15-04-2020, 10:37 AM
(13-04-2020, 08:28 PM)Niharikasaree Wrote: पूनम जी,
क्या कहु, यह करना तो एक रूटीन हो गया है, सबकी नज़र बचा के , कमर मैं चुटकी काटना और जोबन को दबाना इनका पसंदीदा काम है, वो भी किचन मैं, जब बर्तन करते हुए , या छोंक लगते हुए , जब हम कुछ कर पाए. बस जोर से "ऊई माँ" फिर उससे भी तेज़ "कुछ नहीं हुआ", फिर सबको समझ आ जाता है, की लाडले बेटे ने ही कुछ किया होगा।
"ये प्याजी न हुआ पियाजी का हो गया !!
बिल्कुल सही एक दम सही"
यह तो सीधी मन की बात हो गयी, आपके और मेरे। एक रेड साड़ी है मेरी, एक पंचकूटा , जिसमे बैकलेस ब्लाउज है, बस जिस दिन वो पेहेन ली , " पीछे" से अटैक होना ही है, आगे पीछे चक्कर लगते रहते हैं, जैसे ही मौका मिले, चुटकी कमर पर या जोबन पर हमला।
बैकलेस पीठ पर तो अनगिनत चुम्बन तो जाते हैं, चलते - फिरते , और रात को ,..........
और रात को, दिन भर तड़पने की सजा , और उस सजा मैं मज़ा.
आपके। ....
(14-04-2020, 07:29 AM)Poonam_triwedi Wrote: निहारिका जी ये बिल्कुल सही कहा है आप ने
अगर प्याजी लहंगा पहना हो तो पूरे दिन खेर नहीं फिर
चिकोटी काटना,दरार में उंगली रगड़ देना
चपत लगा देना खिंच के ऊफ़्फ़
दिन भर में ही मूड बना देंगे हमारा
ओर ज्यादा हुआ तो कही एकांत में ले जा कर कस के बाहों में भीचं के चुमा चाटी ओर फिर दर्शन प्यार से नहीं मानीं हम तो उन के अपने तरीके से ऊपर तो करवा ही देंगे
उईं मा ओह्ह ऊफ़्फ़ छोड़ो ना ये तो दिन भर करना पड़ता है ना कोई ऑफिस जाना ना ओर कोई चिंता सिर्फ हम पे नजर दिन भर
ओर बिल्कुल फिर रात रात भर धक्के वो भी एक दम पिच्छे से कस कस के झेलने पड़ते है
इस मीठी सजा में बहुत मजा तो आता है पर अब तो थकान रहने लगी है बहुत
काम काज बढ़ जो गया है पर रात को दिल मचल ही जाता है फिर भी ऊफ़्फ़ ये आग
कोमल जी देखेंगी तो पता नहीं कितनी बातें सुनाएंगी ये सब यहाँ बंद करो
पर वो नहीं आये तब तक ये लास्ट बस एक दम अंतिम
(14-04-2020, 08:25 AM)@Kusum_Soni Wrote: जैसे कोमल जी कहती है " छेद मैं नो भेद " ही , ही , हाय गर्म थी, लिखने मैं आ ही गया।
" ही,ही,ही, यहाँ आने के बाद गर्म कोन नहीं होती है
छेद में बिल्कुल नो भेद ओर उस कमीनी जेठानी की गाँड़ कोमल जी जरूर ***
हम सब को आगे के "ट्विस्ट" का ही इंतज़ार है निहारिका जी
तो आप सब सहमत हैं न मेरी बात से , जेठानी जी का स्वागत सत्कार जबरदस्त होना चाहिए , बहुत रगड़ाई की है उन्होंने अब थोड़ा देवरानी का भी हाथ देख लें ,
पहले दिन से ही इस रसोई में लहसुन प्याज नहीं आता , और हर बात मायके तक खींच के ले जाना
": यहाँ तुम्हारे मायके की तरह नहीं है , " या , " तुम्हारी मम्मी ने कुछ सिखाया पढ़ाया नहीं क्या , कालेज अनवरसिटी जाने से ही नहीं गुन ढंग आता है , "
और अब प्योर वेज चिकेन पिज्जा तो उन्होंने खा ही लिया है , वो भी देवर की क्रीम की टॉपिंग के साथ ,
तो आप के सुझावों का स्वागत रहेगा , ख़ास तौर से जेठानी का कैसे आदर सत्कार किया जाए ,
आखिर बड़ी हैं न