16-04-2020, 11:42 AM
(16-04-2020, 08:20 AM)komaalrani Wrote: कुसुम जी होली मस्ती का त्यौहार ही है , होली की तुक इसीलिए तो चोली से मिलती है , अगर होली में चोली के अंदर हाथ न जाए तो क्या होली हुयी , मायके में भाभियों के साथ ,... और ससुराल में नन्दोई देवर तो फागुन लगते ही ,.. और मैं तो गाँव की हूँ , वो भी बनारस की तो वहां तो होली और ,... लेकिन अभी तय नहीं है की मेरी पहली होली कहाँ होगी , ससुराल में सब कहते हैं बहु की पहली होली ससुराल में होनी चाहिए , और मेरे मायके में , बनारस में , ... नहीं नहीं मेरे लिए नहीं, इनकी सालियाँ सलहजें तो छोड़िये , सास भी ,... इनके साथ ,... अब देखिये मेरी सास क्या फैसला सुनाती हैं , ...
कोमल जी ये आंखे अपलक निहार रही है आप की होली को ,
उस मस्ती को अब लगता है इंतज़ार ज्यादा नहीं रह गया है !
जो भी सासु माँ का फैसला हो पर जहाँ कोमल है वहां कमाल तो होगा ही ये तो तय है !
कोमल जी आप की कहानियों की बहुत बड़ी चहेती हूँ मैं
किस को पता था,JKG, फ़ागुन के दिन चार,इन महान रचनाओं के बाद मोहे रंग दे जैसी उत्कृष्ट रचना पढ़ने को मिलेगी
आप की कलम ने इस प्रेम साहित्य में जो पुष्प अर्पित किए है कोई और नहीं कर पाया
लेखक लेखिकाएं अनगिनत हुए पर प्रेम की पीर की कोई ऐसी लेखिका आप जैसी दूसरी नहीं है
" दे कर पंखुड़ियां कुछ 'गुलाब की'
आप तो सारा मधुमास दे गयी "
आप के इस उत्कृष्ट लेखन की मेंरे जैसी कोई
सामान्य पाठिका क्या तारीफ कर सकती है
बस आप यूँही शब्दो के माध्यम से प्रेम बरसाती रहना
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में
आप सब की " कुसुम सोनी "

