15-04-2020, 12:00 PM
(15-04-2020, 10:59 AM)Niharikasaree Wrote:
कोमल जी,
"कोई डाँट वांट नहीं पड़ने वाली " बस थोड़ी शांति मिली "जी" को, बरना "डर" थो था सच्ची।
"सच में साजन को नन्दोई बनाने के बारे में सोच सोच के ही एकदम गिनगीना जाता है,
मेरी एक ननद हैं मुझसे थोड़ी ही बड़ी , शादी शुदा , .. उनके आते ही मैं चिढ़ाती हूँ
साजन से साजन बदल लो नंदी मोरे साजन बड़े नादान ,
और वो एकदम ,... सच में बहुत मजा आता है नंदों को उनके भाइयों का नाम ले ले के छेड़ने में "
कोमल जी, छेड़ने और तड़पने मैं आका कोई सानी नहीं है, यह काम तो आप गज़ब करती हैं, ननद को छेड़ने और जलाने मैं वो भी प्यार से उसका अलग ही मज़ा है , बस काटो तो खून नहीं वाली स्थति हो जाती है.
बस , अब देखना य है की कौन आता है , "अच्छी " वाली रगड़े मैं, "गुड्डी जी" या "जेठानी जी"
दोनों , लेकिन अभी ननदिया का नंबर है
बाजी जो जीतनी है उससे ,
" मेरे भैया नाम भी न ले सकते छूना तो दूर की बात , ..." बस उसके सामने उसी के हाथ से
और एक बार जीत गयी मैं तो चार घंटे के लिए ननद रानी पर मेरा कब्जा ,
अभी बिना इंटरकोर्स किये इंटर में पढ़ रही है ,
बस जल्द से जल्द इंटर के कोर्स के साथ इंटरकोर्स भी जो जाए उसका ,
सच्च में कच्चे टिकोरों का मजा ही और है , सिर्फ ये नहीं मैं भी ललचाती हूँ