डी को दिया "
वो हँसते हुए बोलीं।
" अरे दीदी , जैसे ये गुड्डी की कोई बात नहीं मना करते , गुड्डी भी इनकी कोई बात मना नहीं करती ,देखिये अभी हँसते हँसते घोंट लेगी ,पूरा गड़प कर लेगी। "
अब गुड्डी थोड़ा झेंपी पर मैंने भी ,... मैं क्यों मौक़ा छोड़ती और रगड़ने का , बोली
" देख कित्ता तेल लगा के ,... एकदम चिकना सटासट जाएगा , ज़रा भी नहीं पिरायेगा। "
और एक बैगन को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करते जैसे किसी लंड पे पे मुट्ठ मार रही होऊं उसे दिखाया।
ननद भाभी में इतना तो,..
लेकिन बजाय झेंपने ,झिझकने और गुस्सा होने के आज उनकी 'वो' भी मजा ले रही थी।
और उनको सर्व कर रही थी ,
हर बार जो उनको कुछ देने के लिए झुकती वो तो ,
हॉल्टर टॉप , तो वैसे ही शोल्डर लेस ,बहुत लो कट ,क्लीवेज को दिखाता ,गोलाइयों को उभारता
,
और वो जब झुक के कुछ उन्हें देती तो बस , गहराई और गोलाई के साथ उस किशोरी के नए नए आये मिल्क टिट्स भी ,
उन्हें क्या मुझे भी दिख जाते थे ,
और मन तो बस यही करता था की उस साली के टॉप में हाथ डाल के नोच लूँ ,दबोच लूँ।
मालुम तो उस एलवल वाली छिनार को भी पड़ रहा था की उसका इस तरह से झुकने से क्या असर उसके प्यारे प्यारे भईया पर पड़ रहा था।
और मैं तो देख ही रही थी उनका खूंटा अब एक बार फिर से सर उठाने लगा है।
लोग कहते हैं की नारियां अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ,
पर पुरुष की भावनाओ का एक ही बैरोमीटर है ,उनका खूंटा।
और अपनी छुटकी बहिनिया की नयी नयी चूँची देख कर खूंटा एकदम टनटना रहा था।
,
" सोने के थारी में जेवना परोसें ,जेवे गुड्डी का यार ,... ... "
मैंने गुनगुनाया तो चिढ़ाते हुए उनकी भौजाई बोलीं
" जेवना या ,... "
" अरे दीदी साफ़ साफ़ बोलियें न ,जेवना नहीं जुबना ,... " मैंने उनकी बात पूरी की।
पर गुड्डी ज़रा भी नहीं झिझकी।
वो देती रही जुबना उभारकर ,उचका कर , झुका कर ,
और वो लेते रहे ललचाकर ,
उनकी निगाहें एकदम एकदम मेरी ननद के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पर बस चिपकी , नदीदों की तरह उसे देखते ललचाते,
और वो गुड्डी भी एकदम पक्की छिनार , दो उँगलियों के बीच पकड़ के बीच सुनहली भिंडी , और उनसे बोलती
,भैय्या ज़रा बड़ा सा मुंह खोलों न
और सीधे उनके मुंह में ,
उनकी उँगलियाँ जाने अनजाने , ज्यादा जानकर उसके चिकने मक्खन गालों पर छू जातीं और ,...
कभी उसके गाल शर्म से गुलाल हो जाते तो कभी वो खिलखिला के हंस उठती और उस सारंग नयनी के गालों में गड्ढे पड़ जाते
" दीदी आपके देवर ऐसे सूखे सूखे खाना खा रहे हैं "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।
सैंडविच बने ,एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी 'वो ' बचपन की माल ,कच्चे टिकोरे वाली
दायीं ओर मैं ,
और बायीं ओर ' वो' ,
'वामा'
सामने जेठानी जी ,मेरी हरकतें देखतीं कुनमुनाती।
" थोड़ा और सरकिये न , अरे गुड्डी काट नहीं खायेगी।"
मैंने उन्हें कुहनी से गुड्डी की ओर ठेला।
वो एकदम फंसे, उनके अंग से गुड्डी के अंग रगड़ रहे थे,
गुड्डी की छोटी सी ऑलमोस्ट माइक्रो स्कर्ट से निकलती उसकी मांसल मखमली जाँघे,
बॉक्सर शार्ट से निकली इनकी मस्क्युलर पावरफुल जाँघों से एकदम सटी,
गुड्डी की खूब गोरी गोरी रेशमी मृणाल बांहे भी इनकी बाँहों से दरकती ,
लेकिन सबसे बड़ी शोल्डर लेस हाल्टर, जिससे न सिर्फ उसके कंधे की खुली खुली गोरी मक्खन सी गोलाइयाँ इनके कंधे से रगड़ खा रही थीं , बल्कि बिना देखे भी उसकी कच्ची अमिया झलक रही थी।
लेकिन गुड्डी उनकी बहना ज़रा भी अनईजी नहीं फील कर रही थी।
बल्कि किशोरी की निगाहें अपने भैय्या के सिक्स पैक्स को ,उनके ट्रांसलूसेंट टी से झांकती देह को थीं।
" हे गुड्डी दे न अपने भइया को , मैंने बोला था न तू देगी तो ये कभी मना नहीं करेंगे ,इन्होने खुद बोला था "
मैंने उसे शूली पर चढ़ाया।
" एकदम भाभी , मेरे भैय्या मेरी बात कभ्भी भी ,कभ्भी भी मना नहीं करते वो तो मैंने आपको इस घर में उतरते ही बता दिया था। चल भैय्या ,मुंह खोल न ,खूब बड़ा सा ,हाँ और बड़ा ,हाँ जिसमें पूरा लड्डू एक बार में आ जाय ,.... "
और सच में उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोल दिया ,
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,इसमें तेरी कच्ची अमिया भी एक बार में आ जायेगी।
गुड्डी ने सलाद की प्लेट से खीरे की सबसे बड़ी पीस निकाल के उनके मुंह में और उन्होंने सीधे गड़प।
गुड्डी विजयी मुस्कान से हम सब लोगों की ओर देख रही थी ,शायद उम्मीद कर रही थी हम लोग ताली बजाएं , ग्रीन्स से कोसों दूर रहने वाले उसके भैया आज खीरा ,सीधे गड़प।
ताली तो मैंने नहीं बजायी लेकिन तारीफ़ वाली नज़र से अपनी 'ननद कम सौतन ज्यादा' ( और अपने 'उनके" की होने वाली रखैल ) मैंने देखा , और वो ख़ुशी से खिल उठी।
" हे गुड्डी ने तुमको दिया तो तू भी तो गुड्डी को दो "
मैंने उन्हें कुहनी मारते बोला।
और उन्होंने एक बैंगन निकाल कर के सीधे गुड्डी की थाली में ,
और मेरी जेठानी को मौका मिल गया अपने देवर की खिंचाई करने का।
" देखो सबसे लंबा और मोटा बैंगन चुन के इन्होने गुड्डी को दिया "
वो हँसते हुए बोलीं।
" अरे दीदी , जैसे ये गुड्डी की कोई बात नहीं मना करते , गुड्डी भी इनकी कोई बात मना नहीं करती ,देखिये अभी हँसते हँसते घोंट लेगी ,पूरा गड़प कर लेगी। "
अब गुड्डी थोड़ा झेंपी पर मैंने भी ,... मैं क्यों मौक़ा छोड़ती और रगड़ने का , बोली
" देख कित्ता तेल लगा के ,... एकदम चिकना सटासट जाएगा , ज़रा भी नहीं पिरायेगा। "
और एक बैगन को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करते जैसे किसी लंड पे पे मुट्ठ मार रही होऊं उसे दिखाया।
ननद भाभी में इतना तो,..
लेकिन बजाय झेंपने ,झिझकने और गुस्सा होने के आज उनकी 'वो' भी मजा ले रही थी।
और उनको सर्व कर रही थी ,
हर बार जो उनको कुछ देने के लिए झुकती वो तो ,
हॉल्टर टॉप , तो वैसे ही शोल्डर लेस ,बहुत लो कट ,क्लीवेज को दिखाता ,गोलाइयों को उभारता
,
और वो जब झुक के कुछ उन्हें देती तो बस , गहराई और गोलाई के साथ उस किशोरी के नए नए आये मिल्क टिट्स भी ,
उन्हें क्या मुझे भी दिख जाते थे ,
और मन तो बस यही करता था की उस साली के टॉप में हाथ डाल के नोच लूँ ,दबोच लूँ।
मालुम तो उस एलवल वाली छिनार को भी पड़ रहा था की उसका इस तरह से झुकने से क्या असर उसके प्यारे प्यारे भईया पर पड़ रहा था।
और मैं तो देख ही रही थी उनका खूंटा अब एक बार फिर से सर उठाने लगा है।
लोग कहते हैं की नारियां अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ,
पर पुरुष की भावनाओ का एक ही बैरोमीटर है ,उनका खूंटा।
और अपनी छुटकी बहिनिया की नयी नयी चूँची देख कर खूंटा एकदम टनटना रहा था।
,
" सोने के थारी में जेवना परोसें ,जेवे गुड्डी का यार ,... ... "
मैंने गुनगुनाया तो चिढ़ाते हुए उनकी भौजाई बोलीं
" जेवना या ,... "
" अरे दीदी साफ़ साफ़ बोलियें न ,जेवना नहीं जुबना ,... " मैंने उनकी बात पूरी की।
पर गुड्डी ज़रा भी नहीं झिझकी।
वो देती रही जुबना उभारकर ,उचका कर , झुका कर ,
और वो लेते रहे ललचाकर ,
उनकी निगाहें एकदम एकदम मेरी ननद के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पर बस चिपकी , नदीदों की तरह उसे देखते ललचाते,
और वो गुड्डी भी एकदम पक्की छिनार , दो उँगलियों के बीच पकड़ के बीच सुनहली भिंडी , और उनसे बोलती
,भैय्या ज़रा बड़ा सा मुंह खोलों न
और सीधे उनके मुंह में ,
उनकी उँगलियाँ जाने अनजाने , ज्यादा जानकर उसके चिकने मक्खन गालों पर छू जातीं और ,...
कभी उसके गाल शर्म से गुलाल हो जाते तो कभी वो खिलखिला के हंस उठती और उस सारंग नयनी के गालों में गड्ढे पड़ जाते
" दीदी आपके देवर ऐसे सूखे सूखे खाना खा रहे हैं "
मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।