17-04-2020, 12:39 PM
सास का फैसला
असल में मैं चाहती थी , होली में अपने मायके जाना , ...
उसी के बाद उनको ज्वाइन करना था और शादी के बाद मैं गयी नहीं थी ,
और फिर जब से मेरी शादी तय हुयी थी , इनकी दोनों सालियाँ ,
जब ये देखने आये थे , ... तभी मुझसे ताम्रपत्र पर लिखवा लिया था , जितने दिन उन के जीजू अपनी ससुराल में रहेंगे , ..
मैं उन के जीजू की ओर देखूंगी भी नहीं ,... एकदम मैं मान गयी थी , तभी उनका फोन नंबर मिला मुझे।
और गांव में तो जितनी लड़कियां होती है सब की सब साली ,
और सब भौजाइयां सलहज , ...ख़ास तौर से काम करने वाली , नाउन कहाईन , सब , ...
फिर कोहबर में ही इनसे साली सरहज सबने तिरबाचा भरवा लिया था की होली में ये आयंगे , ...
इसलिए मन तो इनका भी कर रहा था , ... और हमारे गाँव में तो पूरे पांच दिन होली होती है , ...
कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,
लेकिन बोले कौन ,... ये बेचारे तो मुझसे तक बोल नहीं पा रहे थे , मेरी सास से क्या बोलते ,...
और हमारे यहाँ सब बातें खाने के समय ही होती थी , सारे फैसले और मेरी सास ही फैसले लेती थी।
लेकिन बात छेड़े कौन , ... मैं नहीं चाहती थी की मैं कुछ ऐसा बोल दूँ , ..
सास मेरी इतना मानती थी मुझे , मेरे चक्कर में इन्हे डाँट पड़ जाती थी , तो उन के सामने , ,,,
रोज मैं जोड़ती थी फागुन , होली , सोचती थी आज हिम्मत कर के , ... फिर होता था अगले दिन ,
अगले दिन तो नहीं उसके अगले दिन , ...
बात मेरी सासु ने ही शुरू की ,
बात क्या शुरू की सीधे हुकुम सुनाया और जैसा उनकी आदत थी ,
इन्हे डांट कर , ... कम्मो साथ थी ,
" ससुराल जाओगे तो खाली हाथ मत जाना , कुछ शॉपिंग वापिंग कर लो , मेरी समधन के लिए अच्छी साड़ी ले आना , जैसे मेरी लिए लाये हो वैसे ही , और कम से दो तीन , एक तो मेरी ओर से भी होगी , दुल्हन की पहली होली ,... होगी ,...
और साली सलहज , घर में काम करने वाली , ... मुफत में होली खेलने को नहीं मिलती , ... आज ही जाकर , ... "
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , न मैंने कहा, इनकी तो खैर हिम्मत पड़ती नहीं , कैसे , दस बार तो ये कहा गया था , दुल्हन की पहली होली ससुराल में
और सास ने अब बात मेरी ओर मोड़ दी ,
" तुझे तो मालूम है , ये कितना बुद्धू है , ये तो इसकी किस्मत अच्छी है की तू इसे मिल गयी , इसे कुछ भी समझ नहीं है , ... "
मेरे मुंह से जी निकल गया और मेरी जेठानी और कम्मो दोनों इनकी ओर देख कर जोर से मुस्करायी ,
पर सासू जी पर कोई असर नहीं पड़ा , वो मुझे समझाती रहीं ,
" तू साथ जाना शॉपिंग के लिए , तुझे हर चीज की बहुत अच्छी तमीज़ है , कपडे की भी फैशन की , ... और पहले से लिस्ट बना लेना ,... और अपने लिए भी ,... पहली होली होगी तेरी , कुछ सिलने के लिए देना हो तो टेलर इसे मालुम है , ... जो मेरे कपडे सिलता है , तेरी जेठानी के भी , उसी के पास , ... और होली के लिए कुछ और , ... "
लेकिन मेरे मन में कुछ उमड़ घुमड़ रहा था , कहीं इन्होने तो सास से मेरे नहीं कह दिया , या कहीं मम्मी ने तो नहीं और सास मेरी अलफ़ हो गयीं हो , और मैंने हिम्मत कर के बोल दिया
"असल में , ... मेरा मतलब , ... लेकिन क्यों , ... कहीं ,...आप ने तो , ... "
मैं हिचकिचा रही थी , घबड़ा रही थी , जो कहना चाह रही थी , वो कह नहीं पा रही थी , क्या पता किस बात पे बुरा मान जाए , और क्या कहूं , ...
" साफ़ साफ़ बोल न , क्या कहना चाह रही है , ... "
सासू जी मुझसे बोलीं ,
जेठानी , कम्मो , ये सब मेरी ओर ही देख रहे थे और मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं , ...
बोल नहीं फूट रहे थे , कभी नीचे देखती , कभी ऊँगली में आँचल घुमाती ,
और ये भी न ,... एक बार इनकी ओर देखा पर ये भी चुप्प , ... आखिर हिम्मत कर के बोली , ...
' असल में मैं सोच रही थी , पहली होली , ... तो यहीं ,... आप लोगों के साथ , ... "
सास मेरी मुस्करायी , ... फिर बोलीं ,
" तू भी न , आखिर किस बात को ले कर पड़ी है , ..हमारे यहाँ की रस्म है , की दुलहन की पहली होली ससुराल में होती है , ... अरे वो मैंने ही कही थी , मैं अब कुछ और कह रही हूँ , ...और तेरे ननद नन्दोई आ नहीं रहे , देवर भी बनारस जा रहा है , फिर किसके साथ होली खेलेगी , मेरे साथ या अपनी जेठानी के साथ ,... "
" नहीं लेकिन मैं , असल में पहली होली के , .... फिर बाद में , ... "
अबकी सासू जी सच में गुस्सा हो गयीं , और उनकी एक आदत मैंने नोट की थी जब वो ज्यादा गुस्से में होती थीं , तो जिससे नाराज होती थीं उससे कुछ नहीं बोलती थी , और किसी और पर अपना सारा गुस्सा , ...
और उन्होंने अपना चेहरा मेरी जेठानी की ओर कर लिया और उन्हें हड़काने लगी , ...इतना गुस्सा मैंने देखानहीं था कभी
" तुझे मैंने बोला था न जरा ठोंक बजा के देवरानी लाना , सुन्दर तो ऐसी कोई नहीं हो सकती , लेकिन दिमाग भी तो देखना चाहिए था , ..
एकदम पागल। और किस जमाने की लड़की पकड़ लायी तू।
जब ये ट्रेनिंग पर जा रहा था तो मैंने बोला , मायके चली जा इसे , तूने भी समझाया , ...
इसने भी लेकिन नहीं एक जिद आप लोगों के पास रहूंगी , दीदी के पास रहूंगी , नहीं जाउंगी , ... और नहीं जाउंगी तो नहीं जाउंगी ,...
कोई आज कल की लड़की होती मरद बाद में जाता उसका सूटकेस पहले बंध जाता , ... और जाने के पहले खाली टाटा बाई करने आती , और ये तेरी देवरानी , ... आज के जमाने में भी बस अपने सास से ,...
कुछ भी समझ नहीं है , ...
अरे इसे बता , होली की छुट्टी के बाद सीधे जॉब पर जाना होगा , और नयी नौकरी में छुट्टी भी नहीं मिलती , साथ आठ महीने ,...
तो क्या साल भर बाद ,... मायके जायेगी , ससुराल का इतना ख्याल है , सास का लेकिन माँ का बहन का , ... उनका भी तो ,... "
सास मेरी बोले जा रहीं थी और मेरी आँखों में आंसू नाच रहे थे , ... मुझसे ज्यादा , ... यहाँ मेरी इनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी और सास हमारी खुद , ...
फिर डांट का रुख मेरी ओर हो गया ,
" समधन जी का फोन आया था , तू उन्हें फ़ोन क्यों नहीं करती , ... " सास बोलीं।
असल में मैं चाहती थी , होली में अपने मायके जाना , ...
उसी के बाद उनको ज्वाइन करना था और शादी के बाद मैं गयी नहीं थी ,
और फिर जब से मेरी शादी तय हुयी थी , इनकी दोनों सालियाँ ,
जब ये देखने आये थे , ... तभी मुझसे ताम्रपत्र पर लिखवा लिया था , जितने दिन उन के जीजू अपनी ससुराल में रहेंगे , ..
मैं उन के जीजू की ओर देखूंगी भी नहीं ,... एकदम मैं मान गयी थी , तभी उनका फोन नंबर मिला मुझे।
और गांव में तो जितनी लड़कियां होती है सब की सब साली ,
और सब भौजाइयां सलहज , ...ख़ास तौर से काम करने वाली , नाउन कहाईन , सब , ...
फिर कोहबर में ही इनसे साली सरहज सबने तिरबाचा भरवा लिया था की होली में ये आयंगे , ...
इसलिए मन तो इनका भी कर रहा था , ... और हमारे गाँव में तो पूरे पांच दिन होली होती है , ...
कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,
लेकिन बोले कौन ,... ये बेचारे तो मुझसे तक बोल नहीं पा रहे थे , मेरी सास से क्या बोलते ,...
और हमारे यहाँ सब बातें खाने के समय ही होती थी , सारे फैसले और मेरी सास ही फैसले लेती थी।
लेकिन बात छेड़े कौन , ... मैं नहीं चाहती थी की मैं कुछ ऐसा बोल दूँ , ..
सास मेरी इतना मानती थी मुझे , मेरे चक्कर में इन्हे डाँट पड़ जाती थी , तो उन के सामने , ,,,
रोज मैं जोड़ती थी फागुन , होली , सोचती थी आज हिम्मत कर के , ... फिर होता था अगले दिन ,
अगले दिन तो नहीं उसके अगले दिन , ...
बात मेरी सासु ने ही शुरू की ,
बात क्या शुरू की सीधे हुकुम सुनाया और जैसा उनकी आदत थी ,
इन्हे डांट कर , ... कम्मो साथ थी ,
" ससुराल जाओगे तो खाली हाथ मत जाना , कुछ शॉपिंग वापिंग कर लो , मेरी समधन के लिए अच्छी साड़ी ले आना , जैसे मेरी लिए लाये हो वैसे ही , और कम से दो तीन , एक तो मेरी ओर से भी होगी , दुल्हन की पहली होली ,... होगी ,...
और साली सलहज , घर में काम करने वाली , ... मुफत में होली खेलने को नहीं मिलती , ... आज ही जाकर , ... "
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , न मैंने कहा, इनकी तो खैर हिम्मत पड़ती नहीं , कैसे , दस बार तो ये कहा गया था , दुल्हन की पहली होली ससुराल में
और सास ने अब बात मेरी ओर मोड़ दी ,
" तुझे तो मालूम है , ये कितना बुद्धू है , ये तो इसकी किस्मत अच्छी है की तू इसे मिल गयी , इसे कुछ भी समझ नहीं है , ... "
मेरे मुंह से जी निकल गया और मेरी जेठानी और कम्मो दोनों इनकी ओर देख कर जोर से मुस्करायी ,
पर सासू जी पर कोई असर नहीं पड़ा , वो मुझे समझाती रहीं ,
" तू साथ जाना शॉपिंग के लिए , तुझे हर चीज की बहुत अच्छी तमीज़ है , कपडे की भी फैशन की , ... और पहले से लिस्ट बना लेना ,... और अपने लिए भी ,... पहली होली होगी तेरी , कुछ सिलने के लिए देना हो तो टेलर इसे मालुम है , ... जो मेरे कपडे सिलता है , तेरी जेठानी के भी , उसी के पास , ... और होली के लिए कुछ और , ... "
लेकिन मेरे मन में कुछ उमड़ घुमड़ रहा था , कहीं इन्होने तो सास से मेरे नहीं कह दिया , या कहीं मम्मी ने तो नहीं और सास मेरी अलफ़ हो गयीं हो , और मैंने हिम्मत कर के बोल दिया
"असल में , ... मेरा मतलब , ... लेकिन क्यों , ... कहीं ,...आप ने तो , ... "
मैं हिचकिचा रही थी , घबड़ा रही थी , जो कहना चाह रही थी , वो कह नहीं पा रही थी , क्या पता किस बात पे बुरा मान जाए , और क्या कहूं , ...
" साफ़ साफ़ बोल न , क्या कहना चाह रही है , ... "
सासू जी मुझसे बोलीं ,
जेठानी , कम्मो , ये सब मेरी ओर ही देख रहे थे और मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं , ...
बोल नहीं फूट रहे थे , कभी नीचे देखती , कभी ऊँगली में आँचल घुमाती ,
और ये भी न ,... एक बार इनकी ओर देखा पर ये भी चुप्प , ... आखिर हिम्मत कर के बोली , ...
' असल में मैं सोच रही थी , पहली होली , ... तो यहीं ,... आप लोगों के साथ , ... "
सास मेरी मुस्करायी , ... फिर बोलीं ,
" तू भी न , आखिर किस बात को ले कर पड़ी है , ..हमारे यहाँ की रस्म है , की दुलहन की पहली होली ससुराल में होती है , ... अरे वो मैंने ही कही थी , मैं अब कुछ और कह रही हूँ , ...और तेरे ननद नन्दोई आ नहीं रहे , देवर भी बनारस जा रहा है , फिर किसके साथ होली खेलेगी , मेरे साथ या अपनी जेठानी के साथ ,... "
" नहीं लेकिन मैं , असल में पहली होली के , .... फिर बाद में , ... "
अबकी सासू जी सच में गुस्सा हो गयीं , और उनकी एक आदत मैंने नोट की थी जब वो ज्यादा गुस्से में होती थीं , तो जिससे नाराज होती थीं उससे कुछ नहीं बोलती थी , और किसी और पर अपना सारा गुस्सा , ...
और उन्होंने अपना चेहरा मेरी जेठानी की ओर कर लिया और उन्हें हड़काने लगी , ...इतना गुस्सा मैंने देखानहीं था कभी
" तुझे मैंने बोला था न जरा ठोंक बजा के देवरानी लाना , सुन्दर तो ऐसी कोई नहीं हो सकती , लेकिन दिमाग भी तो देखना चाहिए था , ..
एकदम पागल। और किस जमाने की लड़की पकड़ लायी तू।
जब ये ट्रेनिंग पर जा रहा था तो मैंने बोला , मायके चली जा इसे , तूने भी समझाया , ...
इसने भी लेकिन नहीं एक जिद आप लोगों के पास रहूंगी , दीदी के पास रहूंगी , नहीं जाउंगी , ... और नहीं जाउंगी तो नहीं जाउंगी ,...
कोई आज कल की लड़की होती मरद बाद में जाता उसका सूटकेस पहले बंध जाता , ... और जाने के पहले खाली टाटा बाई करने आती , और ये तेरी देवरानी , ... आज के जमाने में भी बस अपने सास से ,...
कुछ भी समझ नहीं है , ...
अरे इसे बता , होली की छुट्टी के बाद सीधे जॉब पर जाना होगा , और नयी नौकरी में छुट्टी भी नहीं मिलती , साथ आठ महीने ,...
तो क्या साल भर बाद ,... मायके जायेगी , ससुराल का इतना ख्याल है , सास का लेकिन माँ का बहन का , ... उनका भी तो ,... "
सास मेरी बोले जा रहीं थी और मेरी आँखों में आंसू नाच रहे थे , ... मुझसे ज्यादा , ... यहाँ मेरी इनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी और सास हमारी खुद , ...
फिर डांट का रुख मेरी ओर हो गया ,
" समधन जी का फोन आया था , तू उन्हें फ़ोन क्यों नहीं करती , ... " सास बोलीं।