17-04-2020, 05:28 PM
(This post was last modified: 16-08-2021, 08:07 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
हार
हार या जीत
" याद है और अगर तू हार गयी तो ,,,,... "
" याद है फिर ये हार गया मेरे हाथ से और चार घंटे की गुलामी ,लेकिन आपकी ये ननद हारने वाली नहीं , हार लेने वाली है।
और आप ने बाजी भी ऐसी लगा दी है जो आप कभी जीत ही नहीं सकती "
मुस्कराती हुयी घमंड से वो बोली और उस की उंगलियां हार पर एकदम जकड़ गयीं।
तबतक जेठानी जी ने फिर हंकार दी और हम दोनों खाने की टेबल पर , वो भी वहीँ खड़े थे लेकिन बोले ज़रा मैं वाश रूम हो के आता हूँ।
और हम तीनो पहले तो एक दूसरे को देख कर मुस्कराये , फिर जोर जोर से खिलखिलाने लगे ,
हम तीनो को मालुम था की उनका वाशरूम जाना एक तरह की स्ट्रेटजिक रिट्रीट थी।
और बैठने की जगह भी मैंने स्ट्रेटजिकली प्लान की थी , मैं ये और उनकी 'वो 'एक साइड
और जेठानी सामने ,ताकि उन्हें सब दिखे, खेल खुल्लम खुल्ला ,देवर और दिन में ननद रात में देवरानी का।
लेकिन गुड्डी भी कम खिलाड़न नहीं थी, वो मुस्कराते हुए मेरे गले के उस 'नौलखा ' हार को देखती रही , फिर जेठानी को देखते बोली ,
" भाभी ,याद है सिर्फ दो दिन बचे हैं , दस अगस्त में। "
मेरी जेठानी कैसे भूल सकती थीं , वही तो अकेली गवाह थीं ,उस दो दिन कम एक साल पहले लगी बाजी की।
वैसे तो ननद के खिलाफ मैं और जेठानी एक हो जाते थे , पर पिछले दो दिनों से जो इस घर में चल रहा था बस ,
उन्होंने पाला पलटा , गुड्डी की ओर , और गुड्डी की हंसी में हंसी मिला के बोलीं,
" मैंने तो पहले ही कहा था इससे ,तेरे सामने ,याद है की अब ये तेरा हार तो गया। "
गुड्डी भी पक्की छिनार ,मेरे हार पर फिर हाथ लगाते बोली ,
" अरे नहीं भाभी , अभी दो दिन तो है न तब तक मेरी छुटकी भाभी एक हार के साथ कुछ सेल्फी वेल्फी खींच लें , अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दें ,आपका फेसबुक पेज वेज है की नहीं ? "
वो छिनार ,एकदम छिनरों वालीहंसी हँसते बोली।
और जेठानी भी ,मेरे जवाब देने के पहले ही , एकदम टिपिकल मेरी शादी के शुरू के दिनों टाइप कमेंट , और गुड्डी से उनकी मिली भगत ,
" अरे कपडे वपड़े तो कोई भी , लेकिन खाना पीना ,वो भी आम हम लोग तो ,.... बचपन से इसके देख रहे हैं नाम भी नहीं लेसकता। "
जेठानी जी टाइम ट्रेवल करते बोलीं।
" अरे छोड़िये न , ये सब बाते तो पहले सोचनी चाहिए थी न लेकिन मेरा तो फायदा हो गया न ,वैसे भाभी परेशान मत होइएगा रहेगा तो मेरे पास ही न। बहुत कबार कोई पार्टी वार्टी ,शादी ब्याह होगा तोदेदूंगी एकाध, दिन के लिए, "
वो ऐलवल वाली ,एकदम उसी अंदाज में बोली जिस अंदाज में मेरी शादी के बाद ,
लेकिन टेबल पर लगे खाने को देख कर उसका कमेंट बदल गया ,
खीरे की सलाद , बैंगन की कलौंजी
" ये सब तो भैया खाते नहीं ,उन्हें एकदम नहीं पसन्द है " वो बुदबुदायी।
मेरे मन में तो आया ,की बोल दूँ आज तो तेरी ये कच्ची अमिया कुतरेंगे वो और वो भी सबके सामने,
लेकिन फिर मैंने सोचा की चल कोमल कुछ देर तक तो इस बिचारी का भरम , और मैंने मक्खन वाली छूरी चलाई।
" असल में मैंने उन्हें बताया था की गुड्डी को खीरा,बैगन ,कच्चा केला ये सब बहुत पसंद है , मैंने कई बार इनसे तुम्हारा नाम लेके खाने को भी कहा की अरे जो गुड्डी को पसंद वो आपको भी पसंद है ये आप बार बार कहते हैं , तो जानती हो उन्होंने क्या कहा ?"
गुड्डी कान पारे सुन रही थी ,अपने दिल की बात , बोली ,
"बोलिये न। "
लेकिन तबतक मेरी जेठानी अपनी डबल मीनिंग वाली ननद भाभी की छेड़छाड़ , बोलीं ,
" अरे उस बिचारे को क्या मालुम , की गुड्डी को ये सब ऊपर वाले मुंह से ज्यादा नीचे वाले मुंह से पसंद आता है।
अपनी उमर की बाकी किशोरियों की तरह जिन्हे ऐसे मजाक पसंद तो बहुत आते हैं ,लेकिन ऊपर से बुरा मुंह बनाती हैं , ... बुरा मुंह बनाते बोली , भाभी और मुझसे कहा ,
हाँ आप बताइये न भैय्या क्या बोले।
" वो मान तो गए लेकिन उन्होंने दो शर्तें रखीं, पहले तो तेरे सामने खायंगे और दूसरा जब तू उनको देगी। "
" टिपकल मेरे भैय्या ,"
उसकी आँखों में वही चमक थी जो शुरू के दिनों में ,
लेकिन तबतक उसके भैया आ गए।
इधर उधर देखते रहे , मैं गुड्डी से बोली ,
'अरे ज़रा सा सरक,सरक न अपने भइया को बैठने दे."
वो वैसे ही किनारे सटी , थोड़ा सरकी , और बीच में ये घुसे ,
सैंडविच बने ,एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी 'वो ' बचपन की माल ,कच्चे टिकोरे वाली
दायीं ओर मैं ,
और बायीं ओर ' वो' ,
हार या जीत
" याद है और अगर तू हार गयी तो ,,,,... "
" याद है फिर ये हार गया मेरे हाथ से और चार घंटे की गुलामी ,लेकिन आपकी ये ननद हारने वाली नहीं , हार लेने वाली है।
और आप ने बाजी भी ऐसी लगा दी है जो आप कभी जीत ही नहीं सकती "
मुस्कराती हुयी घमंड से वो बोली और उस की उंगलियां हार पर एकदम जकड़ गयीं।
तबतक जेठानी जी ने फिर हंकार दी और हम दोनों खाने की टेबल पर , वो भी वहीँ खड़े थे लेकिन बोले ज़रा मैं वाश रूम हो के आता हूँ।
और हम तीनो पहले तो एक दूसरे को देख कर मुस्कराये , फिर जोर जोर से खिलखिलाने लगे ,
हम तीनो को मालुम था की उनका वाशरूम जाना एक तरह की स्ट्रेटजिक रिट्रीट थी।
और बैठने की जगह भी मैंने स्ट्रेटजिकली प्लान की थी , मैं ये और उनकी 'वो 'एक साइड
और जेठानी सामने ,ताकि उन्हें सब दिखे, खेल खुल्लम खुल्ला ,देवर और दिन में ननद रात में देवरानी का।
लेकिन गुड्डी भी कम खिलाड़न नहीं थी, वो मुस्कराते हुए मेरे गले के उस 'नौलखा ' हार को देखती रही , फिर जेठानी को देखते बोली ,
" भाभी ,याद है सिर्फ दो दिन बचे हैं , दस अगस्त में। "
मेरी जेठानी कैसे भूल सकती थीं , वही तो अकेली गवाह थीं ,उस दो दिन कम एक साल पहले लगी बाजी की।
वैसे तो ननद के खिलाफ मैं और जेठानी एक हो जाते थे , पर पिछले दो दिनों से जो इस घर में चल रहा था बस ,
उन्होंने पाला पलटा , गुड्डी की ओर , और गुड्डी की हंसी में हंसी मिला के बोलीं,
" मैंने तो पहले ही कहा था इससे ,तेरे सामने ,याद है की अब ये तेरा हार तो गया। "
गुड्डी भी पक्की छिनार ,मेरे हार पर फिर हाथ लगाते बोली ,
" अरे नहीं भाभी , अभी दो दिन तो है न तब तक मेरी छुटकी भाभी एक हार के साथ कुछ सेल्फी वेल्फी खींच लें , अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दें ,आपका फेसबुक पेज वेज है की नहीं ? "
वो छिनार ,एकदम छिनरों वालीहंसी हँसते बोली।
और जेठानी भी ,मेरे जवाब देने के पहले ही , एकदम टिपिकल मेरी शादी के शुरू के दिनों टाइप कमेंट , और गुड्डी से उनकी मिली भगत ,
" अरे कपडे वपड़े तो कोई भी , लेकिन खाना पीना ,वो भी आम हम लोग तो ,.... बचपन से इसके देख रहे हैं नाम भी नहीं लेसकता। "
जेठानी जी टाइम ट्रेवल करते बोलीं।
" अरे छोड़िये न , ये सब बाते तो पहले सोचनी चाहिए थी न लेकिन मेरा तो फायदा हो गया न ,वैसे भाभी परेशान मत होइएगा रहेगा तो मेरे पास ही न। बहुत कबार कोई पार्टी वार्टी ,शादी ब्याह होगा तोदेदूंगी एकाध, दिन के लिए, "
वो ऐलवल वाली ,एकदम उसी अंदाज में बोली जिस अंदाज में मेरी शादी के बाद ,
लेकिन टेबल पर लगे खाने को देख कर उसका कमेंट बदल गया ,
खीरे की सलाद , बैंगन की कलौंजी
" ये सब तो भैया खाते नहीं ,उन्हें एकदम नहीं पसन्द है " वो बुदबुदायी।
मेरे मन में तो आया ,की बोल दूँ आज तो तेरी ये कच्ची अमिया कुतरेंगे वो और वो भी सबके सामने,
लेकिन फिर मैंने सोचा की चल कोमल कुछ देर तक तो इस बिचारी का भरम , और मैंने मक्खन वाली छूरी चलाई।
" असल में मैंने उन्हें बताया था की गुड्डी को खीरा,बैगन ,कच्चा केला ये सब बहुत पसंद है , मैंने कई बार इनसे तुम्हारा नाम लेके खाने को भी कहा की अरे जो गुड्डी को पसंद वो आपको भी पसंद है ये आप बार बार कहते हैं , तो जानती हो उन्होंने क्या कहा ?"
गुड्डी कान पारे सुन रही थी ,अपने दिल की बात , बोली ,
"बोलिये न। "
लेकिन तबतक मेरी जेठानी अपनी डबल मीनिंग वाली ननद भाभी की छेड़छाड़ , बोलीं ,
" अरे उस बिचारे को क्या मालुम , की गुड्डी को ये सब ऊपर वाले मुंह से ज्यादा नीचे वाले मुंह से पसंद आता है।
अपनी उमर की बाकी किशोरियों की तरह जिन्हे ऐसे मजाक पसंद तो बहुत आते हैं ,लेकिन ऊपर से बुरा मुंह बनाती हैं , ... बुरा मुंह बनाते बोली , भाभी और मुझसे कहा ,
हाँ आप बताइये न भैय्या क्या बोले।
" वो मान तो गए लेकिन उन्होंने दो शर्तें रखीं, पहले तो तेरे सामने खायंगे और दूसरा जब तू उनको देगी। "
" टिपकल मेरे भैय्या ,"
उसकी आँखों में वही चमक थी जो शुरू के दिनों में ,
लेकिन तबतक उसके भैया आ गए।
इधर उधर देखते रहे , मैं गुड्डी से बोली ,
'अरे ज़रा सा सरक,सरक न अपने भइया को बैठने दे."
वो वैसे ही किनारे सटी , थोड़ा सरकी , और बीच में ये घुसे ,
सैंडविच बने ,एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी 'वो ' बचपन की माल ,कच्चे टिकोरे वाली
दायीं ओर मैं ,
और बायीं ओर ' वो' ,