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लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग,
#76
फिर माँ ने खाना लगा दिया , खाकर सोने गई, तो सोचा "चेक" कर लू, "दूसरा" दिन था न आज, गई बाथरूम मैं, देखा, फ्लो जयादा था , भर गया था पैड् किया चेंज, नया लगाया। और सोने  गई, पर नींद कहा आनी थी, 

"मूड्स" ........

-------  एक गुंजारिश - ------------------

सभी महिलाओ व् लड़किओं से, अपना एक्सपीरियंस शेयर करे , पहेली बार अकेले  "पैड्स" खरीदने का।  वो पहेली बार की फीलिंग , अहसास हमेशा याद रहता है. 
.......................

प्रिय सहेलिओं ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

"पहेली बार अकेले  "पैड्स" खरीदने का।  वो पहेली बार की फीलिंग , अहसास हमेशा याद रहता है." मैं पुनः गुंजारिश करुँगी की इस फोरम की सभी महिला सदस्यों से की अपने अनुभव शेयर करे, साथ ही यह बताय की उस डर, घबराहट की कैसे उबार पायी। हम लड़कियां, खुलकर इसके इस बारे मैं बात तो कर ही नहीं पाती और करे भी तो किस से माँ से डर, पड़ोस की भाभी, अगर माँ को कह दिया तो शामत, फिर बचती है तो हमउम्र सहेली या कुछ बड़ी दीदी

तो , बात अब "पैड्स" की नहीं रही थी, वो लगाने की और लगा कर सोने की आदत सी हो गई थी उन दिनों मैं. पर अब जो "बैचनी" थी, "मूड्स" को ले कर वो मेरी नींद को लेकर उड गई थी. 

रूम की लाइट बंद, बाकि घरवाले भी सो गए, यह माने लाइट सबकी बंद हो चुकी थी. यु तो मैं सो जाया करती थी उन दिनों मैं दर्द से या परेशान होकर जायदा हुआ तो दर्द की गोली खाकर। पर उस रात को नींद "मूड्स" ले उडा था,   एक तो दुकान पर उन लड़को को देखा , फिर घर मैं भी तो था.

जैसा मेरी सहेली "कुसुम जी" ने लिखा था, "मूड्स" के इस्तेमाल के बारे मैं, माँ की आवाजे ,धीरे करो, ओह, आह। ......

उस रात को मुझे भी कुछ आवाज आयी , अब नींद तो थी ही नहीं आँखों मैं , कब सवेरा हो, कालेज जाऊ और कुछ पता करू. तभी माँ की एक हलकी - दबी आवाज आयी-

माँ - सुनो न, आज रहने दो 

पिताजी - क्या हुआ , आज तुझे।  आ जा 

माँ - सुनो जी, थोड़ा दर्द है , लगता है की मैं होने वाली हु.

आवाज कम थी,   मैं उठ कर खिड़की के पास आयी , मेरी रूम की खिड़की और माँ के रूम की खिड़की साथ - साथ ही थी. यही मौसम था, अप्रैल के बीच का गर्मी ने दस्तक देनी चालू कर दी थी,  पीरियड्स वो भी गर्मी मैं , बैचनी, चड़चिड़ापन, पसीना।   लगता था जब गर्मी और बढ़ेगी तब क्या होगा, " कूलर कुर्ती मैं ही लगाना पड़ेगा".

मैं , चुप आवाज सुनने की कोशिश मैं थी, आ रही थी आवाज माँ की दबी हुई. लगी थी पिताजी को मानाने, की आज बक्श दे.

पिताजी - क्या हुआ, नखरे जयादा हो गए , तेरे , आज क्या हुआ। 

माँ -  जी,वो पीरियड्स 

पिताजी, - माँ कुछ और बोले, बोल पड़े.  आ गया क्या , कब अभी या सवेरे?

- माँ - बस अभी शुरू, होने को है, शायद 

पिताजी - अभी , कुछ नहीं है न , आजा , मूड्स लगा लेता हु, बस 

"मूड्स" उफ़,  क्या चल रहा है, इसका अंदाजा नहीं लग पा रहा था, माँ की पीरियड्स से पिताजी को क्या काम, और उनका कौनसा काम रुक गया. "मूड्स" का क्या लेना - देना पीरियड्स से माँ के. मेरे भी तो चल रहे हैं न,  क्या मूड्स लगते हैं पीरियड्स मैं, पैकेट तो छोटा था, पैड्स तो बड़ा आता है.

खिड़की मैं , खड़े - खड़े पैरो मैं दर्द होने लगा, और वह "नीचे" तो हो ही रहा था ,  फिर भी ख़ड़ी थी, कुछ और सुनने को मिल जाये।

फिर , अलमीरा खुलने की आवाज आयी, गोदरेज की थी, लोहे वाली आवाज तो आनी  ही थी, पर आज से पहले आयी तो नहीं। घर  ,कॉलेज, पढाई , टीवी, और सो जाओ , यही रूटीन था। आज तो मूड्स ने नींद ख़राब करि थी.

पिताजी - अरे , खोल न। ..... 

- माँ - आप, मानोगे नहीं , अच्छा जी, कर लो। 

पिताजी - "मूड्स" तो  लगा लिया है न, आजा।  तेरे पीरियड्स मैं अलग नखरे हो जाते हैं.

फिर, कुछ दबी - घुटी आवाजे , ओह , आह। .... 

अब मेरे पैरो ने साथ देने से मना  कर दिया था।  अब  मैं , बैठ गई बिस्तर पर, पानी की बोतल से पिया पानी, कुछ कुर्ती पर भी गिरा, गले से अंदर जाता महसूस हुआ, जोबन के बीच  ब्रा  ने रोक लिया पानी को. वैसे भी "नीचे सड़क गीली थी".  की बात याद आ गई. गुस्सा भी आया  .फिर से।  सोचा अब सो जाती हूँ.

थोड़ी देर मैं, हलकी नींद आनी लगी, साथ मैं माँ की आवाजे, रॉक तो झींगुर,  मोर , कुत्ते भी अपना कर्त्तव्य निभा रहे थे, पता नहीं कब सोई, सवेरे   फिर माँ की आवाज, , .. 

निहारिका , उठ। ....... देख कितना समय हो गया  आज कॉलेज नहीं जाना क्या ?

मैंने टाइम देखा , नौ बज रहे थे , उफ़ इतना देर से कभी नहीं उठी , आज क्या हुआ. अब तो माँ से डांट पड़ने वाली है. "मूड्स" के चक्कर मैं लेट हो गई,  क्या  परेशानी है, 
उफ़.

मैं - आयी माँ, उठ गई.

- माँ - क्या हुआ, सब ठीक , तू उठी नहीं।   क्या दर्द जायदा है. 

मैं -  अब क्या बोलती , "मूड्स" , मैं  बोली,  हम्म, है थोड़ा।   

फिर, याद  आया   की  माँ भी तो होने वाली थी, पुछु जरा. 

मैं - आपका , ...... दर्द है क्या 

पूरा न पूछ पायी 

माँ - हम्म, है तो हो गया, सवेरे आज। 

फिर चुप्पी।।।।।।।।

मन  मैं सोच रही थी आज कॉलेज जाओ या नहीं।

................

इंतज़ार मैं। ........

आपकी निहारिका 


सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों,  आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका 
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RE: लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत , किसी भी विषय पर जैसे ड्रेसिंग, - by Niharikasaree - 14-04-2020, 11:54 PM



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