16-04-2020, 12:10 PM
अब क्या कहूं , सब तो आप कह देती हैं , हाँ इतनी भी तारीफ़ न करिये की फिसल के धड़ाम से गिरूं , ....
मुझे पूरा विशवास है आपने मेरी कहानी मोहे रंग दे , एकदम शुरू से पढ़ी होगी , क्योंकि शुरू में ही उसमे मेरे बारे में , काफी कुछ इनके बारे में इतना है , जितना आज तक मैंने किसी से शेयर नहीं किया , न फोरम में न फोरम के बाहर।
कहानी का जिक्र इसलिए किया की आपसे दो गुजारिश करने का मन था , आपसे भी बाकी सहेलियों से भी , ... और एक बात पूछना भी चाहती थी
पहली बात गुजारिश अगर आप और बाकी सब को अच्छा लगे ,
आप की कहानी हम सब को अपने टीनेजर दिनों की ओर बार बार लौटा दे रही है , सच में इत्ता अच्छा लगता है
बरस पंद्रह या सोलह का सिन ,
वो जवानी की रातें मुरादों के दिन
लेकिन साथ साथ मैं सोच रही थी
हम सब आप के ही थ्रेड पर ' आज कल ' की बातें भी , थोड़ा इशारों में , थोड़ा साफ़ साफ़ , हम सब जानते हैं लाकडाउन में वर्क फ्रॉम होम में आफिस के काम के साथ 'औरक्या क्या काम' चल रहा है , न दिन न रात ,
मैं तो एक ऐसे शहर में हूँ जिसका नाम ही बाई के साथ जुड़ा है और आज कल बाई गायब , लेकिन उसका फायदा भी है २४ घण्टे की प्राइवेसी
हाँ लेकिन मैंने एक रूल बना दिया है ,
अगर उन्होंने दिन में घात लगाई , ...
तो रात का खाना बनाना उनके जिम्मे ,... ( इससे कोई ख़ास बचत नहीं होती लेकिन तब भी चिढ़ाने के लिए तो है ही , और उन्हें किचेन में अकेले भी नहीं छोड़ती मैं , सारे मसाले के डिब्बे इधर उधर )
जब उनकी लम्बी लम्बी कांफ्रेस काल चलती है तो बस उसी का फायदा निकाल के आप लोगों से गप्पिया लेती हूँ
तो क्या राय है आप लोगों की
दूसरी बात ,
मेरी कहानियों में लोक गीत बहुत रहते हैं , गाँव की हूँ , ... और मैं वही गाने लिखती हूँ ख़ास कर के गारी वाले जो या तो मैंने गाये या किसी ने मेरे लिए मुझे सुना सूना के गाये
पर मुझे लगता है की कई बार शायद कई लोगों को ( जैसे पिछली बार कन्यादान के गाने थे ) ठीक से समझ में न आये तो क्या मुझे हिंदी में उसका अर्थ भी उस पोस्ट में न सही बाद में लिखना चाहिए ,...
हम लोग हिन्दुस्तान के अलग अलग हिस्से के हैं हिंदी तो सबको आती है लेकिन बोलियों में कुछ दिक्कत हो सकती हैं
तो क्या राय है पंचों की
और आप सब भी अगर कुछ गाने अगर शेयर कर सकें ,... खास तौर से छेड़छाड़ वाले
मुझे पूरा विशवास है आपने मेरी कहानी मोहे रंग दे , एकदम शुरू से पढ़ी होगी , क्योंकि शुरू में ही उसमे मेरे बारे में , काफी कुछ इनके बारे में इतना है , जितना आज तक मैंने किसी से शेयर नहीं किया , न फोरम में न फोरम के बाहर।
कहानी का जिक्र इसलिए किया की आपसे दो गुजारिश करने का मन था , आपसे भी बाकी सहेलियों से भी , ... और एक बात पूछना भी चाहती थी
पहली बात गुजारिश अगर आप और बाकी सब को अच्छा लगे ,
आप की कहानी हम सब को अपने टीनेजर दिनों की ओर बार बार लौटा दे रही है , सच में इत्ता अच्छा लगता है
बरस पंद्रह या सोलह का सिन ,
वो जवानी की रातें मुरादों के दिन
लेकिन साथ साथ मैं सोच रही थी
हम सब आप के ही थ्रेड पर ' आज कल ' की बातें भी , थोड़ा इशारों में , थोड़ा साफ़ साफ़ , हम सब जानते हैं लाकडाउन में वर्क फ्रॉम होम में आफिस के काम के साथ 'औरक्या क्या काम' चल रहा है , न दिन न रात ,
मैं तो एक ऐसे शहर में हूँ जिसका नाम ही बाई के साथ जुड़ा है और आज कल बाई गायब , लेकिन उसका फायदा भी है २४ घण्टे की प्राइवेसी
हाँ लेकिन मैंने एक रूल बना दिया है ,
अगर उन्होंने दिन में घात लगाई , ...
तो रात का खाना बनाना उनके जिम्मे ,... ( इससे कोई ख़ास बचत नहीं होती लेकिन तब भी चिढ़ाने के लिए तो है ही , और उन्हें किचेन में अकेले भी नहीं छोड़ती मैं , सारे मसाले के डिब्बे इधर उधर )
जब उनकी लम्बी लम्बी कांफ्रेस काल चलती है तो बस उसी का फायदा निकाल के आप लोगों से गप्पिया लेती हूँ
तो क्या राय है आप लोगों की
दूसरी बात ,
मेरी कहानियों में लोक गीत बहुत रहते हैं , गाँव की हूँ , ... और मैं वही गाने लिखती हूँ ख़ास कर के गारी वाले जो या तो मैंने गाये या किसी ने मेरे लिए मुझे सुना सूना के गाये
पर मुझे लगता है की कई बार शायद कई लोगों को ( जैसे पिछली बार कन्यादान के गाने थे ) ठीक से समझ में न आये तो क्या मुझे हिंदी में उसका अर्थ भी उस पोस्ट में न सही बाद में लिखना चाहिए ,...
हम लोग हिन्दुस्तान के अलग अलग हिस्से के हैं हिंदी तो सबको आती है लेकिन बोलियों में कुछ दिक्कत हो सकती हैं
तो क्या राय है पंचों की
और आप सब भी अगर कुछ गाने अगर शेयर कर सकें ,... खास तौर से छेड़छाड़ वाले