(16-04-2020, 08:31 AM)komaalrani Wrote: अब मेरी हालत सोचिये , मेरी तो लिखते हुए ही गीली हो जाती है , उन बातों को सोच सोच के ,...बिल्कुल मैने बहुत आत्मीयता ओर इम्तहान से इस कहानी को पढ़ा है
असल में ये कहानी से ज्यादा आप बीती है , मेरी कल्पना तो बहुत सीमित है , इसलिए इस कहानी के शुरू में ही , अपने गांव का पता , ( बनारस में पांडेपुर से लमही की ओर जाने वाली सड़क पर , बस सड़क से थोड़ी दूर , गाँव तक खंड़जे वाली सड़क है ) इनके घर का पता , सब कुछ , ... कैसे इनसे पहली बार मिली , शादी कैसे तय हुयी सब कुछ एकदम डिटेल में मैंने लिख दिया है ,
हाँ होली में मैं कुछ ज्यादा ही बिंदास हो जाती हूँ , पर वही गाँव वाली हूँ वो भी ईस्टर्न यूपी वाली ,
होली और सावन , इन दो मौसम में कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ती है , हम लोगों पर भी और मर्दों पर भी , ... पर इनके ससुराल की होली में तो असली खेल इनका रहेगा , बल्कि इनसे ज्यादा इनकी सलहजों , सालियों , ... बताया तो था न मेरी दो छोटी बहने हैं एक दसवीं में एक नौवीं में ,... और गाँव की तो हर लड़की इनकी साली लगेगी , ...
दोनों ने मुझसे लिखवा के ले लिया है , जितने दिन ये मेरे गाँव रहेंगे , मैं न तो इनके पास फटकूँगी , न इन्हे बचाऊंगी ,
और मैं क्यों बचाऊं इन्हे इनकी छोटी सालियों सलहजों से
पर पहले ये तय तो हो मेरी पहली होली इनकी ससुराल में होगी या मेरी , ... अस सब कुछ सासु जी पर है
हर एक प्रसंग ओर घटना स्मरण है
आप की हर कहानी की मुख्य केंद्रीय भूमिका आप की होती है ओर नारी पात्र की मुख्य भूमिका ही आप की कहानियों की विशेषता है
जब एक महिला लिखती है तो दूसरी महिलाएं अपने आप उस किरदार के साथ साथ यात्रा करती है अपना सा जो लगता है
ओर आप तो बस आप ही हो अद्भुत हो कोमल जी
सावन ओर फ़ागुन ये दो महीने हम औरतों के लिए मानो वरदान है
एक महिला जो जीवन के हर पल का अपने हिसाब से मजा लेना जानती है
वो इन दो महीनों में अपने स्त्रितत्व को जी भर के जीती है ये आप बखूभी वर्णित कर चुकी है
कोमल जी बस अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा जल्दी ही देना
आँखे निहार रही है राहें आप की अगली फ़ुहार की


