16-04-2020, 08:22 PM
(This post was last modified: 09-01-2021, 01:40 PM by sinureddy. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
सूरज सर पर चढ़ चुका था और मानो आग के गोले बरसा रहा था.. चारो ओर बस उड़ती हुई गर्म रेत और गर्म हवा की लहरे नज़र आ रही थी.. और रेगिस्तान के उस टीले पर नेहा किसी तरह बस चले जा रही थी. बदन पर एक कपड़ा ना था उसके और सुरज की तेज़ किरणें उसके नर्म गोरी चमड़ी को झुलसा कर पपड़ी बनाए जा रही थी.. उसका गला पूरी तरह सूख रहा था और होठो पर रेत जम चुकी थी..
'रिचा ..' - वो ज़ोर से चिल्लाई .. पर गले से उसकी आवाज़ ना निकली
उसकी साँसे थमती जा रही थी.. बदन भारी होता जा रहा था..और जलती हुई आँखो को रेत के अलावा कुछ नज़र नही आ रहा था..
वो निढाल हो ज़मीन पर गिरने ही वाली थी की टीले के नीचे उसे रिचा दिखी.. पड़ी हुई..बेजान सी..बाल रेत से भरे ..गोरा बदन झुलस कर काला पड़ता हुआ..वो दौड़ी उसकी ओर.. पर ताक़त कहाँ बची थी पैरो मे.. लड़खड़ाई और अगले ही पल गिर कर उस रेत मे लुढ़कने लगी..और गर्म रेत जैसे उसके बदन पर जलते हुए आंगारे की भाँति जला रहे थे.. सीधा लुढ़कती हुई वो नीचे आई और रिचा के बदन से टकरा गयी..और फिर..
नेहा की एक झटके मे आँखे खुली.. खुली तो कुछ नज़र ना आया.. घुपप अंधेरा..फिर हल्की हल्की रोशनी मे सब नज़र आने लगा.. गला पूरा सूख रहा था उसका ..सर फटा जा रहा था और धड़कनें जैसे धाड़ धाड़ नगाड़े पीट रही हो.. उसने हड़बड़ा कर सबसे पहले रिचा को देखा..
वो उसकी ओर पीठ कर शांति से गहरी नींद मे सो रही थी.. 'उफ़' - धड़कने थोड़ी शांत हुई उसकी
जैसे तैसे बाल संभालते उठी बिस्तर से और खुले बदन ही किचन की तरफ बढ़ी.. सर फटा जा रहा था उसका और प्यास से गला सुख कर जलने लगा था.. उसने फ्रिज से पानी की बॉटल निकली और एक घूट पीकर फिर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी..
'उफ़ ये क्या हो रहा है.. '
'सब तेरे इस बेसब्री का नतीज़ा है.. कल से बस रगड़े जा रही' - दिल के दूसरे कोने से आवाज़ आई
दोस्तो जवानी के जोश मे बेशक मज़े तो बहुत आते हैं.. पर एक चीज़ जो इस स्वर्गिया मज़े के बाद भी तड़पाती रही है.. वो होती है गिल्ट! कुछ ही लोग इससे बच पाते है वो भी जवानी की दहलीज़ पर पहली या दूसरी बार बहकने के बाद गिल्ट ना हो ऐसा हो ही नही सकता... और यही नेहा के साथ हो रहा था..
'क्यू बेकाबू हो रही हूँ मैं.. '
'क्यूकी तू कंट्रोल कर रही खुद को.. निकाल दे जो अंदर है.. रिचा के जैसे.. देख उसे ..' - फिर से एक आवाज़ आई
'उफ़' - नेहा का सर और फटा जा रहा था.. उसने एक और घूट पानी पिया की तभी ज़मीन पर हल्की सी लाइट आई.
दोनो ने रात मे अपने कपड़े उधर ही फेक रखे थे और मोबाइल भी.. मोबाइल उठाया उसने.. ये रिचा का था..
कहते हैं ना मन बड़ा चंचल होता है.. और प्रकाश की गति से भी तेज़ उसकी गति होती है..
दोनो के मोबाइल के पिन एक दूसरे को पता थे.. पर व्यक्तिगत चीज़ो के लिए कभी किसी ने उसका इस्तेमाल नही किया.. और ना जाने क्यू आज वो फिर बहक गयी और उसने फोन को अनलॉक कर दिया.. शायद खुद को रोक पाना अब उसके बस मे नही था.. कुछ ही पल उसका मन पश्चाताप मे जल रहा था और अगले ही पल उसे एक अलग सी शांति मिल रही थी उसी चीज़ को करने मे जिससे वो खुद से लड़ रही थी..
अनलॉक करते ही नेहा व्हातसपप मे गयी और उसने सुंदर का मेसेज ओपन किया. और स्क्रोल करते ही वो सन्न रह गयी.. सुंदर ने कई अलग अलग कामुक मुद्राओं मे अपने लंड को पूरा खड़ा कर तस्वीरे ली थी और रिचा को भेजा था..वो और स्क्रोल करती गयी.. बस वही नही था.. कई और पॉर्न की तस्वीरे और GIF थे..
उसकी नज़रे अब रुकी
'तुझे तो मैं ऐसे जम के चोदून्गा.. तेरी चूत फाड़ दूँगा पूरी' - और उसने एक तस्वीर भेजी थी जिसमे एक लड़का पूरी शिद्दत से लड़की की चूत पेल रहा था
'इसस्स! और क्या करेगा'
'तेरी गान्ड भी मारूँगा वो भी नारियल तेल लगा लगा के और पेल पेल के गुफा बना दूँगा' - एक और तस्वीर उसने भेजी जिसमे लड़का अपना लंड लड़की की गान्ड मे ताबड़तोड़ पेले जा रहा था.
'हाए..चूत से मन भर जाएगा तेरा?'
'बस चूत! मैं बस चूत तक नही रुकने वाला.. सभी ओर से पेलून्गा तुझे.. रगड़ रगड़ कर'
'उफ़..मेरी तो गंगा बह रही है..तू कुछ कर..तड़प रही हूँ मैं'
'आ जाऊं क्या'
'अरे नही नेहा है'
'तो क्या उसके सामने पेलुँगा तुझे..तेरे सारे कपड़े फाड़ के..ऐसे पेलुँगा की उसकी भी चूत से पानी आने लगेगा'
'हा हा हा.. बड़े हरामी हो तुम.. वो सही कहती है.. ठरकी हो तुम एक नंबर के'
'ऐसा कहती है.. फिर तो उसे भी चोदून्गा तुम्हारे साथ..और तुमसे ज़्यादा कस के'
'चुप कर! मैं अपनी चूत से तुझे फ़ुर्सत कब देने वाली हूँ.. सोचियो भी मत उसका'
बस इससे आगे नही पढ़ सकती..
'ये क्या था यार.. मैं कहा से आ गयी'
पता नही क्या सूझा उसे उसने रिचा की इमेज गॅलरी खोली और सुंदर की सारी तस्वीरे और वीडियो अपने मोबाइल भेज दी और मेसेज डेलीट कर दिया ताकि रिचा को पता ना चले. फिर उसने मोबाइल जहा से उठाया था वही पर रख दिया और दबे पाँव अपने कमरे मे चली गयी..
कमरे मे प्रवेश करते ही उसने मोबाइल खोला और बड़ी ही बेताबी से देखते देखते बिस्तर पर लेट गयी.. उसने अपनी टांगे फैलाई ..उंगलियों को अपनी चूत की फाक पर रखा और अगले ही पर आँखे बंद सुंदर का कसा लोहे सा लंड महसूस करते हुए एक अलग ही आयाम मे खो गयी..
'रिचा ..' - वो ज़ोर से चिल्लाई .. पर गले से उसकी आवाज़ ना निकली
उसकी साँसे थमती जा रही थी.. बदन भारी होता जा रहा था..और जलती हुई आँखो को रेत के अलावा कुछ नज़र नही आ रहा था..
वो निढाल हो ज़मीन पर गिरने ही वाली थी की टीले के नीचे उसे रिचा दिखी.. पड़ी हुई..बेजान सी..बाल रेत से भरे ..गोरा बदन झुलस कर काला पड़ता हुआ..वो दौड़ी उसकी ओर.. पर ताक़त कहाँ बची थी पैरो मे.. लड़खड़ाई और अगले ही पल गिर कर उस रेत मे लुढ़कने लगी..और गर्म रेत जैसे उसके बदन पर जलते हुए आंगारे की भाँति जला रहे थे.. सीधा लुढ़कती हुई वो नीचे आई और रिचा के बदन से टकरा गयी..और फिर..
नेहा की एक झटके मे आँखे खुली.. खुली तो कुछ नज़र ना आया.. घुपप अंधेरा..फिर हल्की हल्की रोशनी मे सब नज़र आने लगा.. गला पूरा सूख रहा था उसका ..सर फटा जा रहा था और धड़कनें जैसे धाड़ धाड़ नगाड़े पीट रही हो.. उसने हड़बड़ा कर सबसे पहले रिचा को देखा..
वो उसकी ओर पीठ कर शांति से गहरी नींद मे सो रही थी.. 'उफ़' - धड़कने थोड़ी शांत हुई उसकी
जैसे तैसे बाल संभालते उठी बिस्तर से और खुले बदन ही किचन की तरफ बढ़ी.. सर फटा जा रहा था उसका और प्यास से गला सुख कर जलने लगा था.. उसने फ्रिज से पानी की बॉटल निकली और एक घूट पीकर फिर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी..
'उफ़ ये क्या हो रहा है.. '
'सब तेरे इस बेसब्री का नतीज़ा है.. कल से बस रगड़े जा रही' - दिल के दूसरे कोने से आवाज़ आई
दोस्तो जवानी के जोश मे बेशक मज़े तो बहुत आते हैं.. पर एक चीज़ जो इस स्वर्गिया मज़े के बाद भी तड़पाती रही है.. वो होती है गिल्ट! कुछ ही लोग इससे बच पाते है वो भी जवानी की दहलीज़ पर पहली या दूसरी बार बहकने के बाद गिल्ट ना हो ऐसा हो ही नही सकता... और यही नेहा के साथ हो रहा था..
'क्यू बेकाबू हो रही हूँ मैं.. '
'क्यूकी तू कंट्रोल कर रही खुद को.. निकाल दे जो अंदर है.. रिचा के जैसे.. देख उसे ..' - फिर से एक आवाज़ आई
'उफ़' - नेहा का सर और फटा जा रहा था.. उसने एक और घूट पानी पिया की तभी ज़मीन पर हल्की सी लाइट आई.
दोनो ने रात मे अपने कपड़े उधर ही फेक रखे थे और मोबाइल भी.. मोबाइल उठाया उसने.. ये रिचा का था..
कहते हैं ना मन बड़ा चंचल होता है.. और प्रकाश की गति से भी तेज़ उसकी गति होती है..
दोनो के मोबाइल के पिन एक दूसरे को पता थे.. पर व्यक्तिगत चीज़ो के लिए कभी किसी ने उसका इस्तेमाल नही किया.. और ना जाने क्यू आज वो फिर बहक गयी और उसने फोन को अनलॉक कर दिया.. शायद खुद को रोक पाना अब उसके बस मे नही था.. कुछ ही पल उसका मन पश्चाताप मे जल रहा था और अगले ही पल उसे एक अलग सी शांति मिल रही थी उसी चीज़ को करने मे जिससे वो खुद से लड़ रही थी..
अनलॉक करते ही नेहा व्हातसपप मे गयी और उसने सुंदर का मेसेज ओपन किया. और स्क्रोल करते ही वो सन्न रह गयी.. सुंदर ने कई अलग अलग कामुक मुद्राओं मे अपने लंड को पूरा खड़ा कर तस्वीरे ली थी और रिचा को भेजा था..वो और स्क्रोल करती गयी.. बस वही नही था.. कई और पॉर्न की तस्वीरे और GIF थे..
उसकी नज़रे अब रुकी
'तुझे तो मैं ऐसे जम के चोदून्गा.. तेरी चूत फाड़ दूँगा पूरी' - और उसने एक तस्वीर भेजी थी जिसमे एक लड़का पूरी शिद्दत से लड़की की चूत पेल रहा था
'इसस्स! और क्या करेगा'
'तेरी गान्ड भी मारूँगा वो भी नारियल तेल लगा लगा के और पेल पेल के गुफा बना दूँगा' - एक और तस्वीर उसने भेजी जिसमे लड़का अपना लंड लड़की की गान्ड मे ताबड़तोड़ पेले जा रहा था.
'हाए..चूत से मन भर जाएगा तेरा?'
'बस चूत! मैं बस चूत तक नही रुकने वाला.. सभी ओर से पेलून्गा तुझे.. रगड़ रगड़ कर'
'उफ़..मेरी तो गंगा बह रही है..तू कुछ कर..तड़प रही हूँ मैं'
'आ जाऊं क्या'
'अरे नही नेहा है'
'तो क्या उसके सामने पेलुँगा तुझे..तेरे सारे कपड़े फाड़ के..ऐसे पेलुँगा की उसकी भी चूत से पानी आने लगेगा'
'हा हा हा.. बड़े हरामी हो तुम.. वो सही कहती है.. ठरकी हो तुम एक नंबर के'
'ऐसा कहती है.. फिर तो उसे भी चोदून्गा तुम्हारे साथ..और तुमसे ज़्यादा कस के'
'चुप कर! मैं अपनी चूत से तुझे फ़ुर्सत कब देने वाली हूँ.. सोचियो भी मत उसका'
बस इससे आगे नही पढ़ सकती..
'ये क्या था यार.. मैं कहा से आ गयी'
पता नही क्या सूझा उसे उसने रिचा की इमेज गॅलरी खोली और सुंदर की सारी तस्वीरे और वीडियो अपने मोबाइल भेज दी और मेसेज डेलीट कर दिया ताकि रिचा को पता ना चले. फिर उसने मोबाइल जहा से उठाया था वही पर रख दिया और दबे पाँव अपने कमरे मे चली गयी..
कमरे मे प्रवेश करते ही उसने मोबाइल खोला और बड़ी ही बेताबी से देखते देखते बिस्तर पर लेट गयी.. उसने अपनी टांगे फैलाई ..उंगलियों को अपनी चूत की फाक पर रखा और अगले ही पर आँखे बंद सुंदर का कसा लोहे सा लंड महसूस करते हुए एक अलग ही आयाम मे खो गयी..