Thread Rating:
  • 18 Vote(s) - 2.5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
बाजी

[Image: Guddi-necklace-8d727cbc88e2047ca2c8dc046e11a6b7.jpg]



निकलते समय दरवाजे से मैंने एक हिंट और दिया ,

 
" कड़वा तेल तो नहीं  है लेकिन तकिये के नीचे वैसलीन की बड़ी शीशी है। "
 
और बाहर से दरवाजा सिर्फ बंद किया बल्कि हलके से कुण्डी भी लगा दी।
 
घंटे भर बाद लौटी मैं तो पहले तो अच्छी तरह नॉक किया, बजा बजा के कुण्डी खोली, १०० तक गिना और फिर अंदर घुसी।


लेकिन उसके पहले दरवाजे से कान लगाकर   अंदर का मैंने हाल चाल जानने की कोशिश की ,
 
" उन्हह उऊयीभय्या , तू बहुत बदमाश हो गए हो

वो हलके से सिसकती हुयी बोली।
 
" और पहले कैसा था " उनकी फुसफुसाती हुयी आवाज आयी।
 
" बुद्धू ,एकदम बुद्धू , बहुत ही ज्यादा।

हलके से खिलखिलाती हुयी आवाज आयी मेरी ननद की हलकी हलकी।


 
" तुझे कैसे भइया अच्छे लगते हैं, बुद्धू  वाले ,या बदमाश वाले। "


" दोनों ,लेकिन बदमाश वाले थोड़े ज्यादा , लेकिन थोड़े से तो बुद्धू अभी भी हो

गुड्डी बोली।
 
[Image: Girls-mallu-hot-actress-bhavana.jpg]

और तभी मैंने नाक किया ,१०० तक गिना और अंदर एंट्री मार दी।
 
वो अभी भी अपने भय्या की गोद में ठसके से बैठी और उनका हाथ उसकी कच्ची अमिया पे।
[Image: sixteen-teen-tits-2.jpg]

 
मुझे देखकर ,जैसे  किसी की चोरी पकड़ी गयी हो , वो चुपके से सर झुकाये , मेरी नजर बचाये तेजी से बाहर निकल गए।
 
लेकिन  उनकी ममेरी बहिनिया पकड़ी गयी।


दबोच लिया मैंने उसे , जैसे कोई तेज बिल्ली किसी छोटी सी शरारती चुहिया को पकड़ ले।
 
और दबोच कर दीवाल से दबाते , मेरे बड़े बड़े जोबन उसकी कच्ची अमिया कस के रगड़ रहे थे।
 
मैं कुछ कहती बोलने की कोशिश करती ,
 
लेकिन बिना अपने को छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश किये

मेरी बड़ी बड़ी चूँचियों से अपनी छोटे टिकोरों को दबवाती मसलवाती , मेरी आँखों में अपनी कजरारी आँखे डाल के मुस्कराती ,
 
बिना कुछ बोले उसने बहुत कुछ बोल दिया , उसकी उँगलियाँ मेरे गले के 'नौलखे ' हार को छूकर


[Image: Kundan-necklace-f2b1155a2e48b776ea5bf72d...ellery.jpg]
 
 जी हाँ ,ये वही हार था जिसकी बाजी लगी थी।
 
फिर वो शोख बोली , भाभी मैं सोच रही थी दो दिन बाद  ये हार मेरे गले में कैसा लगेगा।
 
( जिन सुधी पाठकों/पाठिकाओं को इस बाजी की याद हलकी हो गयी है , कहानी के शुरू   में  पेज १० पर , जस का तस कोट कर देती हूँ ,
 
एक दिन ,अभी भी मुझे याद है ,१० अगस्त।
 
 
 
हम लोग दसहरी आम खा रहे थे मस्ती के साथ ( वो खाना खा के ऊपर चले गए थे ) और तभी मेरी छुटकी ननदिया आई। और मेरे पीछे पड़ गयी।
 
 
 
 
 
 
 
 
" भाभी ये आप क्या कर रही हैं ,आम खा रही हैं ?"
 
 
 
मैंने उसे इग्नोर कर दिया फिर वो बोली
 
,मेरे भैय्या , आम छू भी नहीं सकते ,…"

[Image: girls-46de351d45172029c27466c596b56451.jpg]

 
" अरे तूने कभी अपनी ये कच्ची अमिया उन्हें खिलाने की कोशिश की , कि नहीं , शर्तिया खा लेते


चिढ़ाते हुए मैं बोली।

[Image: Teej-264f0bf5592383050a9608632f270fc4.jpg]
 
जैसे समझ रही हो वैसे भोली बन के उसने देखा मुझे।
 
" अरे ये , " 

और मैंने हाथ बढ़ा के उसके फ्राक से झांकते , कच्चे टिकोरों को हलके से चिकोटी काट के चिढ़ाते हुए इशारा किया और वो बिदक गयी।
 
 
 
" ये देख रही हो , अब ये चाहिए तो पास आना पड़ेगा "
 
 
मुस्करा के मैंने अपने गुलाबी रसीले भरे भरे होंठों की ओर इशारा करके बताया।
 
और एक और दसहरी आम उठा के सीधे मुंह में , …"


 [Image: mango-slice-1.jpg]
 
और एक पीस उसको भी दे दिया , वो भी खाने लगी , मजे से।
 
थे भी बहुत रसीले वो।


लेकिन वो फिर चालू हो गयी ,
 
 
" पास भी नहीं आएंगे आपके , मैं समझा रही हूँ आपको , मैं अपने भैया को आपसे अच्छी तरह समझतीं हूँ, आपको तो आये अभी तीन चार महीने भी ठीक से नहीं हुए हैं . अच्छी तरह से टूथपेस्ट कर के , माउथ फ्रेशनर , … वरना,… "
 
उस छिपकली ने गुरु ज्ञान दिया।


मैं एड़ी से चोटी तक तक सुलग गयी ,ये ननद है की सौत और मैंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
 
" अच्छा , चलो लगा लो बाजी। अब इस साल का सीजन तो चला गया , अगले साल आम के सीजन में अगर तेरे इन्ही भैय्या को तेरे सामने आम खिलाया तो कहना। "
 
मैंने दांव फ़ेंक दिया।
[Image: Teej-37347221-883733995144774-7968976810278912-n.jpg]

लेकिन वो भी , एकदम श्योर।

" अरे भाभी आप हार जाएंगी फालतू में , उन्हें मैं इत्ते दिनों से जानती हूँ। खाना तो दूर वो छू भी लें तो मैं बाजी हार जाउंगी। "
 
 
 
वो बोली।
 
 
लेकिन मैं पीछे हटने वाली नहीं थी ,
 
" ये मेरे गले का हार देख रही हो पूरे ४५ हजार का है। अगर तुम जीत गयी तो तुम्हारा ,वरना बोलो क्या लगाती हो बाजी तुम ,"
 
तब तक मेरी जेठानी भी आगयी और उसे चिढ़ाती बोलीं ,
 
" अरे इसके पास तो एक ही चीज है देने के लिए। "
 
 
पर मेरी छुटकी ननद , एकदम पक्की श्योर बोली। " आप हार जाइयेगा। "
 
जेठानी फिर बोलीं , मेरी ननद से
 
" अरे अगर इतना श्योर है तो लगा ले बाजी क्यों फट रही है तेरी। "
 
और ऑफर मैंने पेश किया ,
 
 
 "ठीक है तू जीत गयी तो हार तेरा और मैं जीत गयी तो बस सिर्फ चार घंटे तक जो मैं कहूँगी ,मानना पडेगा। "


 
पहली बार वो थोड़ा डाउट में थी। 

" अरे मेरे सीधे साधे भैया को जबरन पकड़ के उसके मुंह में डाल दीजियेगा आप लोग , फिर कहियेगा ,जीत गयीं " बोली गुड्डी।
 
 
" एकदम नहीं वो अपने हाथ से खाएंगे , बल्कि तुझसे कहेंगे ,तेरे हाथ से खुद खाएंगे अब तो मंजूर। और तुझे भी अपने हाथ से खिलायंगे। एक साल के अंदर। अब मंजूर। "
 
मैंने शर्त साफ की और वो मान गयी।


[Image: Teej-f55d9723a976d5c56c9091478867ec85.jpg]
 
(मेरी जेठानी ने मेरे कान में कहा , सुन तेरा हार तो अब गया।)
 
आज वो कुछ ज्यादा ही मस्ता रही थी।
 
उसकी मेरे हार से खेलती  उँगलियों का जवाब , मेरी उँगलियों ने दिया,


उसके हाल्टर टॉप से झांकते निप्स को दबोचकर , और उसकी आँखों में आँखे डालकर , मुस्कराते मैंने पूछा ,
 
" याद है और अगर तू हार गयी तो ,,,,...  "
 
" याद है फिर ये हार गया मेरे हाथ से और चार घंटे की गुलामी ,लेकिन आपकी ये ननद हारने वाली नहीं , हार लेने वाली है। 
और आप ने बाजी भी ऐसी लगा दी है जो आप कभी जीत ही नहीं सकती "
 
मुस्कराती हुयी घमंड से वो बोली और उस की उंगलियां हार  पर एकदम जकड़ गयीं। 


 
तबतक जेठानी जी ने फिर हंकार दी और हम दोनों खाने की टेबल पर , वो भी वहीँ खड़े थे 

लेकिन बोले ज़रा मैं वाश रूम हो के आता हूँ।
[+] 4 users Like komaalrani's post
Like Reply


Messages In This Thread
ANUSHKA IS ASHWIN'S SWEET WIFE - by ashw - 05-04-2019, 06:02 AM
RE: जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी - by komaalrani - 15-04-2020, 10:27 PM



Users browsing this thread: 5 Guest(s)