15-04-2020, 10:50 PM
दोस्तो ये जो समय होता है जब हम कॉलेज से निकल कर बाहर की दुनिया मे कदम रखते हैं बहुत ही अहम होता है.. एक ओर अपने अंदर कुछ हासिल करने की ललक उफान मार रही होती.. तो कहीं एक ओर खुद को ज़िम्मेदार और मेच्यूर समझने का का भाव सर चढ़ने लगता है ...और कहीं तो रिस्क लेने की और हर कुछ नया एक्सपीरियेन्स करने की चाहत ज़ोर पकड़ने लगती है.. या यू कहिए बस ये समय आपको उर्जा के उच्चत्तम स्तर पर ले जाता है.
दोनो सहेलियाँ भी उम्र के इस पडाव पर .. जीवन के इस नये सफ़र मे.. नये शहर मे ..एक नयी शुरुआत से बिल्कुल उत्साहित थी..
एक ओर जहाँ रिचा अपने घर से दूर.. अपने पेरेंट्स से दूर.. अपने BF के साथ वक़्त बिताने के ना जाने कितने सपने बुन रही थी.. वही दूसरी ओर नेहा को जैसे कल रात एक नया अनुभव हुआ और उसके अंदर हर बंधन तोड़ नये अनुभव लेने की ख्वाहिशे सर पैर मार रही थी. पर दोनो की ख्वाहिशों मे जो मूल था वो था उनकी जवानी का उफान..
'नेहा चल आज कही घूम कर आते हैं! वैसे भी यहा सब सेट ही है... हफ्ते भर पहले बेकार मे चले आए.. अब क्या करेंगे ज़ोइनिंग तक.. कहीं घूमते हैं'
'हां चल..'
'अच्छा.. सुंदर को भी बुलाऊं ना?'
'हां और क्या! अब जब तुम दोनो साथ ही आए हो तो साथ वक़्त बिताओ जितना हो सके'
'वाह! सही है! बड़ी जल्दी मान गयी! मतलब आज मुझे तुम दोनो के झगड़े मे पिसना नही पड़ेगा!'
'अच्छा रिचा सुन ना.. खाना बाहर ही खाएँगे?'
'हां आज बाहर ही खाते हैं.. वैसे भी देर तो हो ही जाएगी.. रुक मैं सुंदर को भी बोल ही देती हूँ'
नेहा - 'वैसे... डिन्नर पे मुझे आज ड्रिंक ट्राइ करने का मन कर रहा'
'हां यार मुझे भी लग रहा! अब ये सब ट्राइ करना चाहिए.. क्या बोलती है'
'हां... पर... चढ़ गयी तो'
'अरे धत्त ना.. हम कौन से बेवड़े है.. और एक दो सीप ही लेंगे... टेस्ट ही तो करना है पहले'
'हां फिर भी मान ले अच्छा लगा तो?'
'अरे कुछ नही होगा.. वैसे भी CAB मे आना है'
दोस्तो शराब पीना और शराब पीने का सोचना दोनो मे बहुत फ़र्क होता है.. सोचो तो लगेगा कुछ नही बस 1 सीप ही लेना है पर शायद ही आज तक कोई एक सीप लेकर रुका हो.. सोचो तो 3 4 पेग तो ऐसे ही गटक जाउन्गा और कुछ नही होगा पर कुछ ना हो ऐसा होता नही है
यही हाल हुआ दोनो का.. ना तो वो खुद को एक सीप मे रोक पाई और कुछ ना हो पहली बार पीने पर ये तो हो ही नही सकता.. सुंदर ने टॅक्सी की और दोनो के बिल्डिंग के बाजू मे तीनो उतर गये.
'चलो आ गये..'
सुंदर ने गेट खोला और तीनो अंदर चले आए.. 'उपर तक चली जाओगी ना'
'हां हां हमे कुछ नही हुआ है' - नेहा ने कहा
'ठीक है मैं फिर चलता हूँ'
'रूको..' - रिचा ने सुंदर का हाथ पकड़ लिया.. नेहा भी रुक कर देखने लगी..
रिचा ने सुंदर को अपनी ओर खिचा और उसकी गर्दन झुका कर उसके होठो से अपने होठ लगा लिए. सुंदर ने भी रिचा को बाहों मे कस लिया और रिचा के होठो को पूरी तरह मुह मे भर लिया.. दोनो की चिकनी ज़बान आपस मे लिपटने लगी.. सुन्दर ने ज़ोर लगा कर रिचा को खीचा और दीवार से सटा दिया. यू तो सुंदर इतनी देर लड़कियो के सामने दिखा रहा था की वो बिल्कुल ठीक है पर नशा उसके भी सर चढ़ चुका था.
पूरी मदहोशी मे दोनो किस किए जा रहे थे.. सुंदर ने दाहिने हाथ से पीठ के पीछे से रिचा के गर्दन को कसा और बाएँ से उसकी छाति पर मसलने लगा.. रिचा ने झट उसके हाथ को पकड़ लिया पर सुंदर ने ज़ोर लगा कर उसकी चुचियो को दबा ही दिया.
नेहा बगल मे खड़ी ये सब देखे जा रही थी..
तभी सुंदर ने किस तोड़ी और सीधा रिचा के गर्दन पर चूमा.. वो चिहुक उठी.. और उसी के साथ उसे होश आया..
'अरे अरे रूको सुंदर.. रुक जाओ' - रिचा की साँसे फूल रही थी
सुंदर रुक गया - 'उफ़ .. अरे यार.. ' - रिचा से दूर होकर नेहा को देख सर पर हाथ रखा उसने. उसकी भी साँसे ज़ोर हो गयी थी.
फिर एक ज़ोर की साँस लेकर उसने कहा - 'अच्छा मैं चलता हूँ'
रिचा - 'हां हां काफ़ी देर हो गयी है.. नेहा रुक मैं गेट लगा के आती हूँ'
'ह्म'
रिचा - 'सॉरी अभी बहुत टाइम है हमारे पास'
सुंदर - 'अरे कोई बात नही.. सॉरी मैं भी खुद को रोक नही पाया'
रिचा - 'पर थन्क यू.. अच्छा लगा' - शर्म से लाल हो गयी थी वो.. हालाँकि अंधेरे मे सुंदर को पता नही चला
सुंदर मुस्कुराया और चल पड़ा
गेट बंद कर रिचा नेहा के साथ लिफ्ट मे घुस गयी
'ये क्या था! मतलब ऐसे शुरू हो गये कही भी.. कोई देख लेता तो' - नेहा हँसने लगी शरत भारी निगाह से रिचा की ओर देखते हुए
'कही भी क्या.. अंधेरा था.. और वैसे भी तू थी ना.. बता देती!' - आँख मारते हुए बोली
लिफ्ट का दरवाजा खुला.. 'हां मैं तो जैसे तुम दोनो की रास लीला देखने आई हूँ'
'हां देखने मे क्या जाता है.. चुप चुप के अपने कमरे मे पॉर्न देखती है.. सामने से देख' - कहते हुए रिचा ने दरवाजा खोला
'छुपकर हरामी! गरम हो गयी है तू यहा आकर'
'तू भी तो' - कहकर हँसने लगी
नेहा - 'यार चल ना टब मे बैठते हैं थोड़ी देर'
रिचा - 'हां चल' - और वही हाल मे ही सारे कपड़े उतारने लगी रिचा
'अरे यही पे'
'हां तो और क्या अपना घर है.. मेरा बस चले तो नंगी पूरे घर मे घूमूं'
'सच मे चढ़ गयी है तुझे'
'चल ना इतना नही सोचते चिल मार अपना घर है बिंदास होके रह'
नेहा ने भी सारे कपड़े उतार कर इधर ही फेक दिए
फिर दोनो जाकर टब मे बैठ गयी.. इतनी गर्मी मे टब का ठंडा पानी बड़ा सुकून देने वाला था..
दोनो सहेलियाँ भी उम्र के इस पडाव पर .. जीवन के इस नये सफ़र मे.. नये शहर मे ..एक नयी शुरुआत से बिल्कुल उत्साहित थी..
एक ओर जहाँ रिचा अपने घर से दूर.. अपने पेरेंट्स से दूर.. अपने BF के साथ वक़्त बिताने के ना जाने कितने सपने बुन रही थी.. वही दूसरी ओर नेहा को जैसे कल रात एक नया अनुभव हुआ और उसके अंदर हर बंधन तोड़ नये अनुभव लेने की ख्वाहिशे सर पैर मार रही थी. पर दोनो की ख्वाहिशों मे जो मूल था वो था उनकी जवानी का उफान..
'नेहा चल आज कही घूम कर आते हैं! वैसे भी यहा सब सेट ही है... हफ्ते भर पहले बेकार मे चले आए.. अब क्या करेंगे ज़ोइनिंग तक.. कहीं घूमते हैं'
'हां चल..'
'अच्छा.. सुंदर को भी बुलाऊं ना?'
'हां और क्या! अब जब तुम दोनो साथ ही आए हो तो साथ वक़्त बिताओ जितना हो सके'
'वाह! सही है! बड़ी जल्दी मान गयी! मतलब आज मुझे तुम दोनो के झगड़े मे पिसना नही पड़ेगा!'
'अच्छा रिचा सुन ना.. खाना बाहर ही खाएँगे?'
'हां आज बाहर ही खाते हैं.. वैसे भी देर तो हो ही जाएगी.. रुक मैं सुंदर को भी बोल ही देती हूँ'
नेहा - 'वैसे... डिन्नर पे मुझे आज ड्रिंक ट्राइ करने का मन कर रहा'
'हां यार मुझे भी लग रहा! अब ये सब ट्राइ करना चाहिए.. क्या बोलती है'
'हां... पर... चढ़ गयी तो'
'अरे धत्त ना.. हम कौन से बेवड़े है.. और एक दो सीप ही लेंगे... टेस्ट ही तो करना है पहले'
'हां फिर भी मान ले अच्छा लगा तो?'
'अरे कुछ नही होगा.. वैसे भी CAB मे आना है'
दोस्तो शराब पीना और शराब पीने का सोचना दोनो मे बहुत फ़र्क होता है.. सोचो तो लगेगा कुछ नही बस 1 सीप ही लेना है पर शायद ही आज तक कोई एक सीप लेकर रुका हो.. सोचो तो 3 4 पेग तो ऐसे ही गटक जाउन्गा और कुछ नही होगा पर कुछ ना हो ऐसा होता नही है
यही हाल हुआ दोनो का.. ना तो वो खुद को एक सीप मे रोक पाई और कुछ ना हो पहली बार पीने पर ये तो हो ही नही सकता.. सुंदर ने टॅक्सी की और दोनो के बिल्डिंग के बाजू मे तीनो उतर गये.
'चलो आ गये..'
सुंदर ने गेट खोला और तीनो अंदर चले आए.. 'उपर तक चली जाओगी ना'
'हां हां हमे कुछ नही हुआ है' - नेहा ने कहा
'ठीक है मैं फिर चलता हूँ'
'रूको..' - रिचा ने सुंदर का हाथ पकड़ लिया.. नेहा भी रुक कर देखने लगी..
रिचा ने सुंदर को अपनी ओर खिचा और उसकी गर्दन झुका कर उसके होठो से अपने होठ लगा लिए. सुंदर ने भी रिचा को बाहों मे कस लिया और रिचा के होठो को पूरी तरह मुह मे भर लिया.. दोनो की चिकनी ज़बान आपस मे लिपटने लगी.. सुन्दर ने ज़ोर लगा कर रिचा को खीचा और दीवार से सटा दिया. यू तो सुंदर इतनी देर लड़कियो के सामने दिखा रहा था की वो बिल्कुल ठीक है पर नशा उसके भी सर चढ़ चुका था.
पूरी मदहोशी मे दोनो किस किए जा रहे थे.. सुंदर ने दाहिने हाथ से पीठ के पीछे से रिचा के गर्दन को कसा और बाएँ से उसकी छाति पर मसलने लगा.. रिचा ने झट उसके हाथ को पकड़ लिया पर सुंदर ने ज़ोर लगा कर उसकी चुचियो को दबा ही दिया.
नेहा बगल मे खड़ी ये सब देखे जा रही थी..
तभी सुंदर ने किस तोड़ी और सीधा रिचा के गर्दन पर चूमा.. वो चिहुक उठी.. और उसी के साथ उसे होश आया..
'अरे अरे रूको सुंदर.. रुक जाओ' - रिचा की साँसे फूल रही थी
सुंदर रुक गया - 'उफ़ .. अरे यार.. ' - रिचा से दूर होकर नेहा को देख सर पर हाथ रखा उसने. उसकी भी साँसे ज़ोर हो गयी थी.
फिर एक ज़ोर की साँस लेकर उसने कहा - 'अच्छा मैं चलता हूँ'
रिचा - 'हां हां काफ़ी देर हो गयी है.. नेहा रुक मैं गेट लगा के आती हूँ'
'ह्म'
रिचा - 'सॉरी अभी बहुत टाइम है हमारे पास'
सुंदर - 'अरे कोई बात नही.. सॉरी मैं भी खुद को रोक नही पाया'
रिचा - 'पर थन्क यू.. अच्छा लगा' - शर्म से लाल हो गयी थी वो.. हालाँकि अंधेरे मे सुंदर को पता नही चला
सुंदर मुस्कुराया और चल पड़ा
गेट बंद कर रिचा नेहा के साथ लिफ्ट मे घुस गयी
'ये क्या था! मतलब ऐसे शुरू हो गये कही भी.. कोई देख लेता तो' - नेहा हँसने लगी शरत भारी निगाह से रिचा की ओर देखते हुए
'कही भी क्या.. अंधेरा था.. और वैसे भी तू थी ना.. बता देती!' - आँख मारते हुए बोली
लिफ्ट का दरवाजा खुला.. 'हां मैं तो जैसे तुम दोनो की रास लीला देखने आई हूँ'
'हां देखने मे क्या जाता है.. चुप चुप के अपने कमरे मे पॉर्न देखती है.. सामने से देख' - कहते हुए रिचा ने दरवाजा खोला
'छुपकर हरामी! गरम हो गयी है तू यहा आकर'
'तू भी तो' - कहकर हँसने लगी
नेहा - 'यार चल ना टब मे बैठते हैं थोड़ी देर'
रिचा - 'हां चल' - और वही हाल मे ही सारे कपड़े उतारने लगी रिचा
'अरे यही पे'
'हां तो और क्या अपना घर है.. मेरा बस चले तो नंगी पूरे घर मे घूमूं'
'सच मे चढ़ गयी है तुझे'
'चल ना इतना नही सोचते चिल मार अपना घर है बिंदास होके रह'
नेहा ने भी सारे कपड़े उतार कर इधर ही फेक दिए
फिर दोनो जाकर टब मे बैठ गयी.. इतनी गर्मी मे टब का ठंडा पानी बड़ा सुकून देने वाला था..