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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
#82
(17-04-2020, 01:01 AM)Niharikasaree Wrote:
आप की कहानी हम सब को अपने टीनेजर दिनों की ओर बार बार लौटा दे रही है , सच में इत्ता अच्छा लगता है 

 कोमल जी,

सच्ची, टीनएज भी क्या उम्र होती है, उमंग , तरंग , जोश,  जोबन, "गन्दी-बाते", सुनना, करना, हो। ..... तू कितनी बेशरम हो गई आज का....... ही , ही, हा  , हा  और फिर से, आगे बता न। .. क्या हुआ फिर, एकदम , "निचे" रस भर जाता था.


हम सब आप के ही थ्रेड पर ' आज कल ' की बातें भी ,
जी, कोमल जी, आपका हुकम  सर आखो पर, जैसा आपक लोग कहे, यह हमारी बाते हैं, हम औरतो की, कहे जाओ, कभी न ख़तम होंगी। तड़का, मसाला, "और आज क्या हुआ", "कहा हुआ", पर सोच लो जी, इससे हमारी "रगड़ाई" और बढ़ जाएगी, "चाशनी" भर -भर के आयेगी। 

मैं तो एक ऐसे शहर में हूँ जिसका नाम ही बाई के साथ जुड़ा है और आज कल बाई गायब , लेकिन उसका फायदा भी है २४ घण्टे की प्राइवेसी 

जी, मैं समझ गई, क्या खूब इशारा दिया है, मान गई आपको। मैं तो शुरू से ही, मुर्ख थी, अब "ले" "ले" कर थोड़ी अकल आयी है, सच है, लड़की खुलती ही जब है , जब सारे "छेद" खुल जाते हे। 

मेरी कहानियों में लोक गीत बहुत रहते हैं , गाँव की हूँ , ... और मैं वही गाने लिखती हूँ ख़ास कर के गारी वाले जो या तो मैंने गाये या किसी ने मेरे लिए मुझे सुना सूना के गाये 

पर मुझे लगता है की कई बार शायद कई लोगों को ( जैसे पिछली बार कन्यादान के गाने थे ) ठीक से समझ में न आये तो क्या मुझे हिंदी में उसका अर्थ भी उस पोस्ट में न सही  बाद में लिखना चाहिए ,... 

जी, कोमल जी, आपका सोचना कुछ हद तक सही हो सकता है, पर जो मज़ा , जो तीखापन- मीठापन उन लोक गीतों मैं है वो आज कहाँ, र उसे समझना इतना कठिन भी नहीं, भावनाओ से जुडी बाते होती हैं, उन गीतों मैं, और भावनाओ को समझने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होती। 
फिर भी, आसानी के लिए, अगर समय मिले तो , सारल भाषा मैं अनुवाद कर दे तो अच्छा ही होगा। 

आप सब भी अगर कुछ गाने अगर शेयर कर सकें ,... खास तौर  से छेड़छाड़ वाले  - अब आपके जैसे मज़ेदार लोक गीत अब कहाँ सुन पाते हैं, अब तो " राते दिया बूता के पिया क्या -क्या किया". लोक गीतों का खजाना तो आप ही शेयर करे तो जयादा अच्छा रहेगा।

कोमल जी,

"अब क्या कहूं , सब तो आप कह देती हैं , हाँ इतनी भी तारीफ़ न करिये की फिसल के धड़ाम से गिरूं",

बस आपकी पोस्ट का इंतज़ार करती हु  तारीफ तो खुद बी खुद हो जाती है , अब तारीफ़ तो कबीले- ऐ - तारीफ़ लोगो की ही होती हैं न, आपके, कहानी, शब्द चयन, रुपरेखा, साथ यूज़ करि पिक्स, एकदम जानमारू, एकदम गरमा देती हैं, गर्दा उड़ा देती हैं जी. 

मेरी सहेलिओं से भी विनती हैं , कुछ अपने सुझाव, जवानी की यादे शेयर करे। 

आपके। ....................

 

पर सोच लो जी, इससे हमारी "रगड़ाई" और बढ़ जाएगी, "चाशनी" भर -भर के आयेगी।

    [b]मैं तो शुरू से ही, मुर्ख थी, अब "ले" "ले" कर थोड़ी अकल आयी है, सच है, लड़की खुलती ही जब है , जब सारे "छेद" खुल जाते हे। [/b]


[b] निहारिका जी क्या बात है बिल्कुल सही कह दिया है आप ने[/b]
कोमल जी की कहानियां पढ़ के ही इतनी गर्मा जाती है हम ओर पता नहीं हमारा मूड कैसे सेयाँ जी पता कर लेते है फिर रात भर लेती रहती है हम देते रहते है वो 

 अब अगर हमारी आज कल की आप बीती बतियाएँगी तो ऊफ़्फ़ कोमल जी आप मार डालोगी 

 बस सब कुछ छोड़ छाड़ के जल्दी शुरू करो रहा नहीं जाता 

निहारिका जी सच में जब से लेने लगी है तब से ही असल मस्ती का भान हुआ है
आज तक जिस शर्म हया के पर्दे में लिपटी रही
उन्होंने उस को दूर हटा के जब दिया कस के तो पता चला कामसुख क्या होता है बाकी सभी चीजें इस आनंद से कोसों दूर बसती है

  बिल्कुल जब तक सारे छेद नहीं खुले थे हम भी नहीं खुली थी
अपने आप से भी अंजान थी

  पर जब से फीता कटा है दोंनो तीनों दरवाजों का 
जीवन मे क्या मस्ती छाई है 
इस मे कोमल जी ही सारी काम शिक्षा है
   एक औरत या लड़की को उस आनंद से परिचित करवाना 
  बस अब ये दोनों बातें सर्वसम्मति से स्वीकार है
हम सब को

   निहारिका जी फिर कोमल जी का जलवा ओर आप का जलवा 
तो हो जाये धमाल  Namaskar clps clps welcome
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by @Kusum_Soni - 17-04-2020, 10:30 AM



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