15-04-2020, 10:15 PM
(This post was last modified: 15-08-2021, 05:01 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिल्ला टॉप माल
और फिर वो आगयी ,इनका माल ,सच में जिल्ला टॉप माल थी , एकदम मस्त लग रही थी।
हॉल्टर टॉप बस नूडल स्ट्रिंग के साथ ,मरमेड टॉप, शोल्डर लेस , ....
और गुड्डी के गोरे गोरे कंधे अब खुल के दिख रहे थे।
टॉप एकदम उसके उभारों से चिपका सेकेण्ड स्किन की तरह ,उभारो को और दबा के उभारता ,
क्लीवेज और जोबन का ऊपरी हिस्सा तो अच्छी तरह दिखता ही , उसकी कच्ची अमिया का शेप साइज सब कुछ ,
और जरा भी झुकती तो मटर के दानों ऐसे उसके निप्स भी साफ़ साफ़ दिख जाते।
और शोल्डर लेस होने , नार्मल ब्रा तो चलती नहीं ,इसलिए स्ट्रैप लेस वो भी स्किन कलर की
,एकदम चिपकी मुश्किल से ढाई इंच की पट्टी की तरह लेकिन नीचे से पुश अप,
उभारती जिससे क्लीवेज और क्लियर हो के ,... फ्रंट ओपन।
स्कर्ट भी माइक्रो और मिनी के बीच का , घुटनो से कम से कम डेढ़ बित्ते पहले ख़तम हो जा रहा ,
उसकी चिकनी मांसल मखमली जाँघे ,लम्बी लम्बी गोरी टाँगे , स्निग्ध पिंडलियाँ एक भी रोयें नहीं ,एकदम मक्खन।
जेठानी जी ने एक दम सही कमेंट मारा ,
" अरे ये तो चीयर लीडर्स से भी दस हाथ आगे लग रही है। "
अरे मैं लायी थी चुन के ये ड्रेस इसी लिए , और इस कमेंट से पैसा वसूल हो गया।
" न्यू पिंच "
मैंने हॉल्टर के ऊपर से गुड्डी के निप्स पिंच कर लिए।
मेरी जेठानी क्यों छोड़ती ,दूसरा निपल उनके हाथ में ,
लेकिन तब तक एक के बाद एक प्रेशर कुकर की सिटी बजी और वो किचेन की ओर ,दरवाजे के बाहर पहुँच कर उन्होंने मुझे भी हंकार लगायी ,
" आती हूँ दीदी बस एक मिनट "
एक काम तो बाकी रह गया था।
" हे जरा पीछे से तो देख लूँ कैसा लग रहा है " मैं उससे बोली।
एक हाथ से मैंने उसकी स्कर्ट उठायी ,उसकी पैंटी बल्कि थांग
आगे से बस चुनमुनिया को ढंकने के लिए दो इंच की पट्टी और पीछे चूतड़ों के बीच एक रस्सी सी ,
बल्कि धागे सा दोनों नितम्बों की दरार में अटका।
और दूसरे हाथ से मैंने इनका शार्ट सरका दिया ,तना खड़ा बेताब खूंटा बाहर,
मोटा सुपाड़ा एकदम खुला।
और मैंने धक्का देकर गुड्डी को एक बार फिर उनकी गोद में.
अब खुला तन्नाया सुपाड़ा सीधे गुड्डी की गांड की दरार से रगड़ खा रहा था।
झुक के गुड्डी के कान में मैं बोली ,
" क्यों कैसा लग रहा है भैय्या का ,चल अब शर्म छोड़ और खुल के मस्ती कर।
है न खूब मोटा कडा कडा। सोच जब ऊपर ऊपर से इत्ता मजा दे रहा है तो अंदर घुसेगा कितना मजा देगा। "
वो ब्लश भी कर रही थी और स्माइल भी ,लेकिन अपने भईया के खूंटे से उठने की जरा भी कोशिश नहीं की उसने।
उनसे भी मैं बोली ,
" अरे सही जगह पकड़ो न , अब मैं और जेठानी जी घंटे भर के लिए किचेन में "
और उनका हाथ सीधे , अपनी ननद के जुबना पर रख दिया।
फिर एकदम सीधे गुड्डी से बोली ,
" क्यों मस्त हैं लंड भय्या कम सैंया का , खुल के मजा ले "
निकलते समय दरवाजे से मैंने एक हिंट और दिया ,
" कड़वा तेल तो नहीं है लेकिन तकिये के नीचे वैसलीन की बड़ी शीशी है। "
और फिर वो आगयी ,इनका माल ,सच में जिल्ला टॉप माल थी , एकदम मस्त लग रही थी।
हॉल्टर टॉप बस नूडल स्ट्रिंग के साथ ,मरमेड टॉप, शोल्डर लेस , ....
और गुड्डी के गोरे गोरे कंधे अब खुल के दिख रहे थे।
टॉप एकदम उसके उभारों से चिपका सेकेण्ड स्किन की तरह ,उभारो को और दबा के उभारता ,
क्लीवेज और जोबन का ऊपरी हिस्सा तो अच्छी तरह दिखता ही , उसकी कच्ची अमिया का शेप साइज सब कुछ ,
और जरा भी झुकती तो मटर के दानों ऐसे उसके निप्स भी साफ़ साफ़ दिख जाते।
और शोल्डर लेस होने , नार्मल ब्रा तो चलती नहीं ,इसलिए स्ट्रैप लेस वो भी स्किन कलर की
,एकदम चिपकी मुश्किल से ढाई इंच की पट्टी की तरह लेकिन नीचे से पुश अप,
उभारती जिससे क्लीवेज और क्लियर हो के ,... फ्रंट ओपन।
स्कर्ट भी माइक्रो और मिनी के बीच का , घुटनो से कम से कम डेढ़ बित्ते पहले ख़तम हो जा रहा ,
उसकी चिकनी मांसल मखमली जाँघे ,लम्बी लम्बी गोरी टाँगे , स्निग्ध पिंडलियाँ एक भी रोयें नहीं ,एकदम मक्खन।
जेठानी जी ने एक दम सही कमेंट मारा ,
" अरे ये तो चीयर लीडर्स से भी दस हाथ आगे लग रही है। "
अरे मैं लायी थी चुन के ये ड्रेस इसी लिए , और इस कमेंट से पैसा वसूल हो गया।
" न्यू पिंच "
मैंने हॉल्टर के ऊपर से गुड्डी के निप्स पिंच कर लिए।
मेरी जेठानी क्यों छोड़ती ,दूसरा निपल उनके हाथ में ,
लेकिन तब तक एक के बाद एक प्रेशर कुकर की सिटी बजी और वो किचेन की ओर ,दरवाजे के बाहर पहुँच कर उन्होंने मुझे भी हंकार लगायी ,
" आती हूँ दीदी बस एक मिनट "
एक काम तो बाकी रह गया था।
" हे जरा पीछे से तो देख लूँ कैसा लग रहा है " मैं उससे बोली।
एक हाथ से मैंने उसकी स्कर्ट उठायी ,उसकी पैंटी बल्कि थांग
आगे से बस चुनमुनिया को ढंकने के लिए दो इंच की पट्टी और पीछे चूतड़ों के बीच एक रस्सी सी ,
बल्कि धागे सा दोनों नितम्बों की दरार में अटका।
और दूसरे हाथ से मैंने इनका शार्ट सरका दिया ,तना खड़ा बेताब खूंटा बाहर,
मोटा सुपाड़ा एकदम खुला।
और मैंने धक्का देकर गुड्डी को एक बार फिर उनकी गोद में.
अब खुला तन्नाया सुपाड़ा सीधे गुड्डी की गांड की दरार से रगड़ खा रहा था।
झुक के गुड्डी के कान में मैं बोली ,
" क्यों कैसा लग रहा है भैय्या का ,चल अब शर्म छोड़ और खुल के मस्ती कर।
है न खूब मोटा कडा कडा। सोच जब ऊपर ऊपर से इत्ता मजा दे रहा है तो अंदर घुसेगा कितना मजा देगा। "
वो ब्लश भी कर रही थी और स्माइल भी ,लेकिन अपने भईया के खूंटे से उठने की जरा भी कोशिश नहीं की उसने।
उनसे भी मैं बोली ,
" अरे सही जगह पकड़ो न , अब मैं और जेठानी जी घंटे भर के लिए किचेन में "
और उनका हाथ सीधे , अपनी ननद के जुबना पर रख दिया।
फिर एकदम सीधे गुड्डी से बोली ,
" क्यों मस्त हैं लंड भय्या कम सैंया का , खुल के मजा ले "
निकलते समय दरवाजे से मैंने एक हिंट और दिया ,
" कड़वा तेल तो नहीं है लेकिन तकिये के नीचे वैसलीन की बड़ी शीशी है। "