17-04-2020, 01:25 PM
(17-04-2020, 10:30 AM)@Kusum_Soni Wrote: पर सोच लो जी, इससे हमारी "रगड़ाई" और बढ़ जाएगी, "चाशनी" भर -भर के आयेगी।
[b]मैं तो शुरू से ही, मुर्ख थी, अब "ले" "ले" कर थोड़ी अकल आयी है, सच है, लड़की खुलती ही जब है , जब सारे "छेद" खुल जाते हे। [/b]
[b] निहारिका जी क्या बात है बिल्कुल सही कह दिया है आप ने[/b]
कोमल जी की कहानियां पढ़ के ही इतनी गर्मा जाती है हम ओर पता नहीं हमारा मूड कैसे सेयाँ जी पता कर लेते है फिर रात भर लेती रहती है हम देते रहते है वो
अब अगर हमारी आज कल की आप बीती बतियाएँगी तो ऊफ़्फ़ कोमल जी आप मार डालोगी
बस सब कुछ छोड़ छाड़ के जल्दी शुरू करो रहा नहीं जाता
निहारिका जी सच में जब से लेने लगी है तब से ही असल मस्ती का भान हुआ है
आज तक जिस शर्म हया के पर्दे में लिपटी रही
उन्होंने उस को दूर हटा के जब दिया कस के तो पता चला कामसुख क्या होता है बाकी सभी चीजें इस आनंद से कोसों दूर बसती है
बिल्कुल जब तक सारे छेद नहीं खुले थे हम भी नहीं खुली थी
अपने आप से भी अंजान थी
पर जब से फीता कटा है दोंनो तीनों दरवाजों का
जीवन मे क्या मस्ती छाई है
इस मे कोमल जी ही सारी काम शिक्षा है
एक औरत या लड़की को उस आनंद से परिचित करवाना
बस अब ये दोनों बातें सर्वसम्मति से स्वीकार है
हम सब को
निहारिका जी फिर कोमल जी का जलवा ओर आप का जलवा
तो हो जाये धमाल
तो हो जाए धमाल
और फिर अब रगड़ाई से कौन डरता है , इसी रगड़ाई के लिए तो हम मायका छोड़ के ससुराल आती हैं
तो बताइये न कैसी गुजारी रात