16-04-2020, 01:03 AM
कोमल जी,
"दबोच लिया मैंने उसे , जैसे कोई तेज बिल्ली किसी छोटी सी शरारती चुहिया को पकड़ ले।"
उफ़, कोमल जी , गज़ब, एकदम बोरा दिया है दिमाग को आज, आपने। यह तो वो ही बात हुई "हम तुम एक कमरे मैं बंद हो......" एकदम - कामुक। मज़ा आ गया जी.
"मेरी बड़ी बड़ी चूँचियों से अपनी छोटे टिकोरों को दबवाती मसलवाती , मेरी आँखों में अपनी कजरारी आँखे डाल के मुस्कराती , बिना कुछ बोले उसने बहुत कुछ बोल दिया , उसकी उँगलियाँ मेरे गले के 'नौलखे ' हार को छूकर"
"उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।"
मैं एड़ी से चोटी तक तक सुलग गयी ,ये ननद है की सौत और मैंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
कोमल जी,
यही, औरत कुछ भूल नहीं पाती, खासकर अपने "अपमान" को. महाभारत से आज तक, एक तो औरत का अपमान होता रहा है , गली - मोहल्ले के मर्द वो तो इनका जोर नहीं चलता , बस आखो से ही करलेते है "***कार". मर्द तो मर्द औरत भी कहाँ कम हैं सुलगाने मैं ,
हम सभी औरते "वो" फीलिंग समझ सकती हैं, कितना सब्र किया होगा, और आज , "बाज़ी" आपके हाथ मैं क्यूंकि "साजन" साथ मैं.
बिन पानी मछली , गुड़ी रानी। ........
कोमल जी,
![[Image: Teej-37347221-883733995144774-7968976810278912-n.jpg]](https://i.ibb.co/18RvvRv/Teej-37347221-883733995144774-7968976810278912-n.jpg)
अब यह पिक , जानमारू , शायद प्याजी कलर है, है न, उफ़, इसको देखते ही, कुछ - कुछ होता है,
और सच्ची "यह चोली" की डिज़ाइन एकदम सैम तो सैम है मेरी वाली कलर फ़ास्ट ऑरेंज है मेरा.
यह भी मुझे बहुत अच्छी लगी, एकदम कातिलाना , जैसे आपकी - लेखनी।
.....................
इंतज़ार मैं। ........
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका


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