16-04-2020, 10:40 AM
अनुजा - निप्स
बस अब दो ही बातों का अहसास हो रहा था , मेरे बूब्स पर देवेश की उँगलियों को ,
जैसे सैकड़ों बिच्छू एक साथ मेरे उभारों पर टहल रहे हों , डंक मार रहे हों ,
और देवेश के खूंटे का ,
मेरी स्कर्ट तो सरक कर मेरी कमर पर एक छल्ले की तरह ,
और अब मैं हलके हलके अपने चूतड़ उसके खूंटे पे ग्राइंड कर रही थी ,
बहुत अच्छा लग रहा था मन कर रहा था खुद पकड़ के खोल दूँ , ...
एक उभार हल्का सा खोलकर पहले तो वो दबाता रहा, मसलता रहा, फिर निपल भी,
लेकिन अब उसने मेरे खुले बूब्स कस के दबाने मसलने शुरू कर दिए थे ,
बीच बीच में झुक के मेरे निप्स को हलके से किस कर लेता था ,
मंन तो मेरा करता था की वो कस के चूस ले , ...
पर देवश भी न ,... परफेक्ट टीज़
हम दोनों अपने-अपने ड्रिंक बीच-बीच में सिप कर रहे थे।
तभी देवेश ने अपना व्हिस्की का ग्लास मेरे होंठों से लगाकर थोड़ा सा दबाया।
“ना ना…” करके मैं नखड़ा कर रही थी।
थोड़ा सा एक सिप मेरे लिये। मेरे होंठ हल्के से खुले और उसने एक सिप…
फिर दूसरा, लग रहा था की कोई तेजाब की तरह सीधे जलता हुआ पेट में। और फिर तो उसने एक हाथ से मेरा सिर कस के पकड़ा और दूसरे हाथ से ग्लास,
और कस के आधे से ज्यादा पेग… मुझे लगा की मैं उल्टी कर दूंगी।
लेकिन देवेश ने अपने होंठों से मेरे होंठ सील कर दिये।
जीभ मेरे मुँह में, एक हाथ ने अभी भी सिर कस के पकड़ रखा था
और दूसरा मेरे खुले उभार पे, कस के निपल को रोल करता।
थोड़ी देर में मस्ती के मारे मैं भी उसकी जीभ चूसने लगी।
अब उसके होंठ मेरे होंठों से हटे तो सीधे निपल पे।
अब मैं समझ सकती थी की उस दिन दिया क्यों इतनी पागल हो रही थी- एक बार मर्द का हाथ निपल पे लग जाय तो।
उसका वो जींस के अंदर से तो गड़ ही रहा था, अब देवेश ने मेरा हाथ पकड़कर अपने ‘उस’ पे रख दिया।
आज मैंने हाथ नहीं हटाया, कितनी बेवकूफ थी मैं पिक्चर हाल में, बल्की हल्के से दबा दिया।
खूब कड़ा लग रहा था और बड़ा भी।
_और आज मुझसे रहा नहीं गया , मैंने खुद उसकी ज़िप खोल दी , और हाथ अंदर ,
वाउ , क्या मस्त , ... खूब कड़ा , और मैंने जींस के अंदर ही हाथ डाल के उसे पकड़ लिया ,
इतना अच्छा लग रहा था , खूब मस्त , ... थोड़ी देर मैं रगड़ती रही मसलती रही ,
और मेरी आँखे देवेश को चिढ़ाती रही ,
अब उसकी हालत खराब हो रही थी ,
पर हो , जब वो मेरे निप्स को किस कर रहा था , और में पिघल रही थी तब कुछ नहीं और मैं जरा सा ,
मैंने एक झटके में चमड़ा पकड़ के जोर से खींचा और उसका हेड , हाँ भाभी क्या कहती थीं , हाँ सुपाड़ा , खुल गया ,...
पर अंदर डांस की म्यूजिक तेज हो रही थी , लान में कुछ लोगों की आवाजें भी आरही थीं , देवेश ने मेरा ट्यूब टॉप खींच के मेरे बूब्स को कवर कर दिया ,
ही इज सो केयरिंग ,...
और मैंने भी ज़िप खींच कर बंद कर दी , पर पूरी नहीं
“हे, ड्रिंक खतम कर चल अंदर चलते है, चल अदला-बदली कर लेते हैं…”
और मेरे बिना कहे मेरा जूठा कोक उठाकर एक झटके में, और मैं भी…
मैंने खुद व्हिस्की की ग्लास उठाकर दो घूंट में खतम कर दिया।
बस अब दो ही बातों का अहसास हो रहा था , मेरे बूब्स पर देवेश की उँगलियों को ,
जैसे सैकड़ों बिच्छू एक साथ मेरे उभारों पर टहल रहे हों , डंक मार रहे हों ,
और देवेश के खूंटे का ,
मेरी स्कर्ट तो सरक कर मेरी कमर पर एक छल्ले की तरह ,
और अब मैं हलके हलके अपने चूतड़ उसके खूंटे पे ग्राइंड कर रही थी ,
बहुत अच्छा लग रहा था मन कर रहा था खुद पकड़ के खोल दूँ , ...
एक उभार हल्का सा खोलकर पहले तो वो दबाता रहा, मसलता रहा, फिर निपल भी,
लेकिन अब उसने मेरे खुले बूब्स कस के दबाने मसलने शुरू कर दिए थे ,
बीच बीच में झुक के मेरे निप्स को हलके से किस कर लेता था ,
मंन तो मेरा करता था की वो कस के चूस ले , ...
पर देवश भी न ,... परफेक्ट टीज़
हम दोनों अपने-अपने ड्रिंक बीच-बीच में सिप कर रहे थे।
तभी देवेश ने अपना व्हिस्की का ग्लास मेरे होंठों से लगाकर थोड़ा सा दबाया।
“ना ना…” करके मैं नखड़ा कर रही थी।
थोड़ा सा एक सिप मेरे लिये। मेरे होंठ हल्के से खुले और उसने एक सिप…
फिर दूसरा, लग रहा था की कोई तेजाब की तरह सीधे जलता हुआ पेट में। और फिर तो उसने एक हाथ से मेरा सिर कस के पकड़ा और दूसरे हाथ से ग्लास,
और कस के आधे से ज्यादा पेग… मुझे लगा की मैं उल्टी कर दूंगी।
लेकिन देवेश ने अपने होंठों से मेरे होंठ सील कर दिये।
जीभ मेरे मुँह में, एक हाथ ने अभी भी सिर कस के पकड़ रखा था
और दूसरा मेरे खुले उभार पे, कस के निपल को रोल करता।
थोड़ी देर में मस्ती के मारे मैं भी उसकी जीभ चूसने लगी।
अब उसके होंठ मेरे होंठों से हटे तो सीधे निपल पे।
अब मैं समझ सकती थी की उस दिन दिया क्यों इतनी पागल हो रही थी- एक बार मर्द का हाथ निपल पे लग जाय तो।
उसका वो जींस के अंदर से तो गड़ ही रहा था, अब देवेश ने मेरा हाथ पकड़कर अपने ‘उस’ पे रख दिया।
आज मैंने हाथ नहीं हटाया, कितनी बेवकूफ थी मैं पिक्चर हाल में, बल्की हल्के से दबा दिया।
खूब कड़ा लग रहा था और बड़ा भी।
_और आज मुझसे रहा नहीं गया , मैंने खुद उसकी ज़िप खोल दी , और हाथ अंदर ,
वाउ , क्या मस्त , ... खूब कड़ा , और मैंने जींस के अंदर ही हाथ डाल के उसे पकड़ लिया ,
इतना अच्छा लग रहा था , खूब मस्त , ... थोड़ी देर मैं रगड़ती रही मसलती रही ,
और मेरी आँखे देवेश को चिढ़ाती रही ,
अब उसकी हालत खराब हो रही थी ,
पर हो , जब वो मेरे निप्स को किस कर रहा था , और में पिघल रही थी तब कुछ नहीं और मैं जरा सा ,
मैंने एक झटके में चमड़ा पकड़ के जोर से खींचा और उसका हेड , हाँ भाभी क्या कहती थीं , हाँ सुपाड़ा , खुल गया ,...
पर अंदर डांस की म्यूजिक तेज हो रही थी , लान में कुछ लोगों की आवाजें भी आरही थीं , देवेश ने मेरा ट्यूब टॉप खींच के मेरे बूब्स को कवर कर दिया ,
ही इज सो केयरिंग ,...
और मैंने भी ज़िप खींच कर बंद कर दी , पर पूरी नहीं
“हे, ड्रिंक खतम कर चल अंदर चलते है, चल अदला-बदली कर लेते हैं…”
और मेरे बिना कहे मेरा जूठा कोक उठाकर एक झटके में, और मैं भी…
मैंने खुद व्हिस्की की ग्लास उठाकर दो घूंट में खतम कर दिया।