14-04-2020, 07:50 AM
(This post was last modified: 14-04-2020, 08:36 AM by @Kusum_Soni. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
(13-04-2020, 01:48 PM)Niharikasaree Wrote: कुसुम जी,
सच्ची, कुसुम जी, तड़पना, तरसना, टपकवा देना, कहानी मैं रस बरसाना कोमल जी का ही हुनर है, होली की कुछ यादे हैं , "गीली" हो ही जाती हूँ, बस अब तो आगे का इंतज़ार, तड़पते हुए.
कुसुम जी , टाइम निकल के आ जाया करो , अच्छा लगता है।
निहारिका जी सुभ प्रभात सभी को
गिला होना कोमल जी की कहानियों पर आने का पहला नियम है
हालांकि व्यक्तिगत ज्यादा कुछ नहीं लिखूंगी बस कहानी के परिपेक्ष्य में ही अपनी बात रखती हूं
अच्छे से सेक्स को समझना और जीना
ओर उस समय को कैसे ओर रंगीन मजेदार बनाया जा सकता है यहाँ से सीखा जा सकता है और मैंने सीखा है
बिल्कुल इस मे कोई संदेह नहीं कामकला की अदित्य कौशल हासिल लेखिका है
पति पत्नी के जीवन मे आप की कहानियां नए रंग भर देती हैं !!
फिर निहारिका जी के शब्दों में टपकना चुना लसलसी होना मतलब जब तक नहीं निकलती गर्मी हालत खराब रहती है मेरा ये नितांत अपना मत है एक औरत हो के वो भी बिल्कुल ठेठ गांव से मैंने कोमल जी से ओर निहारिका जी से सेक्स में मस्ती लेनी सीखी है
जितना पति का योगदान होता है अब उतना ही मेरा भी " रतजगे में "
( कुसुम जी , टाइम निकल के आ जाया करो , अच्छा लगता है। )
निहारिका जी जैसे भी हो मैं आप सब से रोज मिलती ही हूँ
आप सब के बिना कहाँ मन लगता है मेरा भी
कोमल जी इंतज़ार हम सब को